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    पानी की बर्बादी रोकने और सही इस्‍तेमाल के ल‍िए 3 उपसमूहों का गठन, तय होगी जल उपयोग दक्षता की एकसमान परिभाषा

    By Jagran NewsEdited By: Vinay Saxena
    Updated: Tue, 30 May 2023 07:18 PM (IST)

    जलशक्ति मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार ब्यूरो ऑफ वाटर यूज इफीशिएंसी (बीडब्ल्यूयूई) के अंर्तगत काम कर रहे राष्ट्रीय कार्यबल ने इस आशय का निर्णय लिया है। यह कार्यबल पानी के इस्तेमाल की मौजूदा क्षमता में 20 प्रतिशत सुधार के मुख्य उद्देश्य के साथ काम कर रहा है।

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    उपसमूहों के सामने सबसे बड़ी चुनौती जल उपयोग दक्षता (डब्लूयूई) की एकसमान परिभाषा तय करना है।

    नई दिल्ली, मनीष तिवारी। बहुमूल्य जल की बर्बादी रोकने और उसका समुचित इस्तेमाल सुनिश्चित के लिए राष्ट्रीय जल मिशन के लक्ष्यों को प्राप्त करने में जुटी केंद्र सरकार ने कृषि, उद्योग जगत और शहरी-ग्रामीण घरों में इसके प्रयोग को लेकर अलग-अलग रूपरेखा बनाने का निर्णय लिया है। इसके लिए तीन उपसमूहों का गठन किया गया है, जो इन क्षेत्रों में पानी के इस्तेमाल के नियम-कायदे तय करने के संदर्भ में अपनी सिफारिशें करेंगे। जलशक्ति मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, ब्यूरो ऑफ वाटर यूज इफीशिएंसी (बीडब्ल्यूयूई