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    मेघालय में मिली नई प्रजाति की मछली, वैज्ञानिकों ने बताया क्या है खासियत

    By Agency Edited By: Babli Kumari
    Updated: Thu, 01 Aug 2024 03:55 PM (IST)

    बांग्लादेश सीमा के पास मेघालय के दक्षिण गारो हिल्स (Garo Hills) जिले में वैज्ञानिकों ने मछली की एक नई प्रजाति का खोज किया है। इस प्रजाति का नाम शिस्टुरा सोनारेंगेंसिस है। इसकी खोज जिले के सोनारेंगा नाकामा और चियाबोल गुफाओं में की गई है। इस मछली की प्रजाति को उसकी आंखों और गोलाकार काले धब्बों से पहचान की जा सकती है।

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    मेघालय के दक्षिण गारो हिल्स जिले में पाई गई नई प्रजाति की मछली (प्रतिकात्मक फोटो)

    पीटीआई, शिलांग। वैज्ञानिकों के एक समूह ने बांग्लादेश सीमा के पास मेघालय के दक्षिण गारो हिल्स जिले में लोच की एक नई प्रजाति की पहचान की है। अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी।

    लोच मीठे पानी की तलहटी में रहने वाली मछली है और दक्षिण पूर्व एशिया में नदियों के पार पाई जाती है। वैज्ञानिकों ने बताया कि शिस्टुरा सोनारेंगेंसिस नामक प्रजाति की खोज जिले में सोनारेंगा, नाकामा और चियाबोल गुफाओं में की गई है। लखनऊ स्थित आईसीएआर (राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो) द्वारा वित्त पोषित इस खोज का नेतृत्व लेडी कीन कॉलेज की प्राचार्य डॉ. खलूर मुखिम, गुवाहाटी विश्वविद्यालय की एक टीम तथा अन्य लोगों ने किया। यह शोध पत्र बुधवार को आधिकारिक रूप से ब्रिटिश द्वीप समूह की फिशरीज सोसायटी के मछली जीवविज्ञान के अंतर्राष्ट्रीय जर्नल, विली-ब्लैकवेल द्वारा प्रकाशित किया गया।

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    यह मछली नेमाचेलिड लोच की एक नई प्रजाति

    विली-ब्लैकवेल ने अपने प्रकाशन में कहा कि भारत के मेघालय के दक्षिण गारो हिल्स जिले में तीन गुफा-निवासी आबादी (बराक-सूरमा-मेघना जल निकासी) से नेमाचेलिड लोच की एक नई प्रजाति है। इसमें कहा गया है कि यह प्रजाति अपनी प्रमुख आंखों और एक धूसर-काले मध्य-पार्श्व पट्टी पर 13-26 लंबवत लम्बी से गोलाकार काले धब्बों से पहचानी जाती है, जो एक फीके सफेद या हल्के-बेज रंग के शरीर पर होती है।

    गुफाओं में रहने वाली ये मछलियां पीले रंग की 

    मुखिम ने बताया कि गुफाओं में रहने वाली ये मछलियां कुछ हद तक पीली होती हैं, लेकिन जैंतिया और खासी हिल्स में पाई जाने वाली अन्य गुफाओं की प्रजातियों की तरह ये अंधी नहीं होती हैं। मुखिम ने बताया कि नई प्रजाति में प्रमुख आंखें हैं और यह बराक-सूरमा-मेघना और पूर्वोत्तर भारत के आस-पास की नदियों में पाई जाने वाली अन्य शिस्टुरा प्रजातियों से अलग है, सिवाय शिस्टुरा सिंगकाई के।

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