एक तरफ ब्रह्मोस-आकाश से पाकिस्तान को चटाई जा रही थी धूल, दूसरी तरफ शराब की खाली बोतलों से यहां चल रही थी लड़ाई
छत्तीसगढ़ में नक्सलियों और सुरक्षा बलों के बीच लड़ाई में अजीब हथियार इस्तेमाल हो रहे हैं। नक्सली बीयर की खाली बोतलों में कोडेक्स तार भरकर आइईडी बना रहे हैं जिससे कई जवान घायल हुए। वहीं सुरक्षा बल अपने कैंप के चारों ओर खाली बोतलों को लटकाकर अर्ली वार्निंग सिस्टम के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। रात में तारों से टकराकर ये बोतलें बजती हैं।

नीलू रंजन, जागरण। नई दिल्ली। पाकिस्तान के खिलाफ लड़ाई में जहां भारतीय सेना ब्रह्मोस, आकाश और एस-400 जैसे अत्याधुनिक हथियारों का इस्तेमाल कर रही थी, ठीक उसी समय कुर्रेगुट्टा की पहाड़ियों पर नक्सलियों और सुरक्षा बलों के बीच लड़ाई में शराब की खाली बोतलों का इस्तेमाल हो रहा था।
नक्सली बीयर की खाली बोतलों से आइईडी बनाकर सुरक्षा बलों को रोकने की कोशिश कर रहे थे, वहीं सुरक्षा बल अपने कैंप के चारों ओर कटीलें तारों में शराब की खाली बोतलों को लटकाकर अर्ली वार्निंग सिस्टम के रूप में उसका इस्तेमाल कर रहे थे।
क्या होता है कोडेक्स तार, जिससे नक्सली बना रहे विस्फोटक?
छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी ऑपरेशन से लंबे समय से जुड़े सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अभी तक नक्सलियों आइईडी बनाने के लिए प्रेशर आइईडी का इस्तेमाल करते देखा गया था। आपरेशन के दौरान पैर पड़ते ही ये प्रेशर आइईडी ब्लास्ट कर जाता था। लेकिन पहली बार कुर्रेगट्टा पहाड़ के चारों ओर जवानों को बीयर की खाली बोतलों से बनी आइईडी का सामना करना पड़ा।
बीयर की इन खाली बोतलों के भीतर नक्सली कोडेक्स तार बारीकी से जमा कर और उसमें सर्किट जोड़कर आइईडी का रूप दे दिया था। कोर्डेक्स तार एक अति ज्वलनशील विस्फोटक होता होता है, जिसे बिजली के तार के रूप में बनाया जाता है।
छत्तीसगढ़ की खदानों में इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है। एक सेंकेंड में छह से सात किलोमीटर के कोडेक्स तार में विस्फोट होता है। जाहिर है बीयर की बोतल में बंद कोडेक्स तार एक खतरनाक आइईडी का बन जाता है। इसी बीयर की बोतल वाले आइईडी की चपेट में आने से 18 जवान जख्मी हो गए। जबकि 450 से अधिक आइईडी को निष्कि्रय किया गया।
कैसे अर्ली वॉनिंग की तरह काम करती है बीयर की खाली बोतलें?
दूसरी ओर सुरक्षा बलों के जवानों अपने फॉरवर्ड ऑपरेशनल बेस के चारों और कटीले तार लगा रखा है। इन कटीले तारों में शराब की जगह-जगह शराब की दो खाली बातलों को एक साथ जोड़कर लटकाया गया है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नक्सलियों के गढ़ में ये खाली बोतलें अर्ली वार्निंग सिस्टम का काम करती हैं, कई बार रात के अंधेरे में कैंप में नक्सली हमले को नाकाम करने में सहायक रही है।
दरअसल नक्सली रात के अंधेरे में कटीलें तारों को काटने की कोशिश करते हैं, तो उनसे लटके ये ये बोतल आपस में टकरा कर बजने लगते हैं, जिससे सर्तक होकर सुरक्षा बल के जवानों को मोर्चा संभालने का मौका मिल जाता है और नक्सली अंधेरे का लाभ उठाकर भाग जाते हैं।
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