लॉकडाउन के बीच ऐसी क्या अफवाह फैली कि परिवार समेत अचानक हाइवे पर उतर आए हजारों लोग?
Lockdown effect किसी ने कहा कि उन्हें जानकारी मिली थी कि उत्तर प्रदेश में बस सेवा शुरू हो गई है। कौशांबी और लालकुआं बस अड्डे से बसें चल रही हैं। बिना काम के वे इतने दिन कैसे रहेंगे
नई दिल्ली, जेएनएन। देश में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के केसों को कम करने के मकसद से प्रधानमंत्री मोदी ने 21 दिन का लॉकडाउन घोषित कर रखा है। लॉकडाउन के पहले दिन तो सब सही चला, लेकिन दूसरे दिन से अचानक लोग पैदल ही सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने घरों की तरफ निकल पड़े। कई लोगों के साथ उनकी पत्नी व बच्चे भी थे। सोशल मीडिया के माध्यम से जब तस्वीरें वायरल हुई तो योगी सरकार ने तुरंत संज्ञान लेते हुए अपने आला अफसरों की डयूटी हाइवे किनारे जा रहे लोगों को खाना खिलाने और सुरक्षित घर पहुंचाने की लगा दी। मैसेज यही था कि आप जहां हैं, वहीं रहें, सरकार आपके साथ है, आपको खाने की कमी नहीं होने दी जाएगी।
बसें चलने की फैली अफवाह
तीसरे दिन देर शाम से रात तक फरीदाबाद, गुरुग्राम, मानेसर, दिल्ली आदि से बड़ी संख्या में लोग ( विभिन्न कारखानों आदि के हजारों कर्मचारी) बड़ी संख्या में घरों से निकल कर सड़कों पर आ गए। ये लोग उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों इटावा, बदायूं, फरुखाबाद, बरेली, इलाहाबाद आदि जिलों में अपने घरों के लिए निकले। इनमें से कई लोगों ने बताया उन्हें खबर मिली कि आनंद विहार से अपने घरों के जाने के लिए बसें मिल जाएंगी। बसें चल रही हैं, जबकि यह अफवाह थी। ये गलत खबर किसने फैलायी हालांकि लोगों ने अलग-अलग जानकारी दी। किसी ने कहा कि उन्हें जानकारी मिली थी कि उत्तर प्रदेश में बस सेवा शुरू हो गई है। कौशांबी और लालकुआं बस अड्डे से बसें चल रही हैं। काम बंद है, बिना काम के वे इतने दिन कैसे रहेंगे इसलिए अपने घरों को जा रहे हैं। किसी ने कहा मोबाइल पर जानकारी मिली। किसी ने कहा पुलिस ने एनाउंस किया । किसी ने कहा टीवी से पता चला। आनंद विहार आकर जब बसें बंद मिलीं तो वहां किसी ने कह दिया कि लालकुआं गाजियाबाद जाओ, वहां बसें मिलेंगी। वहां से ये लोग NH -9 से होते हुए लालकुआं के लिए निकल पड़े। एक प्राइवेट बस अधिक किराया लेकर कुछ लोगों को ले जाती हुई भी दिखाई गई। शुक्रवार शाम को सड़कों पर यह स्थिति थी कि 200-300 लोग साथ चल रहे थे। इसमें हर उम्र वर्ग के लोग शामिल थे। किसी को नहीं मालूम कि वे अपने घर बिना किसी साधन कैसे जाएंगे।
अनसुलझे सवाल
सवाल ये उठता है कि आखिर बसें चलने की अफवाह किसने फैलाई ? पूरे देश में लॉकडाउन हो जाने के बाद भी फरीदाबाद, मानेसर, गुरुग्राम की पुलिस ने उन्हें सड़कों पर आने पर क्यों नहीं रोका? इन क्षेत्रों से निकल आए तो दिल्ली में क्यों नहीं रोका गया? रास्ते में उन्हें क्यों बसें न चलने की सही जानकारी नहीं दी गई ? वे कैसे 40-50 किलोमीटर आ गए और वह भी बिना उचित दूरी बनाए हुए ? क्यों हरियाणा व दिल्ली की सरकारों ने लापरवाही बरती? क्या उन्हें इतना बड़ा हुजूम नहीं दिखाई दिया। अपने घरों से रोजगार के लिए अन्य शहरों में रह रहे लोगों से अपील कि वे लॉक डाउन में ऐसे घर से न निकले।
सड़कों पर भीड़
दिल्ली के निकट एनएच-24, नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे पर हजारों की भीड़ सड़कों पर पैदल ही चली जा रही है। सरकार के तरफ से मदद नहीं मिलने से नाराजगी तो है मगर हौसला यह है कि 1000 किलोमीटर घर दूर है फिर भी कदम नहीं थम रहे हैं। सड़कों पर इनका अलग-अलग झुंड देखने को मिला। एनएच-9 पर दिल्ली-यूपी गेट पर तो पलायन करने वालों का सैलाब था। दिल्ली में जो डीटीसी की बसें चल रही हैं, वे डॉक्टरों, मीडियाकर्मियों, निगम और पुलिस के कर्मियों के लिए चल रही हैं। पलायन करने वाले बसों को रोकने की कोशिश करते, लेकिन चालक बसें रोकते और अपनी मजबूरी बताकर बस ले जाते। कोई दूसरा साधन भी उपलब्ध न होने की वजह से वे पैदल ही अपने घरों की ओर चलते रहे।