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    यह 'आत्महत्या से कम नहीं है', अंग्रेजी मीडियम स्कूलों को लेकर NCERT डायरेक्टर ने कह दी बड़ी बात

    By Agency Edited By: Nidhi Avinash
    Updated: Tue, 18 Jun 2024 06:00 PM (IST)

    NCERT के डायरेक्टर डी पी सकलानी ने इस बात पर दुख जताया है कि माता-पिता अंग्रेजी मीडियम के स्कूलों के प्रति ज्यादा आकर्षित हैं। जबकि सरकारी स्कूलों मे ...और पढ़ें

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    माता-पिता की पहली पसंद अंग्रेजी मीडियम स्कूल क्यों? (Image: ANI)

    पीटीआई, नई दिल्ली। माता-पिता अंग्रेजी मीडियम के स्कूलों के प्रति ज्यादा आकर्षित हैं, जबकि उनमें से अधिकांश शिक्षक ट्रेन भी नहीं हैं। NCERT के डायरेक्टर डी पी सकलानी ने यह बयान देते हुए दुख जताया है। उन्होंने दावा किया कि यह 'आत्महत्या से कम नहीं है' क्योंकि सरकारी स्कूल भी अब गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।

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    PTI एजेंसी के संपादकों के साथ बातचीत के दौरान राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के प्रमुख ने कहा कि अंग्रेजी में पढ़ाई को रटने की प्रथा से बच्चों में ज्ञान की कमी आई है और वे अपनी जड़ों और संस्कृति से दूर होते चले गए हैं। 

    माता-पिता अंग्रेजी मीडियम के स्कूलों के प्रति ज्यादा इच्छुक

    डी पी सकलानी ने कहा कि 'माता-पिता अंग्रेजी मीडियम के स्कूलों के प्रति ज्यादा इच्छुक हैं, वे अपने बच्चों को ऐसे स्कूलों में भेजना पसंद करते हैं जहां भले ही वहां शिक्षक न हों या वे पर्याप्त प्रशिक्षित न हों। यह आत्महत्या से कम नहीं है और यही कारण है कि नई (राष्ट्रीय) शिक्षा नीति में मातृभाषा में पढ़ाने पर जोर दिया गया है।'

    सकलानी ने कहा, ''टीचिंग मातृभाषा पर आधारित क्यों होना चाहिए? क्योंकि तब तक हम अपनी मां, अपनी जड़ों को नहीं समझेंगे, हम कुछ भी कैसे समझेंगे? और बहुभाषी दृष्टिकोण का मतलब यह नहीं है कि किसी भी भाषा में शिक्षण समाप्त हो रहा है, बल्कि कई भाषाओं को सीखने पर जोर दिया जा रहा है।'

    NCERT की यह पहल

    एनसीईआरटी प्रमुख ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री द्वारा ओडिशा की दो जनजातीय भाषाओं में प्राइमर (पुस्तकें) विकसित करने की पहल का हवाला दिया, ताकि छात्रों को उनके स्थानीय स्वभाव और संस्कृति पर आधारित चित्रों, कहानियों और गीतों की मदद से पढ़ाया जा सके, जिससे उनके बोलने के कौशल, सीखने के परिणाम और संज्ञानात्मक विकास में सुधार हो सके।

    NCERT प्रमुख ने कहा कि हम अब 121 भाषाओं में प्राइमर विकसित कर रहे हैं जो इस साल तैयार हो जाएंगे और स्कूल जाने वाले बच्चों को उनकी जड़ों से जोड़ने में मदद करेंगे। सकलानी ने कहा, 'हम अंग्रेजी में रटना शुरू कर देते हैं और यहीं ज्ञान की हानि होती है। भाषा एक सक्षम कारक होनी चाहिए, इसे अक्षम नहीं करना चाहिए। अब तक हम अक्षम थे और अब बहुभाषी शिक्षा के माध्यम से हम खुद को सक्षम बनाने की कोशिश कर रहे हैं।'

    कम से कम ग्रेड 5 तक शिक्षा का माध्यम कैसा होना चाहिए

    2020 में अधिसूचित नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) ने सिफारिश की थी कि जहां भी संभव हो, कम से कम ग्रेड 5 तक शिक्षा का माध्यम घरेलू भाषा, मातृभाषा, स्थानीय भाषा या क्षेत्रीय भाषा होनी चाहिए। नीति में सिफारिश की गई थी कि मातृभाषा में शिक्षण अधिमानतः ग्रेड 8 और उससे आगे तक होना चाहिए। इसके बाद, जहां भी संभव हो, घरेलू या स्थानीय भाषा को भाषा के रूप में पढ़ाया जाना जारी रहेगा।

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