'समाज उन लोगों को स्वीकारने में संघर्ष कर रहा जो...', ट्रांसजेंडर्स पर NHRC अध्यक्ष का बड़ा बयान
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस वी. रामसुब्रमण्यम ने ट्रांसजेंडरों के साथ होने वाले भेदभाव को खत्म करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि समाज आज भी ट्रांसजेंडरों को स्वीकार करने में संघर्ष कर रहा है जिससे उन्हें स्वास्थ्य शिक्षा रोजगार और आवास जैसी बुनियादी सुविधाओं तक पहुंचने में कठिनाई हो रही है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के अध्यक्ष जस्टिस (सेवानिवृत) वी. रामसुब्रमण्यम ने गुरुवार को ट्रांसजेंडरों के साथ व्यवस्थागत भेदभाव खत्म करने और उनके अनुभवों को बेहतर बनाने पर जोर देते हुए कहा कि समाज उन लोगों को स्वीकारने में संघर्ष कर रहा है जो पुरुष और महिला के द्विभाजन में फिट नहीं बैठते।
जस्टिस रामसुब्रमण्यम ने कहा कि समाज आज भी यही सोचता है कि केवल पुरुष और महिलाएं ही मानव जाति का निर्माण करते हैं। यह बात दुनिया भर के समाजों को अभी स्वीकारने में कठिनाई हो रही है और इसका परिणाम है कि ट्रांसजेंडर लोगों को स्वास्थ्य क्षेत्र, स्कूलों, रोजगार और आवास के साथ-साथ शौचालयों तक पहुंच में व्यापक भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
एनएचआरसी द्वारा आयोजित था कार्यक्रम
जस्टिस रामासुब्रमण्यम ने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकार पर एनएचआरसी द्वारा आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के संबोधन में ये बात कही। उन्होंने कहा कि सौभाग्य से भारत ट्रांस व्यक्तियों के अधिकारों को मान्यता देने में कई अन्य देशों से बहुत आगे है। भले ही हम आदर्श स्थिति तक नहीं पहुंच पाए हों लेकिन हम निश्चित रूप से काफी हद तक आगे बढ़ चुके हैं। ॉ
इस अवसर पर एनएचआरसी के सेकेट्री जनरल भरत लाल, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के सचिव अमित यादव, के अलावा ट्रांस व्यक्तियों के प्रतिनिधि मौजूद थे। सम्मेलन में ट्रांस व्यक्तियों के अधिकारों और उनके सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा हुई। इस अवसर पर ट्रांस व्यक्तियों के आश्रय घर गरिमा गृहों की स्थिति पर एक रिपोर्ट भी जारी हुई।
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