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जानिए सुबह-सुबह क्यों दी जाती है फांसी की सजा? जल्लाद क्यों बोलता है हम तो हुक्म के गुलाम हैं जनाब

देश में सबसे बड़ी सजा सजा-ए-मौत है। जल्लाद कहता है हम तो हुक्म के गुलाम है और सुबह-सुबह दे दी जाती है फांसी की सजा।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Tue, 07 Jan 2020 06:19 PM (IST)Updated: Tue, 07 Jan 2020 06:19 PM (IST)
जानिए सुबह-सुबह क्यों दी जाती है फांसी की सजा? जल्लाद क्यों बोलता है हम तो हुक्म के गुलाम हैं जनाब
जानिए सुबह-सुबह क्यों दी जाती है फांसी की सजा? जल्लाद क्यों बोलता है हम तो हुक्म के गुलाम हैं जनाब

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। जघन्य अपराधों के लिए हमारे देश में सबसे बड़ी मौत की सजा है। भारत के अलावा अन्य देशों में भी मौत की सजा ही दी जाती है मगर तरीके और अलग-अलग होता है। भारत में फांसी की सजा हमेशा ही सुबह के समय दी जाती है। आइये नजर डालते हैं कि आखिर फांसी के वक्त क्या-क्या होता है? हम आपको बताएंगे कि अपराधी को फांसी पर सुबह के वक्त ही क्यों लटकाया जाता है।

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सुबह के वक्त दी जाती है फांसी:

फांसी का वक्त सुबह-सुबह का इसलिए मुकर्रर किया जाता है क्योंकि जेल मैन्युअल के तहत जेल के सभी कार्य सूर्योदय के बाद किए जाते हैं। फांसी के कारण जेल के बाकी कार्य प्रभावित ना हो ऐसा इसलिए ऐसा समय चुना जाता है।

फांसी से पहले जल्लाद बोलता है मुझे माफ कर दिया जाए :

फांसी देने से पहले जल्लाद बोलता है कि मुझे माफ कर दिया जाए। हिंदू भाईयों को राम-राम, मुसलमान भाईयों को सलाम, हम क्या कर सकते हैं हम तो हुक्म के गुलाम हैं। कितनी देर के लिए फांसी के बाद लटकता है शव:

शव को कितनी देर तक फांसी के फंदे पर लटकाए रखना है इसके लिए कोई समय तय नहीं है। लेकिन जिस आरोपी को फांसी पर लटका दिया जाता है उसको लगभग 10 मिनट तक लटकाया ही जाता है। फांसी के 10 मिनट बाद मेडिकल टीम शव की जांच करती है।

फांसी के वक्त इनकी मौजूदगी होती है जरूरी:

फांसी देते वक्त वहां पर एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट, जेल अधीक्षक और जल्लाद का मौजूद रहना बेहद जरूरी होता है। इनमें से किसी की भी कमी में फांसी नहीं दी जा सकती। वैसे इन सभी को पहले ही फांसी का दिन और समय बता दिया जाता है। यदि किसी तरह की इमरजेंसी नहीं होती तो ये लोग उस समय से पहले ही वहां पहुंच जाते हैं।

फांसी की सजा के बाद जज का पेन की निब तोडना:

अक्सर फिल्मों में देखा गया है कि फांसी की सजा सुनाने के बाद जज पेन की निब को तोड़ देते हैं। ठीक उसी तरह से देश के कानून में फांसी की सज़ा सबसे बड़ी सजा होती है। इसलिए जज इस सजा को मुकर्रर करने के बाद पेन की निब तोड़ देता है जिससे उसका इस्तेमाल दोबारा ना हो सके।

पूछी जाती है आखिरी ख्वाहिश:

जेल प्रशासन फांसी से पहले आरोपी से आखिरी ख्वाहिश पूछता है जो जेल के अंदर और जेल मैन्युअल के तहत होता है इसमें वो अपने परिजन से मिलने, कोई खास डिश खाने के लिए या फिर कोई धर्म ग्रंथ पढ़ने की इच्छा करता है अगर यह इच्छाएं जेल प्रशासन के मैन्युअल में है तो वो पूरी करता है। अन्यथा मना कर दिया जाता है।  


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