Move to Jagran APP

दिल्ली में बेहाल है महिला सुरक्षा का हाल, कहां हैं 'आप' के वादे और इरादे

दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा बड़ा मुद्दा है। 'आप' सरकार ने महिला सुरक्षा को लेकर तमाम वादे भी किए थे लेकिन जमीनी स्तर पर तस्वीर अलग ही नजर आती है।

By Amit MishraEdited By: Published: Sat, 30 Jun 2018 10:30 PM (IST)Updated: Sun, 01 Jul 2018 07:01 AM (IST)
दिल्ली में बेहाल है महिला सुरक्षा का हाल, कहां हैं 'आप' के वादे और इरादे
दिल्ली में बेहाल है महिला सुरक्षा का हाल, कहां हैं 'आप' के वादे और इरादे

नई दिल्ली [जेएनएन]। दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा सियासी मुद्दा बनकर रह गया है। महिला सुरक्षा के नाम पर तमाम वादे करने वाली आम आदमी पार्टी शायद अब इसे भूल चुकी है। हालात यह हैं कि दिल्ली में महिला सुरक्षा की स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। निर्भया कांड के बाद ये कयास लगाए जा रहे थे कि राजधानी में महिलाओं की सुरक्षा पर ध्यान दिया जाएगा लेकिन लेकिन आंकड़े कुछ अलग ही कहानी बयां करते हैं।

loksabha election banner

क्या कहते हैं आंकड़े 

हाल ही में दिल्ली पुलिस ने साल 2018 के बीत चुके शुरुआती महीनों आंकड़े जारी किए थे। आंकड़ों के मुताबिक राजधानी में हर रोज तकरीबन 5 महिलाएं दुष्कर्म की शिकार होती हैं। इन आंकड़ों ने महिला सुरक्षा को लेकर सरकार के वादों की पोल कोल दी है वहीं पुलिस का दावा है कि दुष्कर्म के अधिकतर मामलों में आरोपी पीड़िता का कोई परिचित ही होता है। आंकड़ों के मुताबिक, इस साल भी 15 अप्रैल तक पुलिस ने महिलाओं के साथ दुष्कर्म के 578 मामले दर्ज किए हैं, जबकि पिछले साल इतने समय में पुलिस ने करीब 563 मामले दर्ज किए थे।

कैसे सुरक्षित होंगी महिलाएं 

महिला सुरक्षा की बात करें तो एक घटना का जिक्र बेहज जरूरी हो जाता है। डीटीसी की चलती बस में एक छात्रा के साथ बेहद शर्मनाक हरकत की गई थी। ये मामला इसी साल सात फरवरी का है। अब जरा दिल्ली सरकार का वो वादा भी याद कीजिए जिसमें कहा गया था कि हर बस में मार्शल की ड्यूटी लगायी जाएगी और बसों में सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जाएगें। फिलहाल आज तक न तो बसों में तैनात किए गए मार्शलों की संख्या के बारे में कोई जानकारी मिल सकी है और न ही कितनी बसों में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं इस बारे में कोई आंकड़ा सामने आया है।

फूट पड़ा था गुस्सा 

छात्रा के साथ हुई घटना को लेकर दिल्ली की महिलाओं का गुस्सा भी फूट पड़ा था। कई महिलाओं ने तो यहां तक कहा था कि बसों में सफर के दौरान लगभग रोजाना उन्हें शर्मनाक स्थिति से दो-चार होना पड़ता है, दिल्ली सरकार महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है। महिलाओं ने यह भी कहा था अगर बसों में कैमरे व सुरक्षा गार्ड तैनात होते इस तरह शर्मनाक हरकत नहीं हो पाती। सवाल तो ये भी उठा था कि हर मुद्दे पर ट्वीट करने वाले सीएम केजरीवाल की ओर से किसी तरह का कोई ट्वीट नहीं आया था। लिहाजा अंजादा लगाना मुश्किल नहीं है कि दिल्ली सरकार महिला सुरक्षा को लेकर कितनी चिंतित हैं।

कांग्रेस के हाथ से चली गई सत्ता की डोर 

बसों में महिला सुरक्षा का मामला इसलिए भी अहम है क्योंकि निर्भया कांड को चलती बस में अंजाम दिया गया था। निर्भया कांड के बाद तत्कालीन कांग्रेस सरकार के खिलाफ आंदोलन तक खड़ा हो गया था जिसमें अरविंद केजरीवाल की भूमिका अहम थी। इसका असर यहां तक देखने को मिला कि दिल्ली में कांग्रेस की बुनियाद तक हिल गई और उसे सत्ता तक गंवानी पड़ी। दिल्ली से कांग्रेस की विदाई के और भी कई कारण थे लेकिन निर्भया कांड की वजह से भी लोगों का कांग्रेस से मोहभंग जरूर हुआ था।

