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    सतत विकास लक्ष्यों की नई कार्ययोजना जारी, अमीर और गरीब देशों के बीच अंतर कम करने पर होगा जोर

    By Jagran NewsEdited By: Amit Singh
    Updated: Mon, 12 Jun 2023 08:06 PM (IST)

    वाराणसी में जी-20 देशों के सामाजिक व आर्थिक विकास से जुड़े मंत्रालयों व विभागों की बैठक के बीच में सोमवार को भारत ने नये सहस्त्राब्दि लक्ष्यों के लिए सात वर्षीय कार्ययोजना को जारी किया है। 2023 की यह कार्ययोजना 2016 में तय कार्ययोजना की जगह लेगी।

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    अमीर और गरीब देशों के बीच अंतर कम करने पर जोर

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: दुनिया में अमीरी और गरीबी का भेद समाप्त करने और वैश्विक स्तर पर सामाजिक व आर्थिक विकास की असमानता को दूर करने के लिए तय सहस्त्राब्दि लक्ष्यों (एसडीजी) को फिर से केंद्र में लाने में भारत सफल रहा है। वाराणसी में जी-20 देशों के सामाजिक व आर्थिक विकास से जुड़े मंत्रालयों व विभागों की बैठक के बीच में सोमवार को भारत ने नये सहस्त्राब्दि लक्ष्यों के लिए सात वर्षीय कार्ययोजना को जारी किया है। 2023 की यह कार्ययोजना 2016 में तय कार्ययोजना की जगह लेगी।

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    पहले कोरोना महामारी और इसके बाद यूक्रेन युद्ध की वजह से सहस्त्राब्दि लक्ष्यों को लेकर विश्व का ध्यान हट चुका था, लेकिन भारत ने अपनी अध्यक्षता में नई कार्ययोजना को लेकर साझा सहमति बना कर यह भी साबित किया है कि वह ग्लोबल साउथ देशों का नेतृत्व करने को लेकर कितना गंभीर है।यह कार्ययोजना न सिर्फ अमीर व गरीब देशों के बीच तकनीकी विभेद को समाप्त करने का रोडमैप देती है, बल्कि यूक्रेन विवाद की वजह से ऊर्जा व खाद्य सुरक्षा को लेकर जो चिंताएं पैदा की हैं, उसका भी समाधान बताने की कोशिश की है।

    यह दुनिया में महिलाओं की आर्थिक व सामाजिक सशक्तीकरण की बात करता है, दुनिया से प्रदूषण को कम करने के लिए पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा को अपनाने को लेकर एक साझा रणनीति बनाने की वकालत करता है। गरीब व विकासशील देशों की जनता को ज्यादा संपन्न बनाने के लिए अमीर देशों की तरफ से ज्यादा निवेश बढ़ाने की बात करता है।

    कार्ययोजना कहती है कि 2030 तक दुनिया में विकास की ऐसी गति अपनाई जानी चाहिए, जिससे कोई भी देश पीछे न छूटे। सभी को विकास के समान अवसर मिले। इसमें कहा गया है कि सभी देशों व बहुराष्ट्रीय एजेंसियों की तरफ से ठोस प्रतिबद्धता दिखाए बगैर लैंगिग भेदभाव व महिलाओं के सशक्तीकरण के लक्ष्यों को हासिल नहीं किया जा सकेगा।

    महिलाओं और बालिकाओं को स्तरीय शिक्षा प्रदान करने की राह की हर बाधा दूर करने के लिए भी वैश्विक प्रयास करने का आह्वान है। डिजिटल विभेद को एक बड़ी चुनौती के तौर पर चिन्हित करते हुए इसका एक ठोस समाधान निकालने की बात भी इसमें है। इस बारे में अंतरराष्ट्रीय गठजोड़ को बढावा देने, तकनीक में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने जैसे सुझाव हैं।

    इसमें जी-20 देशों से कहा गया है कि वह अपने वित्त मंत्रालय और विकास से जुड़े मंत्रालयों के बीच बेहतर सामंजस्य बनाने की भी व्यवस्था करें, ताकि भविष्य में नीतियों के बीच गहरा तालमेल हो। एसडीजी को इस लक्ष्य से तैयार किया गया था कि दुनिया से गरीबी को समाप्त किया जा सके और ऐसे विकास की नींव रखी जा सके जो पर्यावरण के लिए नुकसानदेह न हो और महिलाओं, बालिकाओं और बच्चों की स्थिति को बेहतर किया जा सके।