'लिपुलेख पर नेपाल का दावा ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित नहीं', भारत ने दिया करारा जवाब
भारत ने बुधवार को लिपुलेख दर्रे के माध्यम से सीमा व्यापार फिर से शुरू करने के भारत और चीन के फैसले पर नेपाल की आपत्ति को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया और कहा कि उनका दावा ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित नहीं है। भारत और चीन मंगलवार को लिपुलेख दर्रे और दो अन्य व्यापारिक बिंदुओं के माध्यम से सीमा व्यापार फिर से शुरू करने पर सहमत हुए है।

पीटीआई, नई दिल्ली। भारत ने बुधवार को लिपुलेख दर्रे के माध्यम से सीमा व्यापार फिर से शुरू करने के भारत और चीन के फैसले पर नेपाल की आपत्ति को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया और कहा कि इस क्षेत्र पर काठमांडू का दावा उचित नहीं है और न ही ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित है। भारत और चीन मंगलवार को लिपुलेख दर्रे और दो अन्य व्यापारिक बिंदुओं के माध्यम से सीमा व्यापार फिर से शुरू करने पर सहमत हुए है।
लिपुलेख क्षेत्र नेपाल का अभिन्न अंग है- नेपाल
नेपाली विदेश मंत्रालय ने बुधवार को लिपुलेख दर्रे के जरिए सीमा व्यापार फिर से शुरू करने के कदम पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह क्षेत्र नेपाल का अभिन्न अंग है। 2020 में, नेपाल ने एक राजनीतिक मानचित्र जारी करके सीमा विवाद को जन्म दिया था, जिसमें कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख को देश का हिस्सा दिखाया गया था। भारत ने इन दावों का कड़ा विरोध किया था।
भारत ने नेपाल को दिया करारा जबाव
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने नेपाल के क्षेत्रीय दावों को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि हमने लिपुलेख दर्रे के जरिए भारत और चीन के बीच सीमा व्यापार फिर से शुरू करने के संबंध में नेपाल के विदेश मंत्रालय की टिप्पणियों पर ध्यान दिया है। इस संबंध में हमारी स्थिति निरंतर और स्पष्ट रही है। लिपुलेख दर्रे के जरिए भारत और चीन के बीच सीमा व्यापार 1954 में शुरू हुआ था और दशकों से चल रहा है।
रणधीर जायसवाल ने कहा कि हाल के वर्षों में कोविड-19 महामारी और अन्य घटनाओं के कारण व्यापार बाधित हुआ था और अब दोनों पक्ष इसे फिर से शुरू करने पर सहमत हुए हैं। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय दावों के संबंध में, हमारा रुख यही है कि ऐसे दावे न तो उचित हैं और न ही ऐतिहासिक तथ्यों और साक्ष्यों पर आधारित हैं।
भारत और चीन लिपुलेख दर्रे से व्यापार करने को हुए हैं सहमत
नेपाल के विदेश मंत्रालय का बयान भारत और चीन द्वारा लिपुलेख के माध्यम से सीमा व्यापार फिर से शुरू करने की घोषणा के संबंध में नेपाली मीडिया द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब में आया है।
नेपाल के विदेश मंत्रालय ने कहा कि नेपाल सरकार का स्पष्ट मानना है कि महाकाली नदी के पूर्व में स्थित लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी नेपाल के अविभाज्य अंग हैं। इन्हें आधिकारिक तौर पर नेपाली मानचित्र में भी शामिल किया गया है और संविधान में भी शामिल किया गया है।
नेपाल सरकार ने चीन सरकार को पहले ही सूचित कर दिया है
नेपाल विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लोक बहादुर छेत्री द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि यह सर्वविदित है कि नेपाल सरकार भारत सरकार से अनुरोध करती रही है कि वह इस क्षेत्र में सड़कों का निर्माण या विस्तार न करे और सीमा व्यापार जैसी किसी भी गतिविधि में शामिल न हो। इसमें आगे कहा गया है कि नेपाल सरकार ने चीन सरकार को पहले ही सूचित कर दिया है कि यह क्षेत्र नेपाली क्षेत्र में आता है।''
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