निवेशकों के 2700 करोड़ रुपये की हेराफेरी, ED ने कसा शिकंजा; मनी लांड्रिंग का मामला दर्ज
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नेक्सा इवरग्रीन कंपनी के खिलाफ मनी लांड्रिंग का मामला दर्ज किया है जिसने 70 हजार निवेशकों से 2700 करोड़ रुपये हड़पे थे। कंपनी के प्रमोटरों के ठिकानों पर छापे मारे गए हैं। कंपनी ने भारी मुनाफे और धोलेरा में प्लॉट का लालच देकर निवेश कराया। राजस्थान पुलिस पहले से ही घोटाले की जांच कर रही है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। निवेश के नाम पर 70 हजार निवेशकों से 2700 करोड़ रुपये हड़पने वालों के खिलाफ मनी लॉंड्रिंग का शिकंजा कस गया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने राजस्थान के नेक्सा इवरग्रीन कंपनी के प्रमोटरों के खिलाफ प्रीवेंशन ऑफ मनी लाॉंड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) की धाराओं के तहत केस दर्ज कर लिया है। इसके साथ ही ईडी ने कंपनी और उसके प्रमोटरों से जुड़े सिकर, जयपुर, जोधपुर, झुनझुनु और अहमदाबाद स्थित ठिकानों की तलाशी ली।राजस्थान पुलिस पहले से इस घोटाले की जांच कर रही है।
ईडी की जांच शुरू होने के बाद लोगों के डूबे हुए पैसे की वापसी की उम्मीद बढ़ गई है। ईडी के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार सिकर के रहने वाले रणवीर बिजरानिया और सुभाष विजरानिया ने अपनी नेक्सा एवरग्रीन के माध्यम से आम लोगों को भारी मुनाफा और गुजरात के धोलेरा शहर में प्लाट और फ्लैट का लालच देकर बड़े पैमाने पर निवेश का लालच दिया। उसके झांसे में आकर 70 हजार से अधिक लोगों ने उसकी कंपनी में निवेश कर दिया।
शुरू में कुछ लोगों को उसने मुनाफे की रकम भी दी, लेकिन बाद में उसे बंद कर दिया। तब तक कई राज्यों के लोग 2700 करोड़ रुपये से अधिक उसकी कंपनी में निवेश कर चुके थे, जिसमें आम आदमी के साथ-साथ सरकारी कर्मचारी और सैन्य बलों के अधिकारी व जवान भी शामिल थे। रिटर्न नहीं मिलने और प्लाट या फ्लैट आवंटन नहीं होने के बाद लोगों ने राजस्थान पुलिस में इसकी शिकायत की। राजस्थान पुलिस एफआइआर दर्ज कर इस मामले की पहले से जांच कर रही है और कई आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है।
ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राजस्थान पुलिस की एफआइआर को आधार बनाते हुए मनी लाॉंड्रिंग की जांच शुरू की गई है। गुरूवार को की गई तलाशी का उद्देश्य आम लोगों द्वारा जमा की गई रकम कहां-कहां निवेश की गई, इसका पता लगाना है, जिसमें काफी सफलता मिली है।
उनके अनुसार निवेशकों से प्राप्त धन को कई कंपनियों में घुमाते हुए अलग-अलग निवेश करने के सबूत मिले हैं। इसका विश्लेषण किया जा रहा है और जल्द ही उन्हें जब्त करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
उन्होंने कहा कि एक बार निवेशकों के धन से खरीदी गई चल-अचल संपत्तियों का पता चलने के बाद उन्हें जब्त करने की कार्रवाई शरू की जाएगी और अंत में निवेशकों की रकम को लौटने की काम किया जाएगा। ईडी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इसके पहले कई घोटाले में संपत्ति जब्त कर पीडि़तों को लौटा चुकी है।
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