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Nirbhaya Case: निर्भया के दोषी अक्षय की फांसी पर सुप्रीम कोर्ट ने फिर लगाई मुहर

Nirbhaya Case निर्भया के दोषी अक्षय की फांसी की सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर मुहर लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अक्षय की क्यूरेटिव याचिका खारिज कर दी।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 31 Jan 2020 09:35 AM (IST)Updated: Fri, 31 Jan 2020 09:35 AM (IST)
Nirbhaya Case: निर्भया के दोषी अक्षय की फांसी पर सुप्रीम कोर्ट ने फिर लगाई मुहर
Nirbhaya Case: निर्भया के दोषी अक्षय की फांसी पर सुप्रीम कोर्ट ने फिर लगाई मुहर

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता।  निर्भया के दोषी अक्षय की फांसी की सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर मुहर लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अक्षय की क्यूरेटिव याचिका खारिज कर दी। इसके साथ ही कोर्ट ने अक्षय की फांसी पर रोक लगाने की मांग भी ठुकरा दी। निचली अदालत ने निर्भया कांड के चारों दोषियों को फांसी देने के लिए एक फरवरी की तिथि तय कर रखी है। सुप्रीम कोर्ट से क्यूरेटिव याचिका खारिज होने के बाद अक्षय के पास राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दाखिल करने का विकल्प अभी बचा हुआ है।

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जस्टिस एनवी रमना, अरुण मिश्र, आरएफ नरीमन, आर. भानुमती और अशोक भूषण की पीठ ने अक्षय की क्यूरेटिव याचिका खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा कि उन्होंने क्यूरेटिव याचिका और मामले से जुड़े दस्तावेज ध्यान से देखे। उनका मानना है कि क्यूरेटिव याचिका पर विचार करने के तय मानदंडों में यह मामला नहीं आता इसलिए क्यूरेटिव याचिका खारिज की जाती है। इसके साथ ही कोर्ट ने अक्षय की फांसी पर रोक लगाए जाए की अर्जी भी खारिज कर दी।

सुप्रीम कोर्ट ने रूपा अशोका हुर्रा मामले में 2002 में दिए फैसले में क्यूरेटिव याचिका दाखिल करने का अधिकार दिया था। इससे पहले किसी भी मामले में पुनर्विचार याचिका के बाद सुप्रीम कोर्ट में कानूनी विकल्प खत्म हो जाते थे। कोर्ट ने उस फैसले में क्यूरेटिव याचिका पर सुनवाई के मानक भी तय किए थे। क्यूरेटिव याचिका तभी दाखिल हो सकती है जब वरिष्ठ वकील उसे प्रमाणपत्र दे कि यह मामला क्यूरेटिव दाखिल करने का है। इसके अलावा क्यूरेटिव याचिका पर न्यायाधीश सकरुलेशन के जरिये चैंबर में विचार करते हैं। विरले मामलों में ही अगर कोर्ट को लगता है कि यह केस क्यूरेटिव में खुली अदालत में सुनवाई का है तभी खुली अदालत में सुनवाई होती है। क्यूरेटिव याचिका पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के तीन वरिष्ठतम न्यायाधीश और उस मामले में फैसला सुनाने वाले न्यायाधीश करते हैं।

अक्षय ने अपनी क्यूरेटिव याचिका में उसे फांसी की सजा देने के फैसले को रद करने की मांग की थी। अक्षय ने कोर्ट से पुनर्विचार याचिका खारिज करने के गत 18 दिसंबर और मुख्य मामले में उसकी फांसी पर मुहर लगाने वाले सुप्रीम कोर्ट के पांच मई, 2017 के फैसले को निरस्त करने की मांग की थी। अक्षय की क्यूरेटिव याचिका पर तिहाड़ जेल के सुपरिंटेंडेंट ने सुप्रीम कोर्ट को सूचना दी थी कि अक्षय की फांसी के लिए एक फरवरी की तिथि तय है।

अक्षय के वकील एपी सिंह ने बताया कि क्यूरेटिव याचिका खारिज होने के बाद जल्दी ही वह राष्ट्रपति के समक्ष अक्षय की दया याचिका दाखिल करेंगे। अभी तक सिर्फ पवन ने क्यूरेटिव याचिका दाखिल नहीं की है। उसे नाबालिग नहीं माने जाने के आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका भी दाखिल की जाएगी। दोषी विनय की दया याचिका राष्ट्रपति के समक्ष विचाराधीन है।


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