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Draupadi Murmu: द्रौपदी मुर्मू होंगी NDA की तरफ से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार, यशवंत सिन्हा से होगी टक्कर

President Election 2022 दिल्ली में हुई भाजपा की संसदीय बोर्ड की बैठक में एनडीए ने बड़ी घोषणा की। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा- बैठक के दौरान करीब 20 नामों पर चर्चा हुई। जिसमें तय हुआ कि इस बार पूर्वी भारत से और किसी आदिवासी महिला को मौका दिया जाए।

By Ashisha RajputEdited By: Published: Tue, 21 Jun 2022 09:37 PM (IST)Updated: Wed, 22 Jun 2022 08:03 AM (IST)
Draupadi Murmu: द्रौपदी मुर्मू होंगी NDA की तरफ से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार,  यशवंत सिन्हा से होगी टक्कर
दिल्ली में हुई भाजपा की संसदीय बोर्ड की बैठक में एनडीए ने बड़ी घोषणा की।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। राजग ने जनजातीय समुदाय से आने वाली द्रौपदी मुर्मू को जहां अपना उम्मीदवार घोषित किया है वहीं विपक्षी दलों ने संयुक्त रूप से यशवंत सिन्हा को अपना उम्मीदवार बनाया है।

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मुर्मू इस समय झारखंड की पूर्व राज्यपाल रह चुकी हैं। वहीं यशवंत सिन्हा झारखंड के मूल निवासी। इस तरह देखा जाए तो इस बार झारखंड देश को अगला राष्ट्रपति देने जा रहा है। द्रौपदी मुर्मू के नाम की घोषणा भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एक प्रेस कांफ्रेंस में की।

इससे पहले उम्मीदवार तय करने के लिए भाजपा संसदीय दल की बैठक हुई जिसमें कई नामों पर गहन विचार विमर्श हुआ। नड्डा ने बताया कि हमने विपक्ष के साथ आम सहमति बनाने की कोशिश की लेकिन बात न बनने पर मंगलवार की बैठक में हमने अपना उम्मीदवार उतारने का फैसला किया।

बैठक के दौरान करीब 20 नामों पर चर्चा हुई। जिसमें तय हुआ कि इस बार पूर्वी भारत से और किसी आदिवासी महिला को मौका दिया जाए। यदि द्रौपदी मुर्मू का चयन राष्ट्रपति पद के लिए होता है तो सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचने वाली पहली आदिवासी महिला होंगी।

भाजपा की अगुवाई वाले राजग के पक्ष में अंकों के गणित को देखते हुए इनका राष्ट्रपति के रूप में चुना जाना लगभग तय है। मुर्मू मूल रूप से ओडिशा की रहने वाली हैं। मयूरभंज जिले में पैदा हुई द्रौपदी रायरंगपुर सीट से विधायक रही हैं।

विपक्षी दलों ने यशवंत के नाम पर दांव चला

इससे पहले राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी दलों ने पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा को अपने संयुक्त उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारने का एलान किया है।

कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, सपा, माकपा-भाकपा और राकांपा से लेकर द्रमुक समेत विपक्षी खेमे की लगभग सभी पार्टियों ने मंगलवार को हुई अपनी बैठक में पूर्व भाजपा नेता सिन्हा को आम सहमति से विपक्ष का राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाने का फैसला किया।

इस फैसले के जरिये विपक्षी दलों ने भविष्य की राजनीतिक डगर पर अपनी एकजुटता और साझी रणनीति से भाजपा-राजग का सियासी मुकाबला करने का पहला संदेश देने की कोशिश की है। यशवंत सिन्हा विपक्ष के राष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर पर 27 जून को अपना नामांकन करेंगे।

विपक्षी दलों ने यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाने का एलान करने के बाद भाजपा से उनका समर्थन करने की अपील कर अपना सियासी दांव भी चला। लेकिन मौजूदा राजनीतिक हकीकत से साफ है कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आमने-सामने की चुनावी टक्कर होगी और वोटों के समीकरण के हिसाब से राजग का पलड़ा स्पष्ट रूप से भारी है।

राकांपा नेता शरद पवार की पहल पर राष्ट्रपति उम्मीदवार तय करने के लिए 15 विपक्षी दलों की संसदीय सौंध में बैठक हुई और यशवंत सिन्हा के नाम पर सहमत होने में इन दलों ने बहुत देरी नहीं लगाई। कांग्रेस के संचार व मीडिया महासचिव जयराम रमेश ने बैठक के बाद पत्रकारों के समक्ष घोषणा कि 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी दलों ने सर्वसम्मति से यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाने का फैसला किया है।

