नई स्वास्थ्य तकनीक लाएगी क्रांति
कहावत है कि स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मन का वास होता है। लोगों के स्वस्थ रहने से ही स्वस्थ समाज का निर्माण होता है। ऐसा समाज समृद्ध और विकसित होता है। लेकिन इस मामले में हमारी स्थिति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी कमजोर है। अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य मानकों में हम निचले
कहावत है कि स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मन का वास होता है। लोगों के स्वस्थ रहने से ही स्वस्थ समाज का निर्माण होता है। ऐसा समाज समृद्ध और विकसित होता है। लेकिन इस मामले में हमारी स्थिति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी कमजोर है। अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य मानकों में हम निचले पायदान पर हैं। इस कारण विकसित देशों की तुलना को तो छोड़ ही दिया जाना चाहिए क्योंकि अन्य विकासशील देशों की तुलना में ही भारत काफी पीछे है। इसलिए सबसे पहले स्वास्थ्य मानकों की तरफ तत्काल ध्यान देते हुए इनको सुधारने की सख्त दरकार है।
बीमारियों पर आय का बड़ा हिस्सा खर्च होने का असर अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है। इससे हमारे अपेक्षित आर्थिक विकास पर भी खतरा मंडरा रहा है क्योंकि दीर्घकालिक अवधि में यह अर्थव्यवस्था पर बुरा असर डालता है। देश में मातृत्व एवं शिशु मृत्यु दर का स्तर पहले से ही ऊंचा हैं। इसके अलावा बदलती जीवनशैली के कारण लोगों में कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है।
इसके अतिरिक्त हमारे स्वास्थ्य तंत्र में पहले से ही तमाम खामियां हैं और यह लचर है। इस क्षेत्र में कमजोर वित्तीय स्रोतों के कारण संसाधनों का अभाव है। बजटीय आवंटन अपेक्षित नहीं रहता है। अनेक श्रेणियों में स्वास्थ्य पेशेवरों की भारी कमी है। उसका सीधा असर स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ रहा है।
ऐसे में यदि इस समस्या से निजात पाई जा सके और इस खामी को दूर किया जा सके तो देश के लोगों को बेहतर और अपेक्षित स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराई जा सकती है।
इस संदर्भ में प्रधानमंत्री ने दो महत्वपूर्ण बातों की ओर ध्यान देने को कहा है-पहला, बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं के स्तर को सुधारने और दूसरा, नवोन्मेषी तकनीक को अपनाने पर जोर दिया है।
वास्तव में पिछड़े स्वास्थ्य तंत्र को सुधारने का यह सबसे बेहतरीन नुस्खा है। जमीनी स्तर पर तैनात बड़ी संख्या में स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षण एवं नई तकनीक का ज्ञान कराकर प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं के स्तर को बड़े पैमाने पर सुधारा जा सकता है। इससे ग्रामीण इलाकों में डॉक्टरों की भारी कमी के अंतर को काफी हद तक पाटने में सुविधा होगी और प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं के स्तर को काफी हद तक बेहतर किया जा सकेगा। साथ ही इसके जरिये शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं को प्रदान करने के लिए किफायती प्रभावी मॉडल को विकसित किया जा सकेगा।
अब ऐसी नई तकनीक उपलब्ध हैं जिनका उपयोग प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित कर किया जा सकता है। ये हैंड हेल्ड एंड्रॉयड डिवाइसेज हैं। इनमें रोगों के निदान के लिए विभिन्न स्तरों पर बिंदुवार जानकारियां उपलब्ध होती हैं। इसके साथ ही उनमें निर्णय लेने के लिए सहायता तंत्र भी स्थापित होता है ताकि इससे उपयोग करने वाले को निश्चित निर्णय तक पहुंचने में सहायता मिल सके।
इनके जरिये सहायक नर्स मिडवाइफ (एएनएम) और सामुदायिक स्वास्थ्य कर्मियों को सक्षम बनाने के साथ अपने स्तर पर ही काफी कुछ निर्णय ले सकने में सक्षम बनाने में मदद की जा सकती है। इनके अधिक सक्षम और सामथ्र्यवान होने से ग्रामीण स्तर की प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं के स्तर में बड़े स्तर पर सकारात्मक बदलाव लाए जा सकते हैं।
इस तरह की एक डिवाइस पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने तैयार की है। इस डिवाइस का नाम स्वास्थ्य स्लेट है। मातृत्व और शिशु स्वास्थ्य सेवाओं के स्तर को सुधारने के लिए विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर समेत कई राज्यों में उपयोग किया जा रहा है।
कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में इसको नई स्वास्थ्य तकनीक के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कदम बताया गया है। चंद रोज पहले अंतरराष्ट्रीय अखबार द वाल स्ट्रीट जर्नल ने इसकी सराहना करते हुए स्वास्थ्य क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव लाने में सक्षम छह नई स्वास्थ्य तकनीकों में शुमार किया है।
इनके विषय में कहा गया ये दुनिया भर में लाखों लोगों के स्वास्थ्य में सुधार लाने में सक्षम हैं। ऐसे में सरकार इन नई स्वास्थ्य तकनीकों का पूरे देश में इस्तेमाल कर अपने किए वादे को पूरा कर सकती है।
इसके अतिरिक्त मोबाइल फोन अपनी सर्वत्र उपस्थिति के कारण इस काम में अहम भूमिका निभा सकते हैं। ये स्वास्थ्य सूचनाओं के प्रसार में महत्वपूर्ण चैनल की भूमिका निभा सकते हैं। इसके साथ ही प्राथमिक स्वास्थ्यकर्मियों, रोगियों और अन्य सक्षम लोगों को सलाह, उपचार और स्वास्थ्य निगरानी के संबंध में जानकारी उपलब्ध करा सकते हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।