Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दिल्‍ली को प्रदूषण से मुक्‍त करने का मिल गया फार्मूला, ‘स्मॉग प्रोजेक्ट’ से होगा ये काम

    By Kamal VermaEdited By:
    Updated: Sun, 30 Sep 2018 06:36 AM (IST)

    वर्ल्‍ड आर्किटेक्चर फेस्टिवल 2018 की एक्सपेरीमेंटल फ्यूचर प्रोजेक्ट श्रेणी के तहत ‘स्मॉग प्रोजेक्ट’ नामक इस परियोजना का चयन किया गया है। ...और पढ़ें

    Hero Image
    दिल्‍ली को प्रदूषण से मुक्‍त करने का मिल गया फार्मूला, ‘स्मॉग प्रोजेक्ट’ से होगा ये काम

    नई दिल्ली। दुनिया के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शुमार भारतीय राजधानी दिल्ली की हवा साफ करने के लिए दुबई आधारित निर्माण कंपनी जेनेरा स्पेस ने महत्वाकांक्षी योजना प्रस्तावित की है। वर्ल्‍ड आर्किटेक्चर फेस्टिवल 2018 की एक्सपेरीमेंटल फ्यूचर प्रोजेक्ट श्रेणी के तहत ‘स्मॉग प्रोजेक्ट’ नामक इस परियोजना का चयन किया गया है। इसमें पूरे शहर में 328 फीट ऊंचे कई टॉवर बनाए जाएंगे जिसमें से हरेक रोजाना 35 करोड़ घन फीट स्वच्छ हवा पैदा करेगा। सबसे बड़ी बात यह कि यह टॉवर सोलर हाइड्रोजन सेल से संचालित होंगे। शुरुअात में दिल्ली में इसे स्थापित करने की योजना है बाद में बाकी शहर भी इसके दायरे में आएंगे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मिलती-जुलती तकनीक

    2016 में चीन की राजधानी बीजिंग में 23 फीट ऊंचा ‘स्मॉग फ्री टॉवर’ लगाया गया। यह रोजाना 2.5 करोड़ घन फीट हवा को साफ करने में सक्षम है। जर्मनी की राजधानी बर्लिन में एक कंपनी ‘सिटी ट्री’ तैयार कर रही है जिसमें काई का इस्तेमाल किया गया है। यह सिटी ट्री 275 पेड़ों के बराबर प्रदूषण सोख सकता है।

    दिल्ली की विकराल समस्या

    हर साल सर्दियों के मौसम में दिल्ली में वायु प्रदूषण की घातक स्थिति पैदा हो जाती है। हवा में पीएम 2.5 कणों की मात्रा अत्यधिक बढ़ जाती है। 2017 में दिसंबर में यहां हवा की गुणवत्ता इतनी खराब थी कि इसमें सांस लेना 44 सिगरेट पीने के बराबर था। देश के अधिकतर शहर इसी तरह गैस चैंबर बनते जा रहे हैं। दुनिया के सबसे प्रदूषित 15 शहरों में 14 भारतीय हैं।

    द स्मॉग प्रोजेक्ट

    इस प्रोजेक्ट के तहत दिल्ली में एक विशेष पैटर्न में कई सारे टॉवर लगाए जाएंगे जो 328 फीट ऊंचे होंगे और हर टॉवर 100 हेक्टेयर क्षेत्र में 35.3 करोड़ घन फीट स्वच्छ हवा उत्पादित करेगा। हर टॉवर को षट्कोणीय नेटवर्क में बने स्काई ब्रिज यानी आसमानी पुल पर बिछाए गए सोलर हाइड्रोजन सेल से संचालित किया जाएगा।

    ऐसे काम करेंगे टॉवर

    टॉवर के सबसे निचले हिस्से से दूषित हवा को अंदर खींचा जाएगा। यह हवा पांच चरणों से होते हुए साफ की जाएगी। इन चरणों से गुजरते हुए हवा में से वायुजनित कण सोख लिए जाएंगे। हवा को ऊपर की तरफ फेंका जाएगा जहां से यह एक खास किस्म के फिल्टर से गुजरेगी जहां उसमें से बैक्टीरिया और वायरस हटाए जाएंगे। इसके बाद उसे वातावरण में छोड़ा जाएगा।

    फंडिंग की दरकार

    कंपनी अपने डिजायन का छोटा नमूना बनवाने के लिए कोपेनहेगन की कंपनी एयरलैब्स से बातचीत कर रही है। लेकिन अभी इस प्रोजेक्ट के लिए फंडिंग की व्यवस्था नहीं हुई है। भारत में संभावनाएं तलाशने के साथ कंपनी संयुक्त अरब अमीरात से भी चर्चा कर रही है। दुबई में भी भयानक आंधी-तूफान आते हैं, लिहाजा यह तकनीक दुबई के भी काम आ सकती है। हालांकि अभी इस प्रोजेक्ट का पहला पूरी तरह संचालित मॉडल तैयार होने में 2-3 वर्ष लगेंगे।

    और भी लाभ

    न सिर्फ ये टॉवर दूषित हवा सोखकर स्वच्छ हवा वातावरण में छोड़ेंगे बल्कि ये हवा में मौजूद कार्बन को एकत्र करेंगे। इस कार्बन का इस्तेमाल ग्रैफीन, कंक्रीट, उवर्रक, स्याही और पानी को साफ करने में किया जा सकेगा। बेंगलुरु में पहले से एक कंपनी हवा से एकत्र किए कार्बन कणों से स्याही बना रही है।