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    दुनिया में डिग्री और सर्टिफिकेट से ज्यादा ज्ञान की मान्यता, NCERT स्थापना दिवस पर बोले शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान

    Updated: Mon, 01 Sep 2025 11:30 PM (IST)

    केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एनसीईआरटी के 65वें स्थापना दिवस पर कहा कि एनसीईआरटी ज्ञान का कुंभ है पर उसे आत्मविश्लेषण की जरूरत है। उन्होंने देश के 35 करोड़ युवाओं को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता पर चिंता जताई और मातृभाषा में शिक्षा पर जोर दिया।

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    दुनिया में डिग्री और सर्टिफिकेट से ज्यादा ज्ञान की मान्यता (फाइल)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद ( एनसीईआरटी) की स्थापना दिवस के मौके पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि एनसीईआरटी ज्ञान का कुंभ है लेकिन उसे आत्ममुग्ध होने की जरूरत नहीं है बल्कि आत्मविश्लेषण की जरूरत है। क्या वह देश के 35 करोड़ युवाओं को ज्ञान के स्तर पर पूरी दुनिया में प्रतिस्पर्धी बना पा रहा है? यह दायित्व एनसीईआरटी का है। उसे समझना होगा कि जब तक हम अपने युवाओं को ज्ञान के स्तर पर प्रतिस्पर्धी नहीं बनाएंगे, देश विकसित नहीं हो पाएगा।

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    केंद्रीय मंत्री सोमवार को एनसीईआरटी के 65 वें स्थापना दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर उन्होंने एनसीईआरटी की 65 सालों की यात्रा को ऐतिहासिक बताया और कहा कि आज दुनिया में डिग्री और सर्टिफिकेट से अधिक ज्ञान की मान्यता है। इस दिशा में एनसीईआरटी को काम करना चाहिए। इस दौरान उन्होंने स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर भी चिंता जताई और कहा कि वैश्विक मंच पर अभी भी देश की लर्निंग आउटकम यानी सीखने की क्षमता के स्तर पर किरकिरी होती है।

    शिक्षा में सुधार की जरूरत- शिक्षा मंत्री

    अभी भी देश में पांचवीं व आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले पचास प्रतिशत बच्चे कक्षा दो की गणित के सवाल नहीं हल कर पाते है। किताबों को नहीं पढ़ पाते है। इस दिशा में हमें काम करने की जरूरत है। असर व परख की रिपोर्ट से हर साल इनमें थोड़े बहुत सुधार के दावे किए जाते है लेकिन इसकी रफ्तार जो है, क्या वह ठीक है। यह सोचने की जरूरत है।

    मातृभाषा में शिक्षा पर जोर

    इस मौके पर प्रधान ने मातृभाषा में भी शिक्षा पर जोर दिया और कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि एनसीईआरटी भी पर अभी भी अंग्रेजी का प्रभाव है। उन्होंने कहा कि इसका मतलब यह कतई नहीं है कि हम अंग्रेजी में पढ़ने या पढ़ाने के विरोधी है बल्कि हम चाहते है कि बच्चों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में खड़ा होने के बेहतर तरीके से अंग्रेजी की पढ़ाई कराई जाए। लेकिन मातृभाषा में भी पढ़ाई कराई जाए।

    केंद्रीय शिक्षा मंत्री प्रधान ने कहा कि एनसीईआरटी अब वैश्विक रूप ले रहा है। हाल ही में मारीशस ने अपने यहां एनसीईआरटी जैसा संस्थान बनाने की पहल की थी। जिसे बनाने में अब एनसीईआरटी मदद दे रहा है। कई अन्य देश भी एनसीईआरटी की पहल को अपनाना रहे है। इनमें अफ्रीकी देश सबसे आगे है।

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