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    नदियों को प्रदूषणमुक्त बनाने के लिए NGT ने बनाई कमेटी, अच्‍छे काम पर मिलेगा पर्यावरण पुरस्कार

    By Prateek KumarEdited By:
    Updated: Thu, 11 Apr 2019 06:50 PM (IST)

    कमेटी देश भर में फैली 350 से अधिक नदियों को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए एक योजना तैयार करेगी क्योंकि नदियों के प्रदूषण से पानी और पर्यावरण की सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हो गया है।

    नदियों को प्रदूषणमुक्त बनाने के लिए NGT ने बनाई कमेटी, अच्‍छे काम पर मिलेगा पर्यावरण पुरस्कार

    नई दिल्ली, प्रेट्र। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने नदियों को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए ठोस पहल की है। एनजीटी ने एक केंद्रीय निगरानी कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी देश भर में फैली 350 से अधिक नदियों को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए एक योजना तैयार करेगी, क्योंकि नदियों के प्रदूषण से पानी और पर्यावरण की सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हो गया है।

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    एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इस कमेटी में नीति आयोग के प्रतिनिधि, जल संसाधन, शहरी विकास और पर्यावरण मंत्रालयों के सचिव, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा अभियान के महानिदेशक और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन शामिल होंगे।

    केंद्रीय निगरानी कमेटी राज्यों की नदी पुनर्रुद्धार कमेटियों के साथ समन्वय स्थापित कर कार्ययोजना के क्रियान्वयन की निगरानी करेगी। कमेटी कार्ययोजना की समयसीमा, बजटीय व्यवस्था और अन्य पहलुओं पर भी निगरानी रखेगी। राज्य स्तर पर राज्यों के मुख्य सचिव नोडल एजेंसी होंगे।

    अधिकरण ने पर्यावरण मंत्रालय से नदियों को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए उल्लेखनीय काम करने वाले व्यक्तियों, संस्थानों और राज्यों को पर्यावरण पुरस्कार देने की योजना बनाने पर विचार करने को भी कहा है। साथ ही खराब काम करने वाले राज्यों को दंडित करने के लिए योजना बनाने के लिए भी कहा है। एनजीटी ने राज्यों से 30 जून तक इस तरह की योजना तैयार करने के लिए कहा है।

    30 जून तक इस कमेटी की पहली बैठक होने की उम्मीद है। पहली बैठक में कमेटी विशेषज्ञों की पहचान, संशोधित जल के इस्तेमाल के बेहतर तरीकों और अन्य उपायों पर विचार करेगी। अधिकरण ने कमेटी से 31 जुलाई तक अपनी रिपोर्ट देने को कहा कहा है। अधिकरण ने कहा है कि कृषि में प्रदूषित पानी का इस्तेमाल लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरा तो है ही, जमीन की उर्वरा शक्ति और भूजल स्तर पर भी उसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

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