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आदेश के बाद भी डॉक्टर नहीं लिख रहे बड़े अक्षरों में दवाओं के नाम

देश के प्रत्येक सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के पास प्रधानमंत्री जनऔषधि योजना के तहत दुकानें स्थापित की जाएं।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sun, 31 Mar 2019 09:16 PM (IST)Updated: Sun, 31 Mar 2019 09:16 PM (IST)
आदेश के बाद भी डॉक्टर नहीं लिख रहे बड़े अक्षरों में दवाओं के नाम
आदेश के बाद भी डॉक्टर नहीं लिख रहे बड़े अक्षरों में दवाओं के नाम

नई दिल्ली। डॉक्टरों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। इसमें कहा गया है कि डॉक्टर मरीजों की पर्ची पर बड़े अक्षरों में दवाओं का नाम नहीं लिख रहे हैं। साथ ही तमाम आदेशों के बावजूद मरीजों को जेनरिक दवाएं लिखी जा रही हैं। याचिका में भारतीय चिकित्सा परिषद (व्यावसायिक, आचरण, शिष्टाचार और नैतिकता) विनियम-2002 के नियमों का सख्ती से पालन कराए जाने का अनुरोध किया गया है।

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इसे लेकर केंद्र सरकार व एमसीआइ को निर्देश देने की मांग की गई है। अधिवक्ता अमित साहनी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें कहा गया है कि एमसीआइ ने 2017 में सभी पंजीकृत चिकित्सकों को दवाओं का नाम बड़े अक्षरों लिखने के निर्देश दिए थे। लेकिन, डाक्टरों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।

इस संबंध में डॉक्टरों को जारी किए गए तमाम आदेशों के बावजूद भी इसे लागू नहीं किया गया। यही नहीं डॉक्टरों की मनमानी पर लगाम लगाने में अफसर भी विफल रहे हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने सिर्फ आदेश के क्रम में पत्राचार तक ही खुद को सीमित कर लिया है।

उन्होंने मांग की कि देश के प्रत्येक सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के पास प्रधानमंत्री जनऔषधि योजना के तहत दुकानें स्थापित की जाएं। यही नहीं याचिका में कहा गया है कि डॉक्टर अपने फायदे के लिए जेनेरिक दवाओं को नहीं लिखते हैं।


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