नई दिल्ली, जेएनएन। भारत इस समय इतिहास के अपने सबसे चिंताजनक जल संकट से जूझ रहा है। देश के लगभग 60 करोड़ लोगों को पीने के साफ पानी की किल्लत है। ये समस्या अगले दो सालों में और भयावह होने जा रही है। जी हां, अगले दो साल में देश की राजधानी दिल्ली, बेंगलुरु और हैदराबाद समेत 21 शहरों में भूजल (जमीन के नीचे मौजूद पानी) भंडार सूख जाएंगे। नीति आयोग ने ये भयावह आंकड़े अपनी ताजा रिपोर्ट में जारी किए हैं। रिपोर्ट बताती है कि इस जल संकट से लगभग 10 करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित होंगे।
नीति आयोग की 'कंपोजिट वॉटर मैनेजमेंट इंडेक्स' नाम की इस रिपोर्ट को जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में पेश किया। रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि 2030 तक देश में पानी की मांग मौजूदा सप्लाई से लगभग दो गुनी हो जाएगी। इससे करोड़ों लोगों के सामने प्यास से जूझने की नौबत आ जाएगी। इसका असर देश के विकास पर भी पड़ेगा और जीडीपी में 6 फीसदी की कमी आएगी यानि जल संकट का प्रभाव लोगों के स्वास्थ्य के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था पर भी देखने को मिलेगा, जो बेहद चिंता का विषय है।
रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले आंकड़े भी सामने आए हैं। यह रिपोर्ट बताती है कि देश में लगभग 70 फीसद पानी प्रदूषित हो चुका है, ये अब पीने योग्य नहीं है। पानी की गुणवत्ता की सूची में मौजूदा 122 देशों में भारत 120वें नंबर पर है। इस समय पीने का साफ पानी मुहैया न होने की वजह से हर साल लगभग 2 लाख लोगों की मौत हो जाती है। इसमें इस बात पर जोर दिया गया है कि देश में जल संसाधनों और उनके इस्तेमाल के बारे में सही सोच विकसित करने की जरूरत है।
इस रिपोर्ट को डेलबर्ग एनालिसिस, फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन (एफएओ) और यूनिसेफ जैसी स्वतंत्र एजेंसियों से मिले आंकड़ों के आधार पर तैयार किया गया है। नीति आयोग ने समग्र जल प्रबंधन के आधार पर सभी राज्यों की एक सूची भी बनाई है। इसमें 9 व्यापक क्षेत्र और 28 अलग-अलग सूचक हैं, उदाहरण के लिए, भूजल, जलाशयों की मरम्मत, सिंचाई, खेती के तरीके, पीने का पानी, जल नीति और प्रशासन शामिल है। इस सूची में गुजरात सबसे ऊपर है, जबकि झारखंड सबसे निचले पायदान पर है।
हालांकि यह पहली बार नहीं है, बेंगलुरु में भयावह भूजल संकट को लेकर किसी ने ध्यान आकर्षित कराया है। कुछ महीने पहले बीबीसी की एक रिपोर्ट में भी इस समस्या को उजागर किया गया था। इस रिपोर्ट में बताया गया था कि बेंगलुरु में तेजी से भूजल घट रहा है। जानकारों का भी मानना है कि जल संकट को लेकर खतरे की घंटी बज चुकी है। अगर जल्द ही जल प्रबंधन को लेकर उचित कदम नहीं उठाए गए, तो स्थिति बेहद गंभीर हो जाएगी।