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    RBI Rule: 1 अप्रैल 2025 से लागू हो जाएगी नई व्यवस्था, ऑनलाइन पैसे ट्रांसफर में नहीं होगी गड़बड़ी

    Updated: Mon, 30 Dec 2024 11:30 PM (IST)

    पैसों के लेन देन में कोई गड़बड़ी ना हो इसको लेकर आरबीआई नई व्यवस्था करने जा रहा है। केंद्रीय बैंक ने एक सर्कुलर जारी कर के कहा है कि सभी बैंक जो रियल टाइम ग्रास सेटलमेंट सिस्टम और नेशनल इलेक्ट्रानिक फंड ट्रांसफर सिस्टम के प्रत्यक्ष सदस्य या उप-सदस्य हैं उन्हें एक अप्रैल 2025 से पहले यह सुविधा ग्राहकों को देने की सलाह दी जाती है।

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    ऑनलाइन पैसे ट्रांसफर में नहीं होगी गड़बड़ी (फाइल फोटो)

    पीटीआई, मुंबई। उपभोक्ताओं को वित्तीय धोखाधड़ी से बचाने के लिए आरबीआई ने एक अहम पहल की है। अभी तक आरटीजीएस और एनईएफटी के जरिये पैसे ट्रांसफर करते समय अकाउंट नंबर और लाभार्थी का नाम स्वयं डालना पड़ता था, लेकिन अब एक अप्रैल से अकाउंट नंबर डालते ही लाभार्थी का नाम दिखने लगेगा।

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    केंद्रीय बैंक ने इस संबंध में एक प्रणाली विकसित करने के लिए नेशनल पेमेंट्स कारपोरेशन आफ इंडिया (एनपीसीआई) से कहा है। साथ ही इसमें सभी बैंकों को शामिल करने की सलाह दी है। बता दें कि सोमवार को ही दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में आरबीआई से आरटीजीएस और एनईएफटी भुगतान तरीकों में लाभार्थी के नाम को सत्यापित करने की व्यवस्था जल्द लागू करने के लिए कहा था।

    RBI ने जारी किया सर्कुलर

    आरबीआई ने सोमवार को एक सर्कुलर में कहा, 'सभी बैंक जो रियल टाइम ग्रास सेटलमेंट (आरटीजीएस) सिस्टम और नेशनल इलेक्ट्रानिक फंड ट्रांसफर (एनईएफटी) सिस्टम के प्रत्यक्ष सदस्य या उप-सदस्य हैं, उन्हें एक अप्रैल, 2025 से पहले यह सुविधा ग्राहकों को देने की सलाह दी जाती है।' अभी यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) और इमीडिएट पेमेंट्स सर्विस (आईएमपीएस) सिस्टम पैसे ट्रांसफर करते समय लाभार्थी के नाम को सत्यापित करने की सुविधा प्रदान करते हैं।

    अब ग्रहकों को मिलेंगी कई सुविधाएं

    सर्कुलर में कहा गया है कि आरटीजीएस और एनईएफटी सिस्टम में भागीदार बैंक अपने ग्राहकों को इंटरनेट बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग के माध्यम से यह सुविधा उपलब्ध कराएंगे। यह सुविधा शाखा में जाकर लेनदेन करने वाले ग्राहकों को भी मिलेगी। खास बात यह है कि यह घोषणा नौ अक्टूबर, 2024 को मौद्रिक नीति समिति की बैठक के दौरान तत्कालीन आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने की थी।

    नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाएगी सुविधा

    सर्कुलर में कहा गया है कि प्रेषक द्वारा दर्ज लाभार्थी की खाता संख्या और आइएफएससी कोड के आधार पर कोर बैंकिंग समाधान (सीबीएस) के माध्यम से लाभार्थी का नाम दिखाई पड़ने लगेगा। यदि किसी कारणवश लाभार्थी का नाम प्रदर्शित नहीं होता है तो प्रेषक अपने विवेक से फंड ट्रांसफर की प्रक्रिया को आगे बढ़ा सकता है। आरबीआई ने कहा है कि एनपीसीआई इस सुविधा से संबंधित कोई भी डेटा संग्रहीत नहीं करेगा। अगर कोई विवाद होता है तो धन प्रेषण बैंक और लाभार्थी बैंक विवाद का समाधान करेंगे। यह सुविधा ग्राहकों को नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाएगी।

    आधे घंटे के बैच में काम करती है एनईएफटीए

    नई एनएफटी प्रणाली आधे घंटे के बैच में काम करती है, जिससे यह कुछ अन्य भुगतान विधियों की तुलना में कम तात्कालिक होता है। हालांकि, इसकी सरलता और पहुंच में आसानी के कारण इसका व्यापक तौर पर उपयोग किया जाता है। एनईएफटी लेनदेन आमतौर पर छोटी राशि के लिए उपयोग किया जाता है, क्योंकि इसकी कोई न्यूनतम सीमा नहीं है। हालांकि बैंक के नियमों के आधार पर हस्तांतरण की जाने वाली अधिकतम राशि पर एक सीमा होती है।

    कब होता है आरटीजीएस का इस्तेमाल?

    आरटीजीएस एक ऐसी प्रणाली है जो दो बैंक खातों के बीच धन के रियल टाइम हस्तांतरण को सक्षम बनाती है। एनईएफटी के विपरीत आरटीजीएस को मुख्य रूप से उच्च मूल्य वाले लेनदेन के लिए डिजाइन किया गया है। इस माध्यम से फंड हस्तांतरण की सीमा न्यूनतम दो लाख रुपये है।