महिला सुरक्षा दल की बात नहीं होती 

दिल्ली सरकार ने महिला सुरक्षा को लेकर एक और वादा किया था। 'आप' की तरफ से कहा गया था कि मोबाइल कंपनियों से बात करके हर फोन में पैनिक बटन दिया जाएगा। अब इस वादे का क्या हुआ और पैनिक बटन से कितनी महिलाओं ने खुद को सुरक्षित समझा ये जांच का विषय है। दिल्ली सरकार यह भी कहा था कि महिला सुरक्षा दल बनाया जाएगा। सरकार अपने इस वादे में कितनी खरी उतरी है इसका जवाब दिल्ली की जनता को जरूर पता होगा। महिला सुरक्षा दल दिल्ली में कहीं नजर नहीं आता और न ही इसे लेकर अब कहीं कोई बात होती है।

सीसीटीवी कैमरे लगाने की योजना

दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन ने भी महिला सुरक्षा को तमाम वादे किए थे। सत्येंद्र जैन ने कहा था कि हर एक विधानसभा में तकरीबन 2000 सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएगें। इस लिहाज से तकरीबन 140000 कैमरे लगाने की योजना है, लेकिन अब तक यह योजना कितनी आगे बढ़ी है और राजधानी की महिलाएं खुद को कितना सुरक्षित मान रही हैं इसका जवाब मंत्री जी के पास शायद ही हो।

दिल्ली पुलिस की पहल

ये तो थी सरकार की बात अब आपको यह भी बता दें कि दिल्ली पुलिस ने महिला सुरक्षा के लिए एक मोबाइल एप 'हिम्मत' के नाम से भी जारी किया है। जिसमें अगर किसी भी महिला को किसी भी वक्त कहीं भी दिल्ली में कोई परेशानी हो तो वो उस एप के जरिए अलर्ट जारी कर सकती है। दिल्ली पुलिस उसकी सुरक्षा के लिए पहुंच जाती है। हालांकि ये एप सिर्फ स्मार्ट फोन में चलता है, जिसकी वजह से जिन महिलाओं के पास ये स्मार्ट फोन नहीं होता वो इस एप का यूज नहीं कर सकती हैं।

पुलिस की निष्क्रियता से बढ़ रहा अपराध का ग्राफ, आम लोग भी बन रहे हैं शिकार

दिल्ली सरकार की रणनीति

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत पूरी पार्टी का कहना है कि दिल्ली पुलिस दिल्ली सरकार के अंतर्गत होनी चाहिए, जिससे सरकार पूरी जिम्मेदारी से महिला सुरक्षा के मुद्दे पर आम जनता के साथ खड़ी रहे। हाल के दिनों में सरकार ने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर मुहिम भी छेड़ दी है। अब सवाल ये है कि यदि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलेगा तभी महिलाएं सुरक्षित होंगी। यदि ऐसा नहीं हुआ तो दिल्ली सरकार यही कहते हुए पल्ला झाड़ लेगी कि उनके पास पुलिस नहीं है लिहाजा वो कुछ भी करने में समर्थ नहीं है।

बड़ी पहल: कैमरों से होगी मनचलों पर निगरानी

दरअसल महिला सुरक्षा को लेकर हम यह इसलिए कह रहे हैं क्योंकि चंडीगढ़ ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग मनचलों पर नजर रखने के लिए सीटीयू ने सभी बसों में हाई क्वालिटी सीसीटीवी कैमरे लगाने का फैसला लिया है। अगले दो महीने में इस खास प्रपोजल पर काम शुरु कर दिया जाएगा। सीटीयू के इस प्रपोजल को उच्चस्तर पर मंजूरी मिल गई है।

महिला सुरक्षा के प्रति गंभीर 

सीटीयू बसों में छेड़छाड़ की घटनाओं को देखते हुए करीब डेढ़ साल पहले बसों में सीसीटीवी कैमरे लगाने शुरू किए गए थे। पहले चरण में हर बस में दो सीसीटीवी कैमरे लगाए थे। लेकिन, इन कैमरों की क्वालिटी और संख्या कम होने के कारण छेड़छाड़ के मामलों की शिकायतें आला अधिकारियों के पास पहुंचती रहीं। मामले को गंभीरता से लेते हुए अब सीटीयू ने सभी बसों में सीसीटीवी कैमरों की संख्या बढ़ने का फैसला लिया है। नए कैमरे लगाने के लिए बजट भी तय कर दिया गया है। सीटीयू की लांग रुट बसों में भी यह सुविधा दी जाएगी।

यह भी पढ़ें: दाती महाराज के पाली आश्रम पहुंची क्राइम ब्रांच, मुख्य साध्वी व 44 युवतियों ने दिया ये जवाब


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.