बुजुर्ग माता-पिता की अनदेखी करने पर बेटे के खिलाफ कार्रवाई के आदेश, मानवाधिकार आयोग सख्त
गुरुग्राम में एक आलीशान सोसायटी में बुजुर्ग माता-पिता की अनदेखी का मामला सामने आया है। मानवाधिकार आयोग ने जिला प्रशासन को दंपती की मेडिकल जांच और देखभाल की रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं। आयोग ने बेटे राजेश मित्रा के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं क्योंकि वह अपने माता-पिता की उपेक्षा कर रहा है। आयोग ने इस मामले को संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन बताया है।

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम। पैसा कमाने के लालच और व्यस्त जिंदगी के चलते बुजुर्ग माता-पिता की अनदेखी की जा रही है। डीएलएफ फेज-4 की आलीशान सोसायटी में ऐसा ही मामला सामने आया है। मानवाधिकार आयोग ने इस मामले में जिला प्रशासन को सख्त निर्देश दिए हैं। बुजुर्ग दंपती की मेडिकल जांच और बेहतर देखभाल की रिपोर्ट तीन जुलाई तक सौंपने के निर्देश दिए हैं।
साथ ही मानवाधिकार आयोग ने बुजुर्ग माता-पिता की अनदेखी करने वाले राजेश मित्रा के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। आयोग ने रिजवुड सोसायटी के निवासियों की शिकायत पर फैसला सुनाया है। रिजवुड एस्टेट कॉन्डोमिनियम एसोसिएशन के निवासियों ने आयोग को शिकायत की थी कि सोसायटी में रहने वाले बुजुर्ग दंपती की उनके अपने बेटे राजेश मित्रा द्वारा उपेक्षा की जा रही है।
आयोग के अध्यक्ष जस्टिस ललित बत्रा ने अपने आदेश में गंभीर चिंता व्यक्त की है कि बुजुर्ग दंपती लंबे समय से मानसिक पीड़ा और शारीरिक पीड़ा झेल रहे हैं। यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सम्मान के साथ जीने के उनके मौलिक अधिकार का गंभीर उल्लंघन है। वृद्ध पिता का लगातार दर्द से कराहना न केवल उनकी मानसिक स्थिति को प्रभावित कर रहा है, बल्कि उनके आसपास के वरिष्ठ नागरिकों की भी स्थिति को प्रभावित कर रहा है।
आवश्यक चिकित्सा देखभाल, भावनात्मक समर्थन और नियमित निगरानी का अभाव गंभीर उपेक्षा को दर्शाता है। जो न केवल उन वरिष्ठ नागरिकों के मूल मानवाधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि उस समुदाय का भी है, जिसे अनजाने में इस पीड़ा को देखना पड़ रहा है। आयोग के अध्यक्ष जस्टिस ललित बत्रा ने स्पष्ट लिखा है कि यदि यह साबित हो जाता है कि उन्हें जानबूझकर नजरअंदाज किया गया है।
ऐसे मामले में अधिनियम 2007 की धारा 24 के तहत इसके लिए जिम्मेदार व्यक्ति पर आपराधिक दायित्व तय किया जा सकता है। बशर्ते जांच के दौरान यह साबित हो जाए। आयोग ने जिला प्रशासन को तुरंत एक चिकित्सा और कल्याण समिति का गठन करने के आदेश दिए हैं। इसमें पुलिस आयुक्त, उप-मंडल अधिकारी, सिविल सर्जन, जिला समाज कल्याण अधिकारी को शामिल किया जाना चाहिए।
आयोग के प्रोटोकॉल, सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी डॉ. पुनीत अरोड़ा ने कहा कि संबंधित अधिकारियों को आदेश दिया गया है कि वे वृद्ध दंपत्ति के उपचार, देखभाल या पुनर्वास के लिए उठाए गए कदमों की स्थिति रिपोर्ट और कार्य योजना अगली सुनवाई तिथि 3 जुलाई से पहले पेश करें।
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