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    Vikram Sarabhai Birth Anniversary: क्‍यों विक्रम साराभाई की शादी में शामिल नहीं हुआ था परिवार?

    Vikram Sarabhai Birth Anniversary भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक व देश के महान वैज्ञानिक विक्रम साराभाई की जयंती है। देश को इसरो देने वाले साराभाई के प्रयासों से ही गांव-गांव तक केबल टीवी पहुंच पाया था। चांद पर भारत की नींव रखने वाले साराभाई और जानी-मानी नृत्‍यांगना मृणालिनी साराभाई की प्रेम कहानी भी बेहद रोचक है। यहां पढ़िए जन्‍मदिन विशेष

    By Deepti Mishra Edited By: Deepti Mishra Updated: Mon, 12 Aug 2024 04:35 PM (IST)
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    Vikram Sarabhai: भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम साराभाई। फाइल फोटो

     डिजिटल डेस्‍क, नई दिल्‍ली। आज चांद पर भारत की नींव रखने वाले देश के महान वैज्ञानिक डॉ. विक्रम साराभाई की जयंती है। उन्हीं के प्रयासों से देश को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) जैसी संस्था मिली। इतना ही नहीं, देश में केबल टीवी लाने का श्रेय भी  विक्रम साराभाई को ही दिया जाता है। क्‍या आप जानते हैं विक्रम साराभाई ने एक डांस अकादमी की भी स्थापना की थी?

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    12 अगस्त, 1919 को अहमदाबाद के कपड़ा मिल मालिक अंबालाल साराभाई के घर एक लड़का पैदा हुआ था, वो लड़का कोई और नहीं विक्रम साराभाई ही थे। विक्रम ने शुरुआती पढ़ाई-लिखाई भारत से पूरी की। इसके बाद आगे की पढ़ाई कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से पूरी की थी।

    बेंगलुरु में हुई थी भाभा से दोस्‍ती

    कैम्ब्रिज से भारत लौटने के बाद विक्रम साराभाई इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बेंगलुरु गए, वहां उन्हें नोबेल पुरस्कार विजेता सीवी रमन की देखरेख में अपनी रिसर्च पूरी की। महान परमाणु वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा से साराभाई की मुलाकात भी यहीं हुई थी।

    विक्रम साराभाई ने उस वक्त से ही अंतरिक्ष रिसर्च की दिशा में ध्यान देने के लिए सरकार को मनाना शुरू कर दिया था, जब सोवियत संघ ने स्पुतनिक सैटेलाइट लॉन्च किया था।

    साराभाई के लगातार के प्रयासों के बाद साल 1962 में सरकार ने इंडियन नेशनल कमेटी फॉर स्पेस रिसर्च यानी इनकोस्पार का गठन किया था, जिसके चेयरमैन साराभाई थे। बाद में  साल 1969 में इन्कोस्पार का नाम बदलकर इसरो (ISRO) कर दिया गया था। यही वजह है कि साराभाई को भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक के रूप में जाना जाता है।  

    देश में कैसे आई केबल टीवी?

    देश में केबल टीवी लाने का पूरा श्रेय भी साराभाई को जाता है। साराभाई ने देश में केबल टीवी लाने के लिए सरकार को राजी किया। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी  नासा से लगातार बातचीत की। इसी का परिणामस्वरूप 1975 में  सैटेलाइट इंस्ट्रक्शनल टेलीविजन एक्सपेरिमेंट (SITE) नाम से एक प्रायोगिक उपग्रह संचार परियोजना शुरू की थी। इस परियोजना को नासा और इसरो ने मिलकर शुरू किया था।

    साइट (SITE) की मदद से नासा के डायरेक्ट ब्रॉडकास्टिंग सैटेलाइट को इस्तेमाल कर देश के ग्रामीण क्षेत्र में टीवी कार्यक्रम उपलब्‍ध कराए गए थे। इससे दूर-दराज के गांवों में रहने वाले लोग भी टीवी से समाचार व अन्‍य कार्यक्रम देखने लगे थे। इस सैटेलाइट में नौ मीटर का एंटीना लगा था।

    बड़ी रोचक है साराभाई की प्रेम कहानी

    साराभाई परमाणु वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा से बेंगलुरु में मिले और दोनों के बीच दोस्ती हो गई। भाभा ने ही साराभाई को  मशहूर नृत्यांगना मृणालिनी स्वामीनाथन से मिलवाया था।  भाभा और मृणालिनी दोनों साथ में बैडमिंटन खेला करते थे।

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    अमृता शाह द्वारा लिखी गई साराभाई की बायोग्राफी 'विक्रम साराभाई: ए लाइफ' में इसका जिक्र किया गया है। इसमें लिखा है कि विक्रम जब पहली बार मृणालिनी से मिले तो उन्‍हें वह पसंद नहीं आईं।

    दरअसल, मृणालिनी ने उस वक्त टेनिस शॉर्ट्स पहना था और विक्रम को उनकी ये ड्रेस पसंद नहीं आई थी। हालांकि, शुरुआत में दोनों शादी करने से इनकार करते रहे थे, लेकिन धीरे-धीरे एक-दूसरे को पसंद किया तो शादी कर ली।

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    साराभाई की शादी में नहीं पहुंचे थे घरवाले

    'विक्रम साराभाई: ए लाइफ' के मुताबिक, साराभाई और मृणालिनी ने बेंगलुरु में शादी थी। उनकी शादी के वक्‍त देश में भारत छोड़ो आंदोलन चरम पर था। आंदोलनकारियों ने पटरियां उखाड़ दी थीं। इसके चलते उनके घरवाले शादी में नहीं पहुंच पाए थे।

    शादी के बाद जब साराभाई पत्‍नी के संग बेंगलुरु से अहमदाबाद के लिए रवाना हुए तो 18 घंटे के रास्‍ते को 48 घंटे में तय किया था।  

    साराभाई ने बाद में पत्‍नी मृणालिनी के साथ मिलकर दर्पण एकेडमी ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स नाम से एक डांस अकादमी की स्थापना भी की थी।

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