न रेंज रोवर और न मर्सिडीज.. पीएम मोदी ने पुतिन के साथ सवारी के लिए फॉर्च्यूनर ही क्यों चुनी?
रूसी राष्ट्रपति पुतिन के भारत दौरे पर पीएम मोदी ने प्रोटोकॉल तोड़कर उनका स्वागत किया। दोनों नेता फॉर्च्यूनर में पीएम आवास के लिए रवाना हुए, जिसने सबका ...और पढ़ें

फॉर्च्यूनर कार में सवार राष्ट्रपति पुतिन और पीएम मोदी। X- @narendramodi)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4 साल बाद दो दिवसीय दौरे पर भारत पहुंचे तो कूटनीति का पहला अध्याय रनवे से ही शुरू हुआ। पीएम नरेंद्र मोदी प्रोटोकॉल तोड़ एयरपोर्ट पहुंचे और पुतिन को गले लगाया।
फिर वो पल आया, जिसने पूरी दुनिया ध्यान खींचा। वो पल था- जब पुतिन और मोदी एक साथ फॉर्च्यूनर सवार हो प्रधानमंत्री आवास के लिए रवाना हुए। इस तस्वीर पर सबकी नजरें इसलिए अटकीं, क्योंकि मोदी का आधिकारिक काफिला आमतौर पर रेंज रोवर या मर्सिडीज-मेबैक S650 गार्ड से चलता है। सवाल उठने लगे- क्या यह सिर्फ संयोग था या एक सोचा-समझा संदेश?
कहा जाता है कि कूटनीति में कुछ भी यूं ही नहीं होता है, यहां बात और कदम के मायने और दूरगामी संदेश होते हैं। हालांकि रेंज रोवर या मर्सिडीज के बजाय फॉर्च्यूनर को क्यों चुना गया इसका सरकार की ओर से तो कोई आधिकारिक जवाब सामने नहीं आया है, लेकिन इंडिया टुडे और अन्य मीडिया रिपोर्ट्स में जियोपॉलिटिकल एक्सपर्ट ने अगल-अलग थ्योरी पेश की है।
यूरोपीय ब्रांड से पुतिन की दूरी
सबसे मुख्य थ्योरी जो निकलकर सामने आ रही है उसमें यूरोपीय ब्रांड के बजाय जापानी ब्रांड की गाड़ी का चुनाव ऐसे समय में प्रतीकात्मक रूप से बेदह महत्वपूर्ण हो जाता है, जब भारत और रूस दोनों देश, यूक्रेन युद्ध की वजह से पश्चिमी देशों की कड़ी निगरानी का सामना कर रहे हैं।
डिफेंस एक्सपर्ट कर्नल रोहित देव ने इसे 'पश्चिम के लिए एक संदेश'बताया और कहा, "पुतिन को यूरोपीय ब्रांड की गाड़ी में ले जाना, खासकर मॉस्को पर प्रतिबंधों का समर्थन करने वाले देशों पर नकारात्मक प्रभाव डालता।"
पीएम मोदी के काफिले में कौन सी कार?
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आधिकारिक कारों में रेंज रोवर और मर्सिडीज-मेबैक S650 गार्ड शामिल है, जो कि दोनों ही यूरोपीय ब्रांड हैं। यूके और जर्मनी, यहां ये कारें बनती है, दोनों ही देश कीव प्रमुख समर्थक रहे हैं और उन्होंने रूस पर प्रतिबंध भी लगाए हैं।
इंडिया टुडे ने एक सीनियर स्ट्रैटेजिक कॉमेंटटर के हवाले से बताया, "राजकीय यात्रा के दौरान व्लादिमीर पुतिन के लिए एक यूरोपीय कार राजनीतिक रूप से असहज होती। एक जापानी गाड़ी ऐसी किसी भी असहजता से पूरी तरह बचा लेती है।"
सोशल मीडिया पर भी एक लाइन खूब चली - 'एशियाई ब्रांड का चुनाव, पश्चिमी नैरेटिव को चतुराई से दरकिनार करता है।'
मेक इन इंडिया का संदेश
फॉर्च्यूनर के कई मॉडल भारत में बनाए जाते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जो फॉर्च्यूनर इस्तेमाल हुई, वह सिग्मा 4 संस्करण थी और महाराष्ट्र नंबर प्लेट वाली थी। इसी तरह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी रूसी रक्षा मंत्री आंद्रेई बेलोउसॉव को ले जाते समय सफेद फॉर्च्यूनर ही चुनी। इससे स्पष्ट है कि यह हरकत किसी एक इवेंट की नहीं, बल्कि एक बड़े कम्युनिकेशन स्ट्रैटेजी का हिस्सा हो सकती है।
सबसे प्रैक्टिकल रीजन- सीटिंग अरेंजमेंट
कूटनीति में हर छोटी बात मायने रखती है और कभी-कभी सबसे साधारण कारण भी सबसे अहम हो जातता है। सरकारी सूत्रों की मानें तो फॉर्च्यूनर का तीसरा रो (थर्ड-रो सीटिंग) असली गेमचेंजर था। दोनों नेताओं के साथ उनके दुभाषिए भी सफर कर रहे थे। ऐसे में रेंज रोवर में थर्ड रो नहीं होता, लेकिन फॉर्च्यूनर में दुभाषिए पहले से बैठ सकते थे। इससे न सुरक्षा व्यवस्था प्रभावित हुई, न प्रोटोकॉल।

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