'दुश्मनों को कभी कम नहीं आंकना चाहिए', राजनाथ सिंह ने किस खतरे को लेकर सेना को किया आगाह?
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर को आतंकवाद के खिलाफ भारत की नई रणनीति बताया। उन्होंने सैन्य कमांडरों से दुश्मनों को कम न आंकने की चेतावनी दी और सीमा पर तैनात सैनिकों की सराहना की। रक्षामंत्री ने कहा कि भारत आतंकवाद का जवाब अपनी शर्तों पर देगा। उन्होंने चीन के साथ तनाव पर बातचीत जारी रखने और सीमा पर तत्परता बनाए रखने की बात कही।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर को आतंकवाद के खिलाफ जन्मी भारत की नई रणनीतिक सोच का प्रतीक बताते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सैन्य कमांडरों से दुश्मन को कभी कम नहीं आंकने को लेकर आगाह किया।
राष्ट्र की अखंडता की रक्षा के लिए चौबीसों घंटे सीमा पर तैनात रहने वाले सैनिकों का आभार जताने के साथ ही रक्षामंत्री ने उनसे दुश्मनों को कभी कम न आंकने और हमेशा सतर्क एवं तैयार रहने का आह्वान किया। साथ ही कहा कि ऑपरेशन सिंदूर से जन्मी नई रणनीतिक सोच यह है कि भारत किसी भी आतंकवादी गतिविधि का अपनी शर्तों पर जवाब देता है। यह नए भारत का रक्षा सिद्धांत है, जो संकल्प और साहस दोनों का प्रतीक है। आतंकवादियों के खिलाफ हमारी सेनाओं द्वारा की गई कार्रवाई नीतिगत सटीकता और मानवीय गरिमा, दोनों के अनुरूप थी।
लोंगेवाला और तनोट सीमा का लिया जायजा
रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि ऑपरेशन सिंदूर अभी खत्म नहीं हुआ है और शांति के लिए हमारा मिशन तब तक जारी रहेगा जब तक एक भी आतंकवादी मानसिकता जीवित है। राजस्थान के जैसलमेर में ऑपरेशन सिंदूर के बाद सेना के कमांडरों के पहले सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान रक्षामंत्री ने यह बात कही।
राजनाथ सिंह ने कमांडर सम्मेलन में हिस्सा लेने के बाद शुक्रवार को राजस्थान के तनोट और लोंगेवाला के सीमा के अग्रिम क्षेत्रों का दौरा कर सेना की सुरक्षा स्थिति और सैन्य ऑपरेशन तैयारियों का जायजा लिया।
'ऑपरेशन सिंदूर राष्ट्रीय चरित्र का प्रतीक'
कमांडरों से रूबरू होते हुए रक्षामंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर को भारत के सैन्य कौशल और राष्ट्रीय चरित्र का प्रतीक बताते हुए कहा कि सैनिकों ने यह दिखाया कि उनकी ताकत केवल हथियारों में ही नहीं बल्कि उनके नैतिक अनुशासन और रणनीतिक स्पष्टता में भी निहित है। ऑपरेशन सिंदूर इतिहास में न केवल एक सैन्य अभियान के रूप में बल्कि राष्ट्र के साहस और संयम के प्रतीक के रूप में भी दर्ज किया जाएगा।
भविष्य में कैसी होगी सेना की तैयारी?
भविष्य की चुनौतियों के मद्देनजर सेना की तैयारियों के संदर्भ में रक्षामंत्री ने कमांडरों से रक्षा कूटनीति, आत्मनिर्भरता, सूचना युद्ध, रक्षा ढांचा और सेना आधुनिकीकरण पर ध्यान केंद्रित करने पर फोकस करने की बात कही। सैन्य बलों के प्रोफेसनल्जिम, साहस और लचीलेपन की सराहना करते हुए रक्षा मंत्री ने सैन्य आपरेशन तैयारियों को उच्चतम स्तर को बनाए रखने के लिए सभी संसाधन मुहैया कराने को लेकर सरकार की अटूट प्रतिबद्धता दोहरायी।
कमांडर सम्मेलन के दौरान सेना के वरिष्ठ नेतृत्व के साथ ग्रे जोन युद्ध और संयुक्तता, आत्मनिर्भरता और नवाचार के रोडमैप सहित प्रमुख पहलुओं पर विस्तृत विचार-विमर्श किया गया। इसमें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह, उप-सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल पुष्पेंद्र सिंह के साथ सेना के सभी कमांडर मौजूद थे।
चीन से तनाव पर क्या बोले राजनाथ सिंह?
रक्षामंत्री ने उत्तरी सीमा पर स्थिति के बारे में चीन से चल रही बातचीत और तनाव कम करने के कदमों के संदर्भ में कहा कि यह भारत की संतुलित और दृढ़ विदेश नीति को प्रदर्शित करता है। उन्होंने कहा हमारी नीति स्पष्ट है कि बातचीत जारी रहेगी और सीमा पर हमारी तत्परता बरकरार रहेगी।
सैनिकों की इच्छाशक्ति और अनुशासन की सराहना करते हुए कहा कि राजनाथ ने कहा कि भारतीय सेना को दुनिया की सबसे अनुकूलनशील सेनाओं में से एक माना जाता है। चाहे सियाचिन का बर्फीला इलाका हो, राजस्थान के रेगिस्तान की चिलचिलाती गर्मी या घने जंगलों में आतंकवाद विरोधी अभियान हमारे सैनिकों ने हमेशा अपनी क्षमता और प्रतिबद्धता का परिचय दिया है। कठिन परिस्थितियों से तालमेल बिठा वे राष्ट्रीय सुरक्षा को और मजबूत करते हैं। रक्षामंत्री ने कहा कि वर्तमान युद्ध तकनीक-आधारित होते हुए भी सैनिक देश की सबसे बड़ी संपत्ति हैं।

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