कर्ज वसूलने में कारगर साबित हो रहा दिवालियेपन पर नया कानून
इस कानून के लागू होने के बाद विश्व बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इंडेक्स पर भारत की रैंकिंग में बड़ा उछाल आया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दिवालियेपन पर नया कानून 'इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड' (आइबीसी) कर्ज वसूलने में कारगर साबित हो रहा है। इस कानून के अमल में आने के बाद बैंक और वित्तीय संस्थान दिवालियेपन का सामना कर रहे कर्जदारों से लगभग 83,000 करोड़ रुपये वसूल चुके हैं। हाल यह है कि इस कानून के डर से अब बहुत से कर्जदार खुद ही आगे आकर कर्ज चुकाने की पेशकश कर रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार इस कानून के बनने से उधार देने वाले और उधार लेने वाले दोनों के व्यवहार में काफी बदलाव आया है। कर्जदारों को मालूम है कि अगर वे निश्चित अवधि में कोई समाधान निकालने में कामयाब नहीं हुए तो उनकी कंपनी को बेचकर बैंक और वित्तीय संस्थानों का बकाया चुकाया जाएगा। आइबीसी के प्रभाव में आने के बाद दिवालियेपन का सामना कर रही कंपनियों ने भरकम 83,000 करोड़ रुपये बकाया राशि चुका दी है।
उल्लेखनीय है कि इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड 2016 के लागू होने के बाद देश में दिवालियेपन पर पुराने कानून खत्म हो गए हैं। इनमें से कई कानून तो 100 साल से भी ज्यादा पुराने थे। दिवालियेपन पर नये कानून के तहत अगर किसी कंपनी पर एक लाख रुपये से अधिक कर्ज बकाया है और कंपनी 90 दिनों तक उस कर्ज का भुगतान नहीं कर पाती है तो उधार देने वाली बैंक या वित्तीय संस्थान बैंकरप्सी कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं। इसके बाद यह कोर्ट एक प्रशासक के अधीन उस कंपनी को रख देता है जो इस बात का निर्णय करता है कि इस कंपनी की वित्तीय स्थिति सुधार कर इसे चलाया जाए या बेच दिया जाए। अगर 9 महीने के भीतर कोई योजना सफल नहीं होती तो कंपनी की संपत्तियों को बेच दिया जाता है।
इस कानून के लागू होने के बाद विश्व बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इंडेक्स पर भारत की रैंकिंग में बड़ा उछाल आया है। भारत इस रैकिंग पर 130वें स्थान से उठकर 100वें नंबर पर पहुंच गया है। माना जा रहा है कि यह कानून फंसे कर्ज की वसूली में मददगार साबित होगा। इससे बैंकों को फंसे कर्ज के संकट से उबारने में मदद मिलेगी।