NCERT ने छात्रों की केमिस्ट्री की 'मिस्ट्री' को किया कम, अब नहीं पढ़ने होंगे Periodic Table जैसे टॉपिक
एनसीईआरटी का यह बदलाव सिर्फ दसवीं की पाठ्य पुस्तकों और विज्ञान विषय की पाठ्य पुस्तकों तक सीमित नहीं है बल्कि यह छठवीं से लेकर बारहवीं कक्षा तक की किताबों में लगभग सभी प्रमुख विषयों में किया गया है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कभी जिस पीरियोडिक टेबल के आधार पर विज्ञान की पढ़ाई करने वाले छात्रों की प्रतिभा की परख की जाती थी, अब वह स्कूलों में पढ़ने को नहीं मिलेगी। एनसीईआरटी ने दसवीं कक्षा की विज्ञान विषय की नई पुस्तक से इस पूरे पाठ को हटा दिया है। तर्क दिया गया है कि बोझ कम किया गया है। इसके साथ ही प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन और ऊर्जा के स्त्रोत जैसे अध्यायों को इस पुस्तक से हटा दिया है।
छठवीं से लेकर 12वीं कक्षा तक की किताबों में बदलाव
एनसीईआरटी का यह बदलाव सिर्फ दसवीं की पाठ्य पुस्तकों और विज्ञान विषय की पाठ्य पुस्तकों तक सीमित नहीं है बल्कि यह छठवीं से लेकर बारहवीं कक्षा तक की किताबों में लगभग सभी प्रमुख विषयों में किया गया है। छठवीं कक्षा से तो कचरा प्रबंधन का अध्याय ही हटा दिया गया है। जबकि स्वच्छता अभियान में बच्चों की भूमिका अहम मानी जा रही है।
10वीं और 12वीं की राजनीतिक विज्ञान विषय से भी कई पाठों को हटाया
एनसीईआरटी ने अपने पाठ्यक्रम से इसके साथ ही दसवीं के सामाजिक विज्ञान के साथ ही ग्यारहवीं व बारहवीं की राजनीतिक विज्ञान विषय से भी कई पाठों को हटाया है। इनमें लोकतंत्र और विविधता, जनसंघर्ष व आंदोलन, राजनीतिक दल, लोकतंत्र की चुनौतियां जैसे पाठ शामिल है। हालांकि, एनसीईआरटी का कहना है कि पाठ्यक्रम में यह बदलाव पिछले शैक्षणिक सत्र यानी 2022-23 में ही किया गया है, जिसे डिजिटल किताबों में तुरंत लागू भी कर दिया गया था। लेकिन इस बदलाव के बाद अब नई किताबें आयी है।
एनसीईआरटी ने क्या कहा?
एनसीईआरटी के मुताबिक, पाठ्यक्रमों को कम करने का यह फैसला छात्रों के सिर से पढ़ाई के बोझ को कम करने के तहत लिया गया है। पिछले साल नई किताबें नहीं आ पायी थी, जिसके चलते इस बदलाव की जानकारी सभी तक नहीं पहुंच सकी थी। जानकारों की मानें तो नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत स्कूलों के लिए तैयार होने वाली नई किताबों के पहले यह कदम उठाया गया है। वैसे भी नीति के शैक्षणिक सत्र 2024-25 में नई किताबें लाने का लक्ष्य रखा गया है।
'यह एक सामान्य प्रक्रिया है'
इस बीच एनसीईआरटी ने छठवीं से बारहवीं कक्षा के अलग-अलग विषयों में किए गए इस बदलाव की जानकारी साझा की है। साथ ही कहा है कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है। वह समय-समय से पाठ्यपुस्तकों से उन विषयों को हटाते और जोड़ते है जिसकी जरूरत समझी जाती है या विशेषज्ञ कमेटी उसकी सिफारिश करती है।
NCERT ने 12वीं की किताब से हटाए 'खालिस्तान' और 'सिख राष्ट्र' जैसे शब्द, 2006 में लाई गई थी यह किताब
हाल ही में एनसीईआरटी ने बारहवीं की राजनीतिक विज्ञान की किताब से आनंदपुर साहिब संकल्प में शामिल 'खालिस्तान' और 'सिख राष्ट्र' जैसे शब्दों को हटाने का फैसला लिया था। यह फैसला शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के उस अनुरोध पर किया था, जिसे कमेटी ने सिखों की छवि को खराब करने वाला बताया था। साथ ही यह साफ किया था कि आनंदपुर साहिब संकल्प में इन शब्दों या फिर ऐसी भावना नहीं व्यक्त की गई थी। इससे पहले एनसीईआरटी ने विज्ञान विषय से विकास का सिद्धांत नाम के उस पाठ को भी हटा दिया था, जिसमें डार्विन की थ्योरी भी शामिल थी। जिसे लेकर वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों के एक बड़े वर्ग में नाखुशी भी जताई थी।
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