नाबालिगों की भर्ती कर सीधे हिंसा की आग में झोंक रहे नक्सली, गढ़चिरौली मुठभेड़ से हुआ पर्दाफाश
सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट केमुताबिक नक्सलियों को सीमावर्ती महाराष्ट्र ओडिशा और अन्य राज्यों में कैडर नहीं मिल रहे हैं। इसलिए बस्तर से भर्ती कर युवाओं को बाहर भेजा जा रहा है। इस साल दरभा डिवीजन में 22 नए नक्सली भर्ती किए गए हैं।

अनिल मिश्रा, जगदलपुर। छत्तीसगढ़ में बस्तर केनाबालिगों को नक्सली सीधे हिंसा में झोंक रहे हैं। इसका पता गत शनिवार को महाराष्ट्र में गढ़चिरौली जिले के जंगलों में हुई मुठभेड़ में मारे गए 26 नक्सलियों की शिनाख्त से चला है। इसमें आठ नक्सली ऐसे थे, जो बस्तर केथे और इनमें ज्यादातर की उम्र 17 से 18 थी। बस्तर के जंगल में इनकी भर्ती की गई थी। इसकेबाद दो-तीन महीने की ट्रेनिंग देकर हिंसा में झोंक दिया गया। उनकेस्वजन को भी जानकारी नहीं दी गई।
सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट केमुताबिक नक्सलियों को सीमावर्ती महाराष्ट्र, ओडिशा और अन्य राज्यों में कैडर नहीं मिल रहे हैं। इसलिए बस्तर से भर्ती कर युवाओं को बाहर भेजा जा रहा है। इस साल दरभा डिवीजन में 22 नए नक्सली भर्ती किए गए हैं। पुलिस अभी पता लगा रही है कि वे अभी कहां हैं। पुलिस ने बस्तर में नक्सलियों केभर्ती वाले इलाकों में संबंधितों के माता-पिता की काउंसलिंग का विशेष अभियान भी शुरू किया है।
भर्ती तो हुई पर जिले में सक्रिय नहीं
दंतेवाड़ा पुलिस ने हाल के दिनों में अपने जिले के नक्सलियों का सर्वे किया तो पता चला कि 110 युवा ऐसे हैं, जिन्होंने नक्सलवाद का दामन तो थामा है, मगर जिले में या आसपास के जिले में वह सक्रिय नहीं हैं।
दंडकारण्य में मनमानी
2004 में माओइस्ट कम्युनिस्ट सेंटर (एमसीसी) व पीपुल्स वार ग्रुप (पीडब्ल्यूजी ) के विलय के समय नक्सलियों ने जो दस्तावेज जारी किए थे, उनमें कहा गया था कि दंडकारण्य को आधार इलाका बनाकर देश में विस्तार करेंगे। दंडकारण्य को आधार इलाका बनाने के बाद उन्होंने महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती इलाकों में नया एमएमसी जोन बनाया तो यहां से लड़ाके भी भेजे गए। बस्तर के आदिवासियों में जागरूकता की कमी का फायदा उठाकर नक्सली मनमानी कर रहे हैं।
किशोरों को बरगलाकर नक्सली देश के दूसरे राज्यों में भेज रहे
बस्तर के अंदरूनी इलाकों से युवाओं और किशोरों को बरगलाकर नक्सली देश के दूसरे राज्यों में भेज रहे हैं। एक बार बाहर जाने के बाद स्वजन का उनसे संपर्क का कोई जरिया नहीं बचता है। सुख-दुख में भी उनके बच्चे गांव नहीं आ पाते हैं। कभी-कभी तो उनके मुठभेड़ में मरने की खबर भी नहीं पहुंच पाती है। अभी गढ़चिरौली में जो नक्सली मारे गए हैं, उनमें दंतेवाड़ा का तो कोई नहीं था, मगर सुकमा व बीजापुर आदि जिलों के थे।
-डा. अभिषेक पल्लव, पुलिस अधीक्षक, दंतेवाड़ा
अपने बच्चों को हिंसा की राह पर न भेजें
ऐसे युवाओं के स्वजन की काउंसिलिंग का कार्यक्रम बनाया गया है, जो नक्सलवाद की ओर आकर्षित हुए हैं। सुरक्षा बलों के जवान नक्सलियों के घरों में जाकर उनके माता-पिता को समझा रहे हैं कि वह अपने बच्चों को हिंसा की राह पर न भेजें।
-सुंदरराज पी, आइजी, बस्तर
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