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    डॉक्टरों की चेतावनी के बाद भी नहीं जागा प्रशासन, 16 सितंबर को ही बताया था- दवा से खराब रही किडनी

    Updated: Sat, 11 Oct 2025 03:41 AM (IST)

    सिविल सर्जन कार्यालय की लापरवाही सामने आई है, जहाँ डॉक्टरों ने 16 सितंबर को दवा के दुष्प्रभाव से किडनी खराब होने की चेतावनी दी थी, पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। पीड़ितों की बढ़ती संख्या के बावजूद स्वास्थ्य विभाग ने कोई कदम नहीं उठाया। चेतावनी के बाद भी जांच शुरू नहीं हुई, जिससे प्रशासनिक संवेदनहीनता उजागर होती है।

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    डॉक्टरों की चेतावनी के बाद भी नहीं जागा प्रशासन


    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा और बैतूल में 23 बच्चों की मौत के मामले में प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है। 'मौत' की चेतावनी देने वाले नागपुर के कलर्स अस्पताल के संचालक डा. राजेश अग्रवाल ने 16 सितंबर को ही छिंदवाड़ा जिले के परासिया के पार्षद अनुज पाटकर को फोन करके बताया था कि क्षेत्र से रेफर होकर आए एक बच्चे में किडनी फेलियर असामान्य लग रहा है। यह किसी दवा या कीटनाशक के असर के कारण ही हो सकता है।

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    पार्षद के माध्यम से यह बात एसडीएम तक पहुंची तो अज्ञात बीमारी के डर के चलते सर्वे शुरू कर दिया। लेकिन, पीड़ित बच्चों का किडनी फंक्शन टेस्ट नहीं कराया गया। इसके अलावा न ही यह पता करने का प्रयास किया गया कि किडनी क्यों फेल हो रही है। 17 से 24 सितंबर के बीच आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से घर-घर जाकर सर्वे कराया जा रहा था कि कोई बच्चा बीमार तो नहीं है। इसमें सबसे बड़ी लापरवाही मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) और खंड चिकित्सा अधिकारी (बीएमओ) की रही।

    उन्होंने एक डॉक्टर की चेतावनी को नजरंदाज ही कर दिया। 24 सितंबर को किडनी की बायोप्सी में डायथिलीन ग्लाइकाल (डीईजी) की पुष्टि होने के बाद कोल्ड्रिफ सीरप लिखने वाले डॉ. प्रवीण सोनी का क्लीनिक और मेडिकल स्टोर बंद कराया गया।

    कलेक्टर मिले नहीं, एडीएम नाराज हो गए

    जहरीले कफ सीरप से जान गंवाने वाली छिंदवाड़ा जिले के परासिया तहसील की 2.5 वर्ष की योजिता ठाकरे के पिता निजी स्कूल में शिक्षक हैं। उन्हें जब नागपुर में उपचार के दौरान दवा से किडनी फेल होने की बात उन्हें बताई गई तो इन्होंने तत्कालीन कलेक्टर शीलेंद्र सिंह को यह जानकारी देने का प्रयास किया, लेकिन वह नहीं मिले।

    एडीएम धीरेन्द्र सिंह को जब उन्होंने बताया तो वह नाराज हो गए। सुशांत के अनुसार, एडीएम ने कहा कि पहले निजी अस्पतालों में जाते हो। उन्हीं पर भरोसा करते हो। सरकारी अस्पताल का कभी मुंह देखा है क्या।

    नागपुर के ही एक और अस्पताल संचालक ने आगाह कर पत्र भी भेजा था

    परासिया के खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. अंकित सहलाम ने बताया कि नागपुर के ही एक अस्पताल संचालक ने पत्र लिखकर बच्चों के किडनी फेल होने की जानकारी दी थी, लेकिन यह आशंका नहीं थी कि कफ सीरप की वजह से ऐसा हो रहा है। इसी कारण घर-घर सर्वे शुरू कराया। बाद में किडनी फंक्शन टेस्ट भी सर्वे के साथ कराया।

    डॉ. राजेश अग्रवाल ने कहा कि इतना तेजी से किडनी फेल होने का कारण कोई दवा या कीटनाशक ही हो सकता है। मैंने एक ही बच्चे का उपचार किया था। इसके बाद परासिया क्षेत्र में जो भी हमारे परिचित हैं, उन्हें यह जानकारी दी थी।