बगैर राष्ट्रीय ध्वज के लाल किला, सोशल मीडिया पर फोटो हुई वायरल, सक्रिय हुई केंद्र सरकार
लालकिला की बगैर झंडे वाली सोशल मीडिया पर चल रही फोटो को लेकर विवाद हो गया है। केंद्र सरकार ने इस बारे में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से जवाब मांगा है।
नई दिल्ली [ जेएनएन ]। लालकिला के रखरखाव के कार्य को निजी कंपनी को दिए जाने को लेकर अभी विवाद ठंडा भी नहीें पड़ा था कि अब लालकिला की बगैर झंडे वाली सोशल मीडिया पर चल रही फोटो को लेकर विवाद हो गया है। केंद्र सरकार ने इस बारे में एएसआइ (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) से जवाब मांगा है।
जिस पर एएसआइ मुख्यालय ने रिपोर्ट मांगी है। इस संबंध में सोमवार को लालकिला के इंचार्ज को रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है। बता दें कि देश की शान लालकिला पर हर समय राष्ट्रीय ध्वज फहराता रहता है। लालकिला की सुरक्षा सीआइएसएफ के पास है। झंडे को शाम के समय उतारने और प्रतिदिन सुबह के समय स्थापित करने का कार्य सीआइएसएफ के पास है।पिछले तीन दिन से सोशल मीडिया पर लालकिला की बगैर राष्ट्रीय ध्वज वाली फोटो वायरल हो रही है। जिसमें लोग तरह तरह के कमेंट कर रहे हैं।
विपक्ष ने सवाल उठाया
बता दें कि लालकिला के रखरखाव की जिम्मा एक निजी समूह को दिए जाने पर विपक्ष ने केंद्र सरकार के फैसले पर सवाल उठाया है। कांग्रेस ने जहां सीधे प्रधानमंत्री पर हमला करते हुए पूछा है कि क्या वह स्वतंत्रता आंदोलन के प्रतीक को अपने कॉर्पोरेट दोस्तों को दे सकते हैं तो दूसरी ओर ममता बनर्जी ने इसे भारतीय इतिहास का काला दिन करार दिया है। एक उद्योग घराने ने पर्यटन मंत्रालय के साथ 'धरोहर को गोद लेने' की उसकी योजना के तहत एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था।
सरकार से हुए समझौते के तहत 'द डालमिया भारत' ग्रुप धरोहर का रखरखाव करेगा और उसके चारों ओर के आधारभूत ढांचों का निर्माण करेगा। उसने इसके लिए 5 साल में 25 करोड़ रूपये खर्च करने का वादा किया है। इस फैसले का कांग्रेस, सीपीएम और तृणमूल कांग्रस जैसे विपक्षी दलों ने तीखा विरोध किया है और उन्होंने भारत की आजादी के प्रतीक को एक तरह से कॉर्पोरेट के हाथों में सौंपने को लेकर सरकार पर हमला किया।