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    अंग्रेजों के जमाने की 'बैटन' परंपरा खत्म, नेवी ने कहा- अमृत काल की नौसेना में इसके लिए कोई जगह नहीं

    By Jagran NewsEdited By: Mohammad Sameer
    Updated: Sun, 30 Jul 2023 06:27 AM (IST)

    भारतीय सशस्त्र बलों ने औपनिवेशिक युग की विरासत को मिटाने के लिए कई कदम उठाए हैं। नौसेना ने अपना प्रतीक चिन्ह भी बदल दिया है। नौसेना के नए ध्वज या ‘निशान’ का भी पिछले साल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अनावरण किया था। नई पताका छत्रपति शिवाजी की मुहर से प्रेरित है। बैटन परंपरा को खत्म करते हुए कहा अमृत काल की परिवर्तित नौसेना में इसके लिए कोई स्थान नहीं है।

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    नौसेना ने बैटन ले जाने की औपनिवेशिक विरासत को समाप्त किया।

    नई दिल्ली, एजेंसी: अमृतकाल में गुलामी की निशानियों को खत्म करने के सरकार के निर्देश के अनुरूप नौसेना ने अपने सभी कर्मियों द्वारा बैटन ले जाने की प्रथा को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया है। नौसेना ने कहा, अधिकार या ताकत का प्रतीक बैटन औपनिवेशिक विरासत है।

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    अमृत काल की परिवर्तित नौसेना में इसके लिए कोई स्थान नहीं

    उन्होंने कहा कि, अमृत काल की परिवर्तित नौसेना में इसके लिए कोई स्थान नहीं है। कर्मियों द्वारा बैटन ले जाने की प्रथा को तत्काल प्रभाव से बंद किया जाए। नौसेना ने निर्देश दिया है कि प्रत्येक इकाई के संगठन प्रमुख के कार्यालय में बैटन को रखा जाए। बैटन का औपचारिक हस्तांतरण केवल कमान में बदलाव के हिस्से के रूप में किया जा सकता है।

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    भारतीय सशस्त्र बलों ने औपनिवेशिक युग की विरासत को मिटाने के लिए कई कदम उठाए हैं। नौसेना ने अपना प्रतीक चिन्ह भी बदल दिया है। नौसेना के नए ध्वज या ‘निशान’ का भी पिछले साल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अनावरण किया था। नई पताका छत्रपति शिवाजी की मुहर से प्रेरित है।

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