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    MP में फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट से 7 मौतें, अब देशभर के कैथ लैब के डॉक्टरों की परखी जाएगी योग्यता; NSRC ने की अनुशंसा

    Updated: Tue, 08 Jul 2025 05:57 AM (IST)

    दमोह के मिशन अस्पताल में फर्जी कार्डियोलाजिस्ट द्वारा सर्जरी से सात रोगियों की मौत के बाद राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) ने देशभर के कैथ लैब में काम करने वाले डॉक्टरों का सत्यापन कराने का आदेश दिया है। आयोग ने राज्य सरकारों को आयुष्मान भारत योजना के क्रियान्वयन की जांच करने की भी अनुशंसा की है। मृतकों के परिवारों को 10-10 लाख रुपये की सहायता राशि मिलेगी।

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    दमोह अस्पताल में मौतों के बाद NHRC का आदेश (फाइल फोटो)

    जेएनएन, भोपाल। मध्य प्रदेश के दमोह के मिशन अस्पताल में फर्जी कार्डियोलाजिस्ट द्वारा सर्जरी से सात रोगियों की मौत के बाद राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) ने देशभर के कैथ लैब में काम करने वाले डॉक्टरों का सत्यापन कराने के लिए कहा है।

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    आयोग ने केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव को इस संबंध में निर्देश दिए हैं। राज्य सरकार से भी यह जांच करने के लिए कहा है। साथ ही सभी राज्य सरकारों को आयुष्मान भारत योजना के क्रियान्वयन की जांच करने की अनुशंसा की है।

    मृतकों को मिलेगी सहायता राशि

    सातों मृतकों के स्वजन को 10-10 लाख रुपये सहायता राशि और डॉक्टर एवं अस्पताल प्रबंधन के विरुद्ध विभिन्न मामलों में अलग-अलग एफआईआर की अनुशंसा एनएसआरसी ने राज्य सरकार से की है।

    आयोग ने आयकर आयुक्त और मध्य प्रदेश आर्थिक प्रकोष्ठ से आयुष्मान भारत योजना के दुरुपयोग के मामले में जांच कराने के लिए भी कहा है।बता दें, अस्पताल में डॉ. नरेन्द्र यादव उर्फ एन. जान कैम ने लंदन का कार्डियोलाजिस्ट बनकर कई लोगों के दिल की सर्जरी की थी, जिनमें सात लोगों की मौत हो गई थी।

    क्या है मामला?

    इसी वर्ष मार्च में यह मामला सामने आया था। आयोग ने 28 मार्च, 2025 को एक शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किया था। इसमें संबंधित राज्य अधिकारियों से रिपोर्ट मांगने के अलावा अपनी जांच भी की थी।

    आयोग को अपनी जांच में सरकार द्वारा की गई कार्रवाई में कई अनियमितताएं मिली थीं। इसी के आधार पर कई अनुशंसाएं की हैं। आयोग ने अपनी अनुशंसाओं पर चार सप्ताह में कार्रवाई कर अनुपालन रिपोर्ट देने के लिए कहा है।

    जांच में लापरवाही करने वाले पुलिसकर्मियों और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO), दमोह के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए भी कहा है। इसमें मामले के अंतिम निपटारे तक मिशन अस्पताल का लाइसेंस रद करना भी सम्मिलित है।

    क्या-क्या आदेश दिया गया?

    • आयोग ने अलग-अलग मामलों में FIR सहित अन्य अनुशंसाएं भी की
    • एफआइआर दर्ज करने और उसकी जांच में लापरवाही बरतने वाले संबंधित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू करें।
    • मिशन अस्पताल के आरोपितों और प्रबंधन के खिलाफ अलग मामले में एफआईआर दर्ज करें।
    • गैर इरादतन हत्या, धोखाधड़ी, ठगी, जालसाजी, चिकित्सकीय लापरवाही, कदाचार, धन की हेराफेरी आदि से संबंधित आरोप में एफआईआर दर्ज की जाए।
    • आपराधिक गिरोह को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले शिकायतकर्ताओं को व्हिसल ब्लोअर्स प्रोटेक्शन एक्ट, 2014 के प्रविधानों के अनुसार सुरक्षा दें।
    • अस्पताल ने बीमा कराया था या नहीं? यदि हां, तो क्या मृतक पीड़ित के कानूनी उत्तराधिकारियों को बीमा राशि वितरित की गई?
    • क्या सर्जरी करने, रोगियों की मेडिकल हिस्ट्री के बारे में विवरण, संभावित जोखिम और लाभ, किसी भी उपचार विकल्प के बारे में कोई जानकारी सीएमएचओ, दमोह के साथ साझा की गई थी?
    • भूखंड क्रमांक 86/1 पर पट्टे, हस्तांतरण और अनधिकृत निर्माण से संबंधित अनियमितताओं की जांच करें और दोषी अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक और कानूनी कार्रवाई शुरू करें।