NHRC Chairman: एनएचआरसी के नए चेयरमैन बने पूर्व जज वी रामसुब्रमण्यम, जानिए इनके बारे में
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश वी रामसुब्रमण्यम को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है। न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अरुण कुमार मिश्रा का कार्यकाल 1 जून को समाप्त हो गया था उस समय से यह पद खाली पड़ा था। यह नियुक्ति मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 के अंतर्गत हुई है। वर्तमान में एनएचआरसी की सदस्य विजया भारती सयानी एनएचआरसी की कार्यवाहक अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रही हैं

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश वी रामसुब्रमण्यम को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। इस बात की जानकारी अधिकारियों ने सोमवार को दी है। बता दें कि यह नियुक्ति मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के अंतर्गत हुई है।
दरअसल, न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अरुण कुमार मिश्रा के 1 जून को अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद से एनएचआरसी अध्यक्ष का पद खाली पड़ा था। अब इस स्थान पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश वी रामसुब्रमण्यम को नियुक्त किया गया है।
जस्टिस अरुण मिश्रा के पद छोड़ने के बाद से एनएचआरसी की सदस्य विजया भारती सयानी एनएचआरसी की कार्यवाहक अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। बता दें कि ये एक नोडल निकाय है, जो सरकार या लोकसेवक द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच करने का काम करता है।
उच्च स्तरीय समिति की बैठक में हुआ था फैसला
- गत 18 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति की बैठक हुई थी जिसमें राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति पर विचार और चर्चा हुई थी।
- इस बैठक में प्रधानमंत्री के अलावा लोकसभा अध्यक्ष, राज्यसभा के उपसभापति, दोनों सदनों के नेता विपक्ष, राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी तथा केंद्रीय गृहमंत्री शामिल थे।
- बैठक के बाद कई नामों की चर्चा चल रही थी लेकिन जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यम की नियुक्ति की घोषणा के बाद से चर्चाओं पर विराम लग गया है।
- जस्टिस वी. रामसुब्रमण्यम सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश हैं और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में कई महत्वपूर्ण फैसले दिये थे जिनमें सरकार के डिमोनटाइजेशन (नोटबंदी) के फैसले पर मुहर लगाने वाला आदेश भी शामिल है। जस्टिस रामसुब्रमण्यम नोटबंदी पर फैसला सुनाने वाली पांच सदस्यीय संविधानपीठ का हिस्सा थे।
जानिए कौन हैं वी. रामसुब्रमण्यम
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश वी. रामसुब्रमण्यम का जन्म 30 जून, 1958 को हुआ था। उन्होंने चेन्नई के रामकृष्ण मिशन विवेकानंद कॉलेज से रसायन विज्ञान में स्नातक किया। इसके बाद उन्होंने मद्रास लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई की। इसके बाद 16 फरवरी 1983 को वी. रामसुब्रमण्यम बार के सदस्य के रूप में नामांकित हुए थे। उन्होंने करीब 23 साल तक मद्रास हाईकोर्ट में वकालत की थी।
मद्रास हाईकोर्ट में वकालत के दौरान वी. रामसुब्रमण्यम ने सीनियर वकील के. सर्वभौमन और टी.आर. मणि के साथ चार साल तक काम किया था।
मद्रास हाई कोर्ट के जज बने
वहीं, 31 जुलाई 2006 को वी. रामसुब्रमण्यम मद्रास हाईकोर्ट के एडिशनल जज रूप में नियुक्त किया गया था। इसके बाद 09 नवंबर 2009 को उनको स्थायी जज के रूप में नियुक्त कर दिया गया। इसके बाद 27 अप्रैल 2016 को उनका तबादला हैदराबाद हाई कोर्ट में गया था। वहीं, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्य के गठन के बाद वे तेलंगाना हाई कोर्ट के जज बने रहे।
हिमाचल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने
वी. रामसुब्रमण्यम 22 जून 2019 को हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर नियुक्त किए गए। साल 2019 में ही सितंबर के माह में वो सुप्रीम कोर्ट के जज बने। अपने सुप्रीम कोर्ट के कार्यकाल के दौरान उन्होंने 102 फैसले किए। 29 जून 2023 को वह रिटायर हुए थे। अब रिटारमेंट के अगले साल उनको राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग यानी एनएचआरसी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
उल्लेखनीय है कि पीएम मोदी के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय ने विगत 18 दिसंबर 2024 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अगले अध्यक्ष को चुनने के लिए बैठक की थी।
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