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    अटल बिहारी की जन्‍मशती: PM बनने के बाद भी ग्‍वालियर में गली में बैठकर दोस्‍तों से कीं बातें, लाइन में लगकर खरीदे मूवी के टिकट

    Updated: Wed, 25 Dec 2024 03:12 PM (IST)

    पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज 100वीं जयंती है। अटल ने अपने जीवन में सिद्धांतों और सादगी से सबका दिल जीता। ग्वालियर में जन्मे अटल बिहारी ने 4 दशकों तक संसद में देश का प्रतिनिधित्व किया। उनकी कुशल रणनीति और सादगी को लेकर कई प्रेरणादायक किस्से मशहूर हैं। वह भारत के पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री थे जिन्होंने कार्यकाल पूरा किया। उनके जीवन से जुड़े कुछ किस्से यहां पढ़ें...

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    अटल बिहारी वाजपेयी: 100वीं जयंती पर यहां पढ़ें उनसे जुड़े रोचक किस्‍से। फाइल फोटो

    डिजिटल डेस्‍क, नई दिल्‍ली। Atal Bihari Vajpayee 100th birth anniversary: सहज-सरल, मजबूत इरादे, सिद्धांतवादी, हाजिर जवाब और भारतीय राजनीति के 'अजातशत्रु' और भाजपा जैसी गैर-कांग्रेसी पार्टी खड़ी करने वाले अटल बिहारी वाजपेयी की आज 100वीं जयंती है। अटल की कुशल रणनीति, सादगी, संवेदनशीलता और दोस्ती की मिसाल दी जाती है।

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    30 दिसंबर 1984 को मुंबई अधिवेशन में अटल ने ऐसा नारा दिया, जिसने भाजपा में नई जान फूंक दी थी। अटल ने कहा था- 'अंधेरा छटेगा, सूरज निकलेगा और कमल खिलेगा।' 2014 में अटल की भविष्‍यवाणी सच हुई। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा पूर्ण बहुमत से सत्ता में आई तो फिर 2024 में लगातार तीसरी बार सरकार बनाई। यहां पढि़ए अटल बिहार वाजपेयी की जिंदगी से जुड़े किस्‍से...

    25 दिसंबर, 1984 को मध्‍यप्रदेश के ग्वालियर में कृष्ण बिहारी वाजपेयी और कृष्णा देवी के घर अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म हुआ। उनके पास चार दशक से अधिक का संसदीय का अनुभव था। सात बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा के सदस्य रहे।

    देश के पहले ऐसे गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने, जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया।  उनकी लोकप्रियता इसी से समझिए कि वह इकलौते नेता रहे, जो चार राज्‍यों- उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश और दिल्ली से जीतकर संसद पहुंचे।

    शानदार दोस्‍त: काफिला छोड़ पैदल मिलने पहुंचे

    साल 1996 क बात है। उस वक्‍त तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी माधव कॉलेज के पूर्व प्राचार्य श्रीधर कुंटे के निधन पर ग्‍वालियर पहुंचे थे। यहां अटल ने कुंटे के परिजनों से मुलाकात की।

    वह कुंटे के परिवार से मिलकर निकल ही रहे थे कि किसी ने भाऊसाहेब पोतनीस के बीमार होने की खबर दे दी। अटल ने कहा कि फिर तो उनसे मिलने जाना चाहिए, लेकिन जब वह बाहर आए तो देखा गाड़ियों का काफिला उनको ले जाने के लिए रेडी था। समस्‍या ये थी कि पोतनीस का घर विपरीत दिशा में था।  

    यह देखकर अटल ने कहा- पैदल चलते हैं। इसके बाद वह अपने एक साथी के साथ पैदल ही पोतनीस के घर पहुंचे। अटल देखकर पोतनीस बहुत खुश हो गए।  अच्‍छी बात यह थी कि उस दिन संक्रांति पर्व था। पोतनीस के घरवालों ने अटल को तिल-गुड़ दिया। कहा कि तिल-गुड़ लो और मीठा-मीठा बोलो।

    सादगी: जब टॉकीज में लाइन लगकर ली थी टिकट

    यह बात 1970 के दशक की बात है। ग्‍वालियर के फालका बाजार स्थित उस वक्‍त का कृष्णा टॉकीज में एक मूवी लगी थी। शो दोपहर 12 बजे का था। अटल अपनी भतीजियों को लेकर मूवी देखने गए। अटल ने लाइन में लगकर टिकट खरीदा फिर फिल्म देखी।

    उस वक्त कुछ लोगों ने देखा तो पहले उनको यकीन नहीं हुआ। लोगों को लगा कि अटल जैसा दिखने वाला कोई शख्स होगा। भला अटल टिकट के लिए लाइन में क्‍यों लगेंगे। वे तो किसी को भी भेजकर टिकट मंगवा सकते हैं, लेकिन जल्‍द ही सबको यकीन हो गया कि वह अटल ही हैं।  

    मिलनसार : पीएम बनने के बाद भी गली में बैठकर लोगों से बतियाने लगे

    अटल बिहारी वाजपेयी की सादगी और विनम्रता के कई किस्‍से सुने और सुनाए जाते हैं। ग्‍वालियर के लोग बताते हैं कि जब अटल 14-15 साल के थे, तब वह अपने पड़ोस के कुआं से पानी भरने जाया करते थे। कुआं वाले घर में महिलाएं खाना बना रहीं होती और खाने को पूछती तो अटल अचार के साथ परांठा मांगकर खा लिया करते थे।

    वे हमेशा जमीन से जुड़े रहे, अपनी जड़ों से जुड़े रहे। प्रधानमंत्री बनने के बाद भी उनके स्वभाव में कोई बदलाव नहीं आया। पीएम बनने के बाद ग्‍वालियर गए और पुराने घर का दौरा किया। सुरक्षा के कड़े इंतजाम थे। इसके बावजूद वह गली में कुर्सी डालकर अपने पुराने दोस्तों और परिचितों से मिले। उनका और उनके परिवार का हालचाल पूछा।

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