Swine Flu symptoms & prevention: देश में एक बार फिर पैर पसारने लगा एच1एन1 वायरस, ये हैं लक्षण और बचाव के तरीके
Swine Flu symptoms prevention भारत में एच1एन1 (स्वाइन फ्लू) वायरस फिर पैर फैला रहा है। आए दिन देश में इससे प्रभावित लोगों की संख्या बढ़ती ही जा रही है।
नई दिल्ली, जेएनएन। Swine Flu symptoms & prevention: भारत में 2019 में एक सितंबर तक स्वाइन फ्लू के 27,000 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। देश में देखें तो 2015 में इस वायरस का प्रकोप चरम पर था, तब कुल 42,592 मामले सामने आए थे। 2016 में बीमारी पर काबू पाया गया था, लेकिन 2017 में फिर से 38,811 मामले सामने आए थे। पिछले वर्ष 2018 की बात करें तो पूरे वर्ष 15,226 मामले ही सामने आए थे। 2019 में फिर से प्रभावित लोगों की संख्या बढ़ी है।
नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल की एक रिपोर्ट में 2012 से लेकर अब तक एच1एन1 के मामलों के आंकड़े पेश किए गए हैं। 2019 में स्वाइन फ्लू के 27,505 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से 1137 लोगों को जान गंवानी पड़ी है। सबसे ज्यादा 5,052 मामले राजस्थान में दर्ज किए गए हैं और यहां 206 लोगों की मौत हुई है।
इसके बाद गुजरात में 4,832 मामले सामने आए, जिसमें 149 लोगों की मौत हो गई। दिल्ली में 3,583 मामलों में 31 मौतें, महाराष्ट्र में 2,173 मामलों में 208 की जान गई। वहीं, उत्तर प्रदेश में 14 जुलाई तक 1,057 मामलों में 25 मौतें दर्ज की गई हैं। कर्नाटक में 30 अगस्त तक 1,882 मामले सामने आए, जिनमें 88 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।
पिछले साल यह थी स्थिति
2018 में देश में स्वाइन फ्लू के 15,266 मामले सामने आए थे, जिसमें 1,128 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। 2018 में तमिलनाडु (2,812), महाराष्ट्र (2,593), राजस्थान (2,375), गुजरात (2,164) और कर्नाटक (1,733) इस वायरस से सर्वाधिक प्रभावित थे। 2012 से लेकर अब तक महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान ऐसे प्रदेशों के रूप में सामने आए हैं, जिनमें इस बीमारी का प्रकोप सबसे ज्यादा रहा है।
क्या होता है स्वाइन फ्लू
स्वाइन फ्लू श्वसन तंत्र से जुड़ी बीमारी है, जो ए टाइप के इनफ्लुएंजा वायरस से होती है। इसे 1919 में एक महामारी के रूप में मान्यता दी गई थी। स्वाइन फ्लू का कारण एच1एन1 वायरस है। इसकी शुरुआत सुअरों से हुई थी। इसके लक्षणों में बुखार, खांसी, गले में खराश, ठंड लगना, कमजोरी और शरीर में दर्द आदि हैं। इससे बचने के लिए साफसफाई पर ध्यान देने की विशेष जरूरत होती है।
लक्षण
- तेज बुखार होना।
- खांसी आना।
- गले में तकलीफ होना।
- शरीर में दर्द होना।
- सिर दर्द और कंपकंपी महसूस होना।
- कमजोरी का अहसास।
- कुछ लोगों में दस्त और उल्टी की भी समस्या हो सकती है।
स्वाइन फ्लू का उपचार
- युवाओं में बुखार और ठंड से बचने के लिए पैरासिटामाल दिया जाता है।
- बच्चों को कभी कभी अतिरिक्त उपचार की आवश्यकता होती है ।
- 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को एस्पिरिन जैसी दवाएं नहीं देनी चाहिए।
- स्वाइन फ्लू का उपचार सामान्य फ्लू के जैसे ही किया जाता और ठंड, कफ, बुखार से बचने के लिए पैरासिटामाल या एंटीरेट्रोवायरल जैसी विषाणुरोधक दवाएं भी दी जाती हैं।
- स्वाइन फ्लू से बचने के लिए सुरक्षा के उपाय अपनायें। ऐसी जगह जहां संक्रमण होने की सम्भावना है वहां मास्क लगाना ना भूलें। ऐसे क्षेत्रो का दौरा करने से बचें जहां स्वाइन फ्लू फैला हो।
बरतें अतिरिक्त सावधानी
स्वाइन फ्लू एक संक्रामक बीमारी है, जो छींकने, खांसने, छूने आदि से फैलती है। इसके वायरस स्टील, प्लास्टिक में 24 से 48 घंटे, कपड़े और पेपर में आठ से 12 घंटे, टिश्यू पेपर में 15 मिनट और हाथ में 30 मिनट तक सक्रिय रहते हैं। इस वायरस को खत्म करने के लिए डिटर्जेंट, अल्कोहल, ब्लीच या साबुन का उपयोग किया जा सकता है।
भारत में एच1एन1 (स्वाइन फ्लू) वायरस फिर पैर फैला रहा है। आए दिन देश में इससे प्रभावित लोगों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल की एक रिपोर्ट में 2012 से लेकर अब तक इससे प्रभावित लोगों के आंकड़े पेश किए गए हैं। सर्वाधिक प्रकोप के वर्ष 2015 और 2017 के बाद अब 2019 में फिर से एक बार इसके मामलों में बढ़ोतरी हुई है।