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    किताबों के हिंदी नामों पर उठे विवाद को NCERT ने किया खारिज, कहा- नाम NEP के तहत

    नई शिक्षा नीति के तहत तैयार एनसीईआरटी की किताबों के हिंदी नामों को लेकर उठे विवाद पर परिषद ने सफाई दी है कि ये नाम भारतीय संस्कृति से जुड़ाव बढ़ाने के लिए रखे गए। इनमें संतूर मृदंग तबला जैसे भारतीय वाद्य यंत्रों के नाम शामिल हैं। परिषद ने बताया कि किताबों को शिक्षकों और छात्रों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है और पहली बार इन्हें फाइव स्टार रेटिंग भी प्राप्त हुई।

    By Jagran News Edited By: Chandan Kumar Updated: Mon, 14 Apr 2025 11:30 PM (IST)
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    एनईपी के तहत तैयार नई पुस्तकों में भारतीय रागों और वाद्य यंत्रों के नामों का प्रयोग। (फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत स्कूलों के लिए तैयार की गई नई किताबों के हिंदी नामों को लेकर उठे विवाद पर एनसीईआरटी (भारतीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) ने साफ किया है कि किताबों के नाम देश की नई पीढ़ी को भारतीय जड़ों से जोड़ने वाले और एनईपी की सिफारिशों के अनुरूप हैं। जो लोग इन नामों को लेकर विरोध कर रहे हैं, उनका विरोध पूरी तरह से अनुचित है। वैसे भी जिन्हें इन किताबों को पढ़ना और जिन्हें पढ़ाना है, वे सभी इन्हें बेहद पसंद कर रहे है।

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    भारतीय वाद्य यंत्रों और रागों से जुड़े हैं नाम

    किताबों के हिंदी नामों पर उठे विवाद के बीच एनसीईआरटी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि स्कूलों के लिए तैयार की गई ये किताबें वैसे तो दो साल से पढ़ाई जा रही है लेकिन तब किसी ने कोई आपत्ति नहीं जताई। वैसे भी इन किताबों के जो नाम हैं वह भारतीय वाद्य यंत्रों और रागों के नाम पर रखे गए है, जैसे संतूर, मृदंग, तबला, वीणा व पूर्वी आदि। ये शब्द देश की नई पीढ़ी को भारतीयता का अहसास कराने वाले हैं।

    पहली बार फाइव स्टार रेटिंग मिली

    एनसीईआरटी के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पुस्तकों को लेकर शिक्षकों और बच्चों के बीच से दो सालों में जो फीडबैक आया है, वह उत्साहित करने वाला है। एनसीईआरटी की नई किताबों को पहली बार फाइव स्टार रेटिंग मिली है। इससे पहले इनकी दो स्टार रेटिंग ही थी। जो लोग इन किताबों के नामों को हिंदी या अंग्रेजी के नाम पर विरोध को हवा दे रहे हैं, यही लोग पहले एनईपी को लेकर भी विरोध कर रहे थे।

    पश्चिम नहीं, अब भारत है फोकस

    इस बीच अंग्रेजी की जिस किताब पूर्वी के नाम को इस पूरे विवाद में घसीटा जा रहा है, उसे तैयार करने वाली टीम में शामिल एक वरिष्ठ शिक्षाविद ने कहा कि इस पुस्तक की विषयवस्तु भी अब पश्चिम के बजाय भारत फोकस हो गई है। अब तक अंग्रेजी की किताबों में पश्चिम की कहानी पढ़ाई जाती थी, लेकिन अब इनमें रानी अब्बक्का की कहानी देश की नई पीढ़ी पढ़ेगी। जो झांसी की रानी लक्ष्मीबाई जैसी ही बहादुर थी। देश में औपनिवेशिक आक्रमणकारियों के खिलाफ लड़ने वाली पहली भारतीय महिला थीं। कर्नाटक के उल्लाल नगर के प्रसिद्ध चौटा घराने में जन्मी रानी अब्बक्का का पूरा नाम अभया रानी अब्बक्का चौटा था।

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