समाचार सामग्री में एआई का उपयोग हो सकता है खतरनाक, कर देता है बड़ी गलतियां; शोध में खुलासा
आज का दौर एआई का है, यहां देखो जिस फील्ड में देखो वहां एआई का उपयोग हो रहा है। लेकिन एक शोध में खुलासा हुआ है कि समाचारों में एआई का उपयोग करने पर व्यापक गलतियां कर देता है और गलत तरीके से पेश करता है। समाचारों में एआई के उपयोग से जनता का विश्वास खतरे में पड़ गया है।

नए शोध से पता चलता है कि एआई सहायक समाचारों के बारे में व्यापक गलतियां करते हैं (सांकेतिक तस्वीर)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आज का दौर एआई का है, यहां देखो जिस फील्ड में देखो वहां एआई का उपयोग हो रहा है। लेकिन एक शोध में खुलासा हुआ है कि समाचारों में एआई का उपयोग करने पर व्यापक गलतियां कर देता है और गलत तरीके से पेश करता है। समाचारों में एआई के उपयोग से जनता का विश्वास खतरे में पड़ गया है।
यूरोपीय प्रसारण संघ (ईबीयू) और बीबीसी द्वारा बुधवार को प्रकाशित नए शोध के परिणामों में पाया गया कि एआई सहायक नियमित रूप से समाचार सामग्री को गलत तरीके से प्रस्तुत करते हैं, चाहे किसी भी भाषा, क्षेत्र या एआई प्लेटफॉर्म का परीक्षण किया गया हो।
रॉयटर इंस्टीट्यूट की डिजिटल न्यूज रिपोर्ट 2025 के अनुसार, कुल ऑनलाइन समाचार उपभोक्ताओं में से सात फीसदी अपनी खबरें प्राप्त करने के लिए एआई सहायकों का उपयोग करते हैं। रॉयटर ने निष्कर्षों पर उनकी टिप्पणी जानने के लिए कंपनियों से संपर्क किया है।
अध्ययन में सटीकता, स्रोत और राय बनाम तथ्य में अंतर करने की क्षमता के लिए 14 भाषाओं में एआई सहायकों का मूल्यांकन किया, जिनमें चैटजीपीटी, कोपायलट, जेमिनी और पेरप्लेक्सिटी शामिल हैं। शोध से पता चला कि कुल मिलाकर, अध्ययन किए गए AI उत्तरों में 81 फीसदी में किसी न किसी प्रकार की समस्या थी।
पेरप्लेक्सिटी ने अपनी वेबसाइट पर कहा है कि उसके "डीप रिसर्च" मोड में से एक की तथ्यात्मकता के संदर्भ में 93.9 फीसदी सटीकता है। लेकिन अध्ययन में ऐसा नहीं पाया गया है। अध्ययन के अनुसार, एआई सहायकों के एक तिहाई उत्तरों में स्रोत संबंधी गंभीर त्रुटियां पाई गईं, जैसे कि अनुपलब्धता, भ्रामकता या गलत जानकारी देना।

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