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Nirbhaya Case: चारों की फांसी में सबसे बड़ी अड़चन बना Delhi Prison Manual

चारों में से मुकेश ही ऐसा दोषी है जिसके पास फांसी से बचने के सारे विकल्प समाप्त हो चुके हैं। वहीं चारों दोषियों की फांसी में सबसे बड़ी अड़चन Delhi Prison Manual बना हुआ है।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 30 Jan 2020 08:01 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jan 2020 10:57 AM (IST)
Nirbhaya Case: चारों की फांसी में सबसे बड़ी अड़चन बना Delhi Prison Manual
Nirbhaya Case: चारों की फांसी में सबसे बड़ी अड़चन बना Delhi Prison Manual

नई दिल्ली, जेएनएन। Nirbhaya Case : निर्भया मामले में चारों दोषियों (मुकेश सिंह, अक्षय सिंह ठाकुर, विनय कुमार शर्मा और पवन कुमार गुप्ता) के पास फांसी से बचने के विकल्प एक-एक करके खत्म होते जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को ही अक्षय सिंह की सुधारात्मक याचिका (Curative Petition) खारिज की है, ऐसे में उसके पास राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका लगाना ही अंतिम विकल्प के रूप में बचा है। यहां पर बता दें कि चारों में से मुकेश ही ऐसा दोषी है, जिसके पास फांसी से बचने के सारे विकल्प समाप्त हो चुके हैं। बावजूद इसके चारों को एकसाथ फांसी लगने की उम्मीद अभी नहीं नजर आ रही और इसमें चारों दोषियों की फांसी में सबसे बड़ी अड़चन Delhi Prison Manual बना हुआ है।

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क्या कहता है Delhi Prison Manual

दिल्ली जेल मैनुअल (Delhi Prison Manual) के मुताबिक, किसी अपराध में एक से अधिक दोषियों को फांसी दी जा रही हो तो किसी एक दोषी की भी याचिका लंबित रहने पर फांसी पर कानूनी तौर पर रोक रहती है। निर्भया मामले में चार दोषी हैं और चारों ही फांसी से बचने के लिए कानूनी तरीके अलग-अलग समय पर इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में एक साथ फांसी पर तब तक रोक रहेगी, जब तक चारों दोषी अपने सभी विकल्प इस्तेमाल नहीं कर लेते।

फांसी के फंदे के करीब आ रहे चारों दोषी, एक-एक कर खत्म हो रहे विकल्प

मुकेश की दया याचिका राष्ट्रपति खारिज कर चुके हैं, लेकिन उसे भी एक फरवरी को फांसी नहीं हो सकती है, क्योंकि नियमानुसार एक ही अपराध में फांसी की सजां पाए सभी दोषियों को एकसाथ सजा देने का प्रावधान है। इसी के साथ अगर चारों के पास फांसी से बचने के विकल्प बचे हैं और वे इस्तेमाल कर रहे हैं तो फांसी नहीं हो सकती है। एक और बड़ी वजह यह भी है कि फांसी की सजा पाए दोषी को 14 दिन पहले यह बताना जरूरी होता है कि उसकी फांसी की तारीख क्या है? इस दौरान वह अपनी अंतिम इच्छा समेत अन्य जरूरी काम (जिसमें अपनी संपत्ति देना) भी निपटा सकता है। इसी आधार पर दोषियों के वकील एपी सिंह ने दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में याचिका दायर कर एक फरवरी की फांसी टालने की गुजारिश की है। इस पर कोर्ट तिहाड़ जेल प्रशासन से रिपोर्ट तलब कर चुका है। ऐसे में माना जा रहा है कि एक फरवरी को चारों दोषियों की फांसी असंभव है।

पवन के पास दो विकल्प

इन चारों दोषियों में सिर्फ पवन कुमार गुप्ता ही है, जिसके पास राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका के साथ सुधारात्मक याचिका (Curative Petition) का भी विकल्प बचा हुआ है, जिसमें से राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका पवन ने बुधवार को ही भेजी है। अमूमन राष्ट्रपति के पास दया याचिका सुधारात्मक याचिका खारिज होने के बाद लगाई जाती है, लेकिन पवन ने दूसरा विकल्प पहले चुना है।

अक्षय-विनय के पास सिर्फ एक विकल्प

दोषी अक्षय ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर की थी, जो बृहस्पतिवार को खारिज हो गई अब उसके पास सिर्फ राष्ट्रपति पास दया याचिका दाखिल करने का विकल्प बचा हुआ है। इसी तरह विनय कुमार शर्मा की भी सुधारात्मक याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो चुकी है, ऐसे में उसके पास भी सिर्फ दया याचिका का विकल्प ही बचा हुआ है।

चारों पर लूट और अपहरण का केस लंबित

दोषियों के वकील एपी सिंह के मुताबिक, 16 दिसंबर, 2012 को चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म के साथ लूट और अपहरण का मामला भी चल रहा है। इस मामले में निचली अदालत ने सभी दोषियों विनय कुमार गुप्ता, मुकेश सिंह, अक्षय सिंह ठाकुर और पवन कुमार गुप्ता को 10 साल की सजा सुनाई है। इस सजा के खिलाफ चारों दोषियों ने दिल्ली हाई कोर्ट में अपील की है, जिसमें अभी सुनवाई बाकी है। नियमानुसार, जब तक लूट और अपहरण में फैसला नहीं आ जाता, दोषियों को फांसी नहीं दी सकती है।

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