भाजपा व उसके सहयोगी दल भी करें सिन्हा का समर्थन : जयराम

राष्ट्रपति चुनाव के लिए सर्वानुमति बनाने की गंभीर पहल नहीं करने के लिए सरकार को आड़े हाथों लेते हुए जयराम ने कहा कि हम भाजपा और सरकार के सहयोगियों से राष्ट्रपति के रूप में यशवंत सिन्हा का समर्थन करने की अपील करते हैं ताकि देश एक योग्य राष्ट्रपति को निर्विरोध चुन सके।

विपक्षी खेमे के अनुसार सिन्हा 27 जून को सुबह 11.30 बजे राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल करेंगे। उनके चुनाव प्रचार का संचालन करने के लिए प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं की एक समिति का गठन किया जाएगा।

तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने ही सुझाया सिन्हा का नाम

राष्ट्रपति चुनाव में शरद पवार, फारूक अब्दुल्ला और गोपालकृष्ण गांधी के विपक्ष का उम्मीदवार बनने से इन्कार करने के बाद तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने यशवंत सिन्हा के नाम का प्रस्ताव विपक्षी खेमे को दिया।

पिछले कुछ सालों में मोदी सरकार की नीतियों के मुखर आलोचक पूर्व भाजपा नेता सिन्हा थोड़े समय पहले तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे और पाटी के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी थे। लेकिन राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार तय करने के लिए विपक्ष की हुई बैठक से ठीक पहले उन्होंने ट्वीट कर बड़ी राष्ट्रीय जिम्मेदारी के लिए तृणमूल कांग्रेस से अलग होने की घोषणा की।

राजग की वाजपेयी सरकार में वित्त और विदेश मंत्री रहे सिन्हा को उम्मीदवार बनाकर विपक्ष ने जहां एक ओर 2024 की सियासी लड़ाई के लिए एकजुट होकर आगे बढ़ने का संकेत देने की कोशिश की है वहीं दूसरी ओर इसके जरिये यह संदेश देने का भी प्रयास है कि इस लड़ाई में विपक्ष उन सभी दलों-नेताओं के लिए दरवाजा खोल कर स्वागत करने को तैयार है जो भाजपा और मोदी सरकार के खिलाफ मैदान में उतरना चाहते हैं।

कांग्रेस ने सिन्हा के नाम पर हामी भरने में नहीं की देर

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की सेहत और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से ईडी की पूछताछ में उलझी कांग्रेस ने भी सिन्हा के नाम पर हामी भरने में देरी नहीं लगाई। कांग्रेस अपनी अंदरूनी चुनौतियों को देखते हुए इस नाजुक मौके पर विपक्षी खेमे में अपनी बादशाहत थोपने का जोखिम उठाने के लिए तैयार नहीं थी।

यशवंत सिन्हा भाजपा और मोदी सरकार की नीतियों को लेकर जिस तरह के सवाल उठाते रहे हैं वह काफी हद तक कांग्रेस की राय से मिलती-जुलती ही हैं। वैसे तृणमूल, टीआरएस और आम आदमी पार्टी सरीखे दल सीधे तौर पर किसी कांग्रेस नेता को उम्मीदवार बनाने के पक्ष में नहीं थे। इस लिहाज से भी सिन्हा के नाम पर हामी भरना व्यापक विपक्षी एकता के लिए जरूरी था।

बैठक में शिवसेना की ओर से कोई नेता नहीं हुआ शामिल

पवार की सरपरस्ती में हुई इस बैठक में कांग्रेस की ओर से राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, जयराम रमेश ओर रणदीप सुरजेवाला शामिल हुए। वहीं तृणमूल से पार्टी महासचिव अभिषेक बनर्जी, सपा के रामगोपाल यादव, माकपा के सीताराम येचुरी, भाकपा के डी.राजा, द्रमुक के त्रिची शिवा आदि शामिल हुए।

महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट में उलझने के कारण शिवसेना का कोई नेता बैठक में शरीक नहीं हो पाया। जबकि राजग और संप्रग दोनों खेमों से अलग आम आदमी पार्टी, टीआरएस, अकाली दल, बीजद और वाइएसआर कांग्रेस ने इस बैठक से दूरी बनाई।

हालांकि पवार ने कहा कि टीआरएस और आम आदमी पार्टी सिन्हा की उम्मीदवारी का समर्थन करेंगी। शिवसेना तो विपक्षी गठबंधन का हिस्सा है ही। राष्ट्रपति चुनाव में हार जीत की कुंजी मुख्य रूप से बीजद और वाइएसआर कांग्रेस के हाथों में है और दोनों दलों का अभी तक झुकाव सत्ता पक्ष की ओर ही रहा है।

ममता ने दी बधाई

राष्ट्रपति चुनाव के लिए यशवंत सिन्हा को विपक्ष का उम्मीदवार चुने जाने पर ममता बनर्जी ने बधाई दी है। ममता ने सिन्हा को कुशाग्र बुद्धि का व्यक्ति बताते हुए कहा कि वे निश्चित रूप से हमारे महान राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करने वाले मूल्यों को बनाए रखेंगे।


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