UG-NEET और JEE परीक्षाओं में दिख सकते हैं कई बदलाव, पेन-पेपर के बजाय कंप्यूटर आधारित परीक्षा की सिफारिश
मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी और जेईई मेन जैसी परीक्षाओं में अगले साल से महत्वपूर्ण बदलाव होंगे। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) परीक्षा केंद्रों के चयन रियल टाइम मॉनिटरिंग और प्रश्नपत्रों की कठिनाई के स्तर को छात्रों के अनुकूल बनाने जैसे सुधार कर रही है। राधाकृष्णन समिति की सिफारिशों के आधार पर एनटीए परीक्षाओं में पारदर्शिता बढ़ाने और कोचिंग पर छात्रों की निर्भरता कम करने के लिए प्रयासरत है।

जागरण, नई दिल्ली। मेडिकल में दाखिले से जुड़ी परीक्षा नीट-यूजी सहित जेईई मेन और यूजीसी नेट जैसी प्रमुख परीक्षाओं में अगले वर्ष से महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल सकते हैं। इन परीक्षाओं के आयोजन का जिम्मा संभालने वाली नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) इनमें सुधार को लेकर तेजी से जुटी है।
इनमें परीक्षा केंद्रों के चयन, रीयल टाइम मॉनिटरिंग, आधार-आधारित वेरिफिकेशन और प्रश्नपत्रों की कठिनाई के स्तर को ग्रामीण पृष्ठभूमि वाले छात्रों के अनुकूल बनाने जैसे कई उपाय शामिल हैं। इन प्रयासों से परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ने की उम्मीद है। एनटीए ने ये सुधार डा. के राधाकृष्णन समिति की सिफारिशों के आधार पर शुरू किए हैं।
पेन-पेपर के बजाय कंप्यूटर आधारित परीक्षा की सिफारिश
समिति ने नीट परीक्षाओं को पेन-पेपर के बजाय कंप्यूटर आधारित कराने की सिफारिश भी की थी। हालांकि, इस पर अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। शिक्षा मंत्रालय और एनटीए को इस दिशा में कोई आपत्ति नहीं है।
नीट-यूजी का मामला स्वास्थ्य मंत्रालय से संबंधित
मंत्रालय के अनुसार, नीट-यूजी का मामला स्वास्थ्य मंत्रालय से संबंधित है, इसलिए नीतिगत निर्णय उसी के द्वारा लिया जाएगा। कंप्यूटर आधारित परीक्षा के लाभ और हानियों का अध्ययन भी किया जा रहा है। इसमें जेईई मेन को कंप्यूटर के जरिए कराने के बाद ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों पर पड़े प्रभाव और उससे पहले की स्थिति को आधार बनाया गया है।
छात्रों की कोचिंग पर बढ़ती निर्भरता चिंता का विषय
शिक्षा मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के अनुसार, हाल में नीट-यूजी और जेईई मेन जैसी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों की कोचिंग पर बढ़ती निर्भरता को समाप्त करने के लिए चिंता व्यक्त की गई है। इसके परिणामस्वरूप, प्रश्नपत्रों को इस प्रकार तैयार करने का प्रयास किया जाएगा कि छात्र स्कूलों में की गई पढ़ाई से ही अच्छे अंक प्राप्त कर सकें। कुछ अभिभावकों और कोचिंग संस्थानों के फैकल्टी सदस्यों का मानना है कि दोनों के बीच तालमेल नहीं है, जिसके चलते कोचिंग संस्थानों पर निर्भरता बढ़ जाती है।
राधाकृष्णन समिति ने की कईं महत्वपूर्ण सिफारिशें
उच्च शिक्षा सचिव विनीत जोशी की अध्यक्षता वाला नौ सदस्यीय पैनल उच्च शिक्षा में प्रवेश के लिए कोचिंग सेंटरों पर छात्रों की निर्भरता कम करने के उपाय सुझाएगा। उल्लेखनीय है कि एनटीए में सुधार के लिए राधाकृष्णन समिति का गठन 2024 में नीट-यूजी परीक्षा में गड़बड़ी के बाद किया गया था, जिसने कई महत्वपूर्ण सिफारिशें की थीं।
परीक्षाओं में सुधार के लिए उठाए गए प्रमुख कदम
- परीक्षा केंद्र सिर्फ सरकारी स्कूलों में ही होंगे।
- डीएम की सहमति से बनेंगे।
- प्रश्न पत्रों को सेंटर तक पहुंचाने की फुल प्रूफ व्यवस्था होगी। ऑनलाइन ट्रैकिंग की जाएगी।
- प्रत्येक परीक्षा केंद्र की रीयल टाइम मॉनिटरिंग की जाएगी।
- आवेदन के दौरान आधार-आधारित वेरिफिकेशन अनिवार्य होगा।
- नीट-यूजी के दौरान छात्रों की बायोमीट्रिक जांच अनिवार्य हो सकती है।
- एनटीए में स्थायी कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई जाएगी।
- परीक्षा में सुधार को लेकर छात्रों, अभिभावकों, शिक्षकों व संस्थानों से फीडबैक लिया जाएगा।
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