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    बरखा बहार आई, मुश्किलें हजार लाई, अब क्‍या करेंगे आप

    By Kamal VermaEdited By:
    Updated: Sun, 22 Jul 2018 06:29 PM (IST)

    'और जनाब, कैसे हैं आप। आज तो सुबह से ही मस्‍त मौसम है, कई जगहों पर झमाझम बारिश भी है। हालांकि ये अच्‍छा है कि आज छुट्टी का दिन है। ...और पढ़ें

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    बरखा बहार आई, मुश्किलें हजार लाई, अब क्‍या करेंगे आप

    नई दिल्‍ली [स्‍पेशल डेस्‍क]। 'और जनाब, कैसे हैं आप। आज तो सुबह से ही मस्‍त मौसम है, कई जगहों पर झमाझम बारिश भी है। हालांकि ये अच्‍छा है कि आज छुट्टी का दिन है। लेकिन ये बताएं कैसा रहा आपका कल का दिन। कैसे घर पहुंचे और कितने बजे पहुंचे। कहीं न कहीं जाम तो आपको मिला ही होगा। हो सकता है कई जगहों पर सड़कें पानी से भी लबा लब हो रही हों। कहीं आपकी गाड़ी या स्‍कूटर या बाइक तो इसमें बंद नहीं हो गई।' अरे हो गई थी फिर तो बड़ी मुश्किल हुई होगी आपको घर तक पहुंचने में। पूरा तेल निकल गया होगा फिर तो आपका।' है न सही बात। लेकिन भाई मेरे इसमें किसी और का कोई दोष नहीं। तुम सबको ही इस दिन और बारिश का इंतजार था। कर रहे थे कब होगी बारिश और कब मिलेगी गर्मी से निजात। अब या तो गर्मी से निजात पा लो या फिर बारिश के चलते लगे जाम और पानी भरी सड़कों की मुसीबत झेल लो। आखिर अपने किए की सजा तो आपको और हमें ही होगी।

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    न सुधरी दिल्‍ली और न ही बदली मुंबई
    भई न तो दिल्‍ली सुधरेगी न ही मुंबई बदलेगी। हर साल बारिश आती है लेकिन बदइंतजामी ऐसी होती है कि पूरा सिस्‍टम एक ही बारिश में ठप हो जाता है। नतीजा जगह-जगह लंबा जाम और पानी से लबालब भरी सड़कें। ये सब कुछ आपको और हमारा ही किया-धरा है। न हम कोई गलती करेंगे और न ही परेशानी में पड़ेंगे। हम मजाक नहीं कर रहे हैं। दरअसल, दिल्‍ली की बात करें या मुंबई की या फिर किसी दूसरे शहर की, लगभग हर जगह का हाल कमोबेश एक जैसा ही है। सरकारें हर बार अपना पल्‍ला झाड़ती रहेंगी और हम और आप ऐसे ही परेशानियों का सामना करते रहेंगे। कभी आपने सोचा है कि इन परेशानियों की आखिर वजह क्‍या है। आप जानते तो सब हैं लेकिन उसको नजरअंदाज करने की आप सभी की आदत बन चुकी है। बहरहाल, फिर भी हम आपको इसके पीछे की वजह बता देते हैं:-

    वजह नंबर-1
    तो चलिए सबसे पहले बात कर लेते हैं बारिश की वजह से लगने वाले जाम की। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि हमारे यहां पर हर कोई अपने काम से पल्‍ला झाड़ता है। सड़क पर या तो पानी की निकासी की कोई जगह बनाई नहीं जाती है और यदि बनाई भी जाती है तो हमारे यहां के सफाई कर्मी उस जगह को वहां मौजूद कूड़े से इस कदर भर देते हैं कि बारिश का पानी सीवर में जा ही नहीं पाता है। इसका नतीजा होता है लबालब भरी सड़कें और इन पर लगने वाला जाम। इसके अलावा जहां पर सीवर लाइन और पानी की निकासी का जरिया है भी तो आपके द्वारा फैंकी गई पिन्नियां, गुटखे के पैक, रद्दी वगैरह-वगैरह सीवर को इस कदर बंद कर देता है कि सीवर बंद हो जाता है। इसका नतीजा होता है कि सीवर का गंदा पानी सड़कों पर जमा हो जाता है। इसका नतीजा भी जाम ही होता है। लेकिन आप और हम इस पर कभी ध्‍यान नहीं देते और ये कहकर अपना पल्‍ला झाड़ लेते हैं कि ये हमारा काम नहीं है।

    वजह नंबर-2
    अब जरा इस समस्‍या की एक और बड़ी वजह पर ध्‍यान डाल लेते हैं। जाम लगने की सबसे बड़ी सूरत होती है गाडि़यों का सड़कों पर आड़ा तिरछा खड़ा करना या फिर जल्‍दी निकलने की कोशिश में अपनी गाडी को दूसरे के आगे फंसा देना। बारिश के दिनों में अक्‍सर ऐसा ही होता है। हालांकि हमारे यहां के शहरों में बिना बारिश के भी ये नजारा हर रोज ही दिखाई देता है। आपने भी ये नजारा जरूर देखा होगा और मुमकिन है कि आप भी इसके गुनाहगार कभी न कभी जरूर बने हों। उम्‍मीद करते हैं कि आप आगे से ऐसा नहीं करेंगे और दूसरों को भी ऐसा न करने की सलाह देंगे।

     

    वजह नंबर-3
    अब जरा परेशानी की एक और वजह भी ध्‍यान डाल लेते हैं। आप सभी को पता है कि गाडि़यों की संख्‍या लगातार सड़कों पर बढ़ती जा रही है। वहीं दूसरी तरफ सड़कों की चौड़ाई वर्षों से उतनी ही है जितनी पहले थी। ऐसे में बिना बारिश के भी जाम लगना तो स्‍वाभाविक है। ऐसे में आपको करना ये चाहिए कि या तो कारपूल का इस्‍तेमाल करें या फिर शेयरिंग कैब का इस्‍तेमाल करें। इससे न सिर्फ गाडि़यों की संख्‍या सड़कों पर कम होगी बल्कि जाम से भी निजात मिल सकेगी। लेकिन इसको लेकर भी हम सभी की अपनी परेशानी है। ये परेशानी हमारी झूठी शान की है जिसको हम कभी भी उतार कर अलग नहीं रख पाते हैं। दरअसल, हम इसमें अपनी शान समझते हैं कि हम अपनी गाड़ी होते हुए दूसरे की गाड़ी में लिफ्ट क्‍यों लें और दूसरे को क्‍यों लिफ्ट दें। तो जनाब कुछ अक्‍ल का इस्‍तेमाल करें और इस शान को साइड में रखकर दूसरों की मदद को आगे आएं। य‍दि आपने इतना कहने के बाद भी बातों पर अमल नहीं किया तो आने वाले दिनों में और परेशानियों को झेलने के लिए तैयार रहना। फिर हमें मत कहना कि बताया नहीं।