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    राष्‍ट्रीय महिला आयोग ने गर्भवती महिलाओं की मदद के लिए जारी किया वॉट्सऐप हेल्पलाइन नंबर

    By Krishna Bihari SinghEdited By:
    Updated: Thu, 29 Apr 2021 05:30 PM (IST)

    कोरोना की दूसरी लहर में अस्‍पतालों में अफरातफरी का आलम है। कोरोना संक्रमितों की भारी तादाद के चलते गैर कोविड मरीजों को अपना इलाज कराने में मुश्किलें प ...और पढ़ें

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    राष्ट्रीय महिला आयोग ने गर्भवती महिलाओं को सहायता प्रदान करने के लिए एक व्हाट्सएप हेल्पलाइन नंबर शुरू किया है।

    नई दिल्‍ली, एजेंसियां। कोरोना की दूसरी लहर में अस्‍पतालों में अफरातफरी का आलम है। कोरोना संक्रमितों की भारी तादाद के चलते गैर कोविड मरीजों को अपना इलाज कराने में मुश्किलें पेश आ रही हैं। इसे देखते हुए राष्ट्रीय महिला आयोग ने एक अनूठी पहल की है। राष्ट्रीय महिला आयोग ने गर्भवती महिलाओं को आपातकालीन चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए एक वॉट्सऐप हेल्पलाइन नंबर शुरू किया है। इस हेल्पलाइन नंबर (9354954224) के जरिए गर्भवती महिलाएं आपात स्थिति में चिकित्सा सहायता हासिल कर सकती हैं।

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    गौरतलब है कि कोरोना महामारी से अभी भी दुनिया उबर नहीं पाई है। पिछले साल लोग लॉकडाउन जैसी पाबंदियों में रहे। इस दौरान बच्‍चे और महिलाओं को काफी मुश्किलें झेलनी पड़ी। बीते दिनों समाचार एजेंसी पीटीआइ ने राष्ट्रीय महिला आयोग के आंकड़ों के हवाले से एक रिपोर्ट जारी की थी। रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय महिला आयोग को साल 2020 में पिछले छह सालों में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की सबसे अधिक शिकायतें मिली थीं।

    राष्ट्रीय महिला आयोग की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक 23,722 शिकायतों में से करीब एक-चौथाई घरेलू हिंसा की थीं। सर्वाधिक शिकायतें उत्तर प्रदेश से आई थीं। यूपी में 11,872, दिल्ली में 2,635, हरियाणा में 1266 और महाराष्ट्र में 1188 केस दर्ज हुए थे। 23,722 शिकायतों में से कुल 5,294 शिकायतें घरेलू हिंसा की जबकि 7708 शिकायतें गरिमा के साथ जीवन के अधिकार के तहत की गई थीं।

    राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा के मुताबिक, आर्थिक असुरक्षा, तनाव के बढ़ते स्तर, चिंता, वित्तीय परेशानियां और परिवार से कोई भावनात्मक सहयोग नहीं मिलने की वजह से साल 2020 में घरेलू हिंसा की शिकायतें बढ गई थीं। इससे पहले देश के 22 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) की रिपोर्ट आई थी। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि पांच राज्यों की 30 फीसद से अधिक महिलाएं अपने पति द्वारा शारीरिक हिंसा की शिकार हुईं।