जानें- कौन हैं सुप्रीम कोर्ट से बहाल हुए CBI निदेशक आलोक वर्मा, लंबी है उपलब्धियों की फेहरिस्त
IPS आलोक वर्मा अपने बैच के सबसे युवा अधिकारी हैं। इसलिए उनका कार्यकाल काफी लंबा रहा। इससे पहले भी वह कई बार सुर्खियों में रह चुके हैं। जानिए, उनकी उपलब्धियां और उनसे जुड़े विवाद।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) में चल रहे रार की वजह से छुट्टी पर भेजे गए निदेशक आलोक वर्मा को मंगलवार को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को उन्हें फिर से सीबीआई निदेशक के पद पर बहाल कर दिया है। मालूम हो कि सीबीआइ निदेशख आलोक वर्मा के खिलाफ सीवीसी से भ्रष्टाचार की शिकायत के बाद उन्हें छुट्टी पर भेजा गया था। आइये जानते हैं कौन हैं आलोक वर्मा और कैसा रहा है बतौर IPS उनका कार्यकाल।
अपने बैच के सबसे युवा अधिकारी थे
आलोक वर्मा 1979 बैच के IPS अधिकारी हैं। वह अरुणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश काडर में चुने गए थे। जिस समय आईपीएस में उनका सेलेक्शन हुआ उनकी आयु महज 22 वर्ष थी। वह अपने बैच के सबसे युवा अधिकारी थे। लिहाजा आईपीएस के तौर पर उनका कार्यकाल काफी लंबा है।
दिल्ली के कमिश्नर भी रह चुके हैं
आलोक वर्मा देश की राजधानी दिल्ली के पुलिस कमिश्नर भी रह चुके हैं। इससे पहले वह जेल के जनरल भी थे। वह मिजोरम में पुलिस महानिदेशक (डीजी) के पद पर भी तैनात रह चुके हैं। दिल्ली में पुलिस कमिश्नर रहते हुए उन्होंने पुलिस सुधार और कानून व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए कई अहम फैसले लिए थे, जिनकी काफी सराहना भी की गई थी।
बिना अनुभव के सीधे सीबीआई निदेशक बने
सेंट स्टीफेंस कॉलेज से पढ़ाई करने वाले आलोक वर्मा सीबीआइ के 27वें निदेशक हैं। वर्ष 2017 में उन्हें सीबीआइ की कमान सौंपी गई थी। उस वक्त वह दिल्ली के पुलिस कमिश्नर पद पर तैनात थे। खास बात ये है कि आलोक वर्मा को तब तक सीबीआइ में काम का कोई अनुभव नहीं था। बावजूद उन्हें सीधे सीबीआइ निदेशक पद पर बैठा दिया गया था। उन्हें सीबीआइ निदेशक बनाने वाली कैबिनेट कमिटी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर शामिल थे।
IPS आलोक वर्मा की उपलब्धियां
दिल्ली में महिला पीसीआर की शुरूआत करने का श्रेय तत्कालीन कमिश्नर आलोक वर्मा को ही दिया जाता है। इसके लिए उनकी काफी सराहना भी हुई थी। दिल्ली में रहते हुए पुलिस विभाग में पदोन्नति को लेकर उन्होंने नीतियों में कई अहम बदलाव किए थे, जिनकी लंबे समय से प्रतीक्षा की जा रही थी। नई नीति में 11,371 सिपाही को हेड कांस्टेबल, 12,813 हेड कांस्टेबल को ASI, 1792 ASI को सब इंस्पेक्टर (SI) और 390 SI को इंस्पेक्टर पद पर प्रोन्नत किया गया था। आलोक वर्मा को 1997 में पुलिस मेडल और 2003 में राष्ट्रपति के पुलिस मेडल से भी सम्मानित किया जा चुका है।
क्यों भेजे गए थे छुट्टी पर
सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा, विभाग में नंबर दो के अधिकारी विशेष निदेशक राकेश अस्थाना संग विवाद की वजह से सुर्खियों में आए थे। ये पहला मौका था जब सीबीआइ के अंदर की रार खुलकर सबसे सामने आयी थी। विवाद की वजह से ही पहली बार सीबीआइ ने अपने ही विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ 15 अक्टूबर 2018 को भ्रष्टाचार का केस दर्ज किया था। एफआइआर में राकेश अस्थाना पर मांस कारोबारी मोइन कुरैशी से तीन करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया था। इससे पहले राकेश अस्थाना कैबिनेट सेक्रेटरी से आलोक वर्मा की शिकायत कर चुके थे। राकेश अस्थाना ने आलोक वर्मा पर मांस कारोबारी मोइन कुरैशी के करीबी सतीश बाबू सना से दो करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगाया था। इसके बाद केंद्र सरकार ने दोनों अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया था। इस पूरी कार्रवाई के पीछे सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा ही थे। मालूम हो कि राकेश अस्थाना को सीबीआइ का विशेष निदेशक बनाते वक्त भी तत्कालीन निदेशक आलोक वर्मा ने आपत्ति जताई थी। यहीं से दोनों के रिश्तों में कड़वाहट आ गई थी।
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