गाड़ियों की लिमिट के लिए एक अप्रैल से लागू होंगे नए नियम, स्क्रैपिंग और रजिस्ट्रेशन पर भी बड़ा अपडेट
New rules Vehicles पुराने वाहनों के संचालन से होने वाले वायु प्रदूषण को थामने के लिए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने स्क्रैपिंग के नए नियमों को सख्ती से लागू करने का फैसला लिया है। जो देश भर में एक अप्रैल 2025 से प्रभावी होंगे। इन नियमों में वाहनों के उत्पादनकर्ता के साथ वाहन मालिकों को भी जवाबदेह बनाया गया है।

अरविंद पांडेय, नई दिल्ली। यदि आपके वाहन ने पंद्रह साल की आयु पूरी कर ली है और उसके रजिस्ट्रेशन को आगे की अवधि के लिए बढ़ाया भी नहीं गया है तो उसे घर पर रखना अब गैरकानूनी होगा।
वाहन स्क्रैपिंग के नए नियमों के तहत आयु पूरी करने के 180 दिनों के भीतर वाहन को पंजीकृत स्क्रैपिंग या संग्रहण केंद्रों पर अनिवार्य रूप से जमा करना होगा। ऐसा न करने पर वाहन स्वामी के खिलाफ मोटर व्हीकल एक्ट के तहत जुर्माना, वाहन के रजिस्ट्रेशन रद करने और दूसरी कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है।
स्क्रैपिंग का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा
इसके साथ ही वाहन उत्पादनकर्ता को भी हर साल एक तय मानक के तहत वाहनों की स्क्रैपिंग का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा, तभी उन्हें नए वाहनों के उत्पादन की भी अनुमति मिलेगी। इन नियमों से कृषि कार्य में लगे वाहनों को मुक्त रखा गया है।
नए वाहनों के उत्पादन की अनुमति
वाहनों के उत्पादनकर्ता के लिए हर साल एक निर्धारित मात्रा में वाहनों की स्क्रैपिंग को अनिवार्य कर दिया गया है। हालांकि यह उन्हें खुद नहीं करना होगा, बल्कि देश के अधिकृत स्क्रैपिंग केंद्रों से उसके प्रमाणपत्र खरीदकर प्रस्तुत करना होगा। इसके बाद ही उन्हें नए वाहनों के उत्पादन की अनुमति दी जाएगी।
मानक निर्धारित किए गए
नए स्क्रैपिंग नियमों के तहत वाहनों की स्क्रैपिंग का अर्थ है बेकार वाहनों से स्टील को स्क्रैप करना। ऐसे में स्क्रैपिंग के लिए जो मानक निर्धारित किए गए है वह वाहनों में इस्तेमाल की गई स्टील की मात्रा पर आधारित है। फिलहाल वाहन उत्पादनकर्ता को बताना होगा कि किस वर्ष वाहनों के उत्पादन में उनकी ओर से कितनी स्टील इस्तेमाल में ली गई थी।
फिटनेस की आरटीओ की देखरेख में जांच
- ऐसे में मंत्रालय ने 2025-26 के लिए वाहनों उत्पादनकर्ताओं के लिए स्क्रैपिंग के जो लक्ष्य निर्धारत किए है वह गैर-परिवहन वाहनों के लिए वर्ष 2005-06 के आधार पर व परिवहन वाहनों के लिए वर्ष 2010-11 के आधार पर निर्धारित किया गया है।
- ऐसे में प्रत्येक वाहन उत्पादनकर्ता को इन वर्षों में वाहनों में इस्तेमाल की गई स्टील में से न्यूनतम आठ प्रतिशत की स्क्रैपिंग करानी होगी।
- इसके साथ ही वाहन उत्पादनकर्ता और राज्यों को वाहनों की स्क्रैपिंग को प्रोत्साहित करने के लिए नए-नए उपाय और जागरूकता कार्यक्रम चलाने के लिए भी कहा गया है।
- सभी राज्यों ने वाहनों की आयु अपने-अपने हिसाब से निर्धारित कर रखी है। दिल्ली-एनसीआर में जहां पंद्रह साल से अधिक के पेट्रोल और दस साल से अधिक के डीजल वाहनों के संचालन पर रोक है।
- वहीं बाकी राज्यों में मोटर व्हीकल एक्ट के तहत वाहन यदि फिट है तो वह पंद्रह साल के बाद भी सड़कों पर दौड़ सकता है, लेकिन पंद्रह साल के बाद प्रत्येक पांच वर्ष में इसके फिटनेस की आरटीओ की देखरेख में जांच करानी होगी।
नई स्क्रैपिंग नीति में क्या है?
जिसमें यदि वह फिट पाया जाता है तो उसके रजिस्ट्रेशन को पांच साल की अवधि के लिए बढ़ाया जा सकता है। फिलहाल मंत्रालय ने नई स्क्रैपिंग नीति में वाहनों की जो औसत उम्र तय की है, वह परिवहन वाहनों के लिए अधिकतम 15 साल और गैर-परिवहन वाहनों के लिए 20 वर्ष रखी है।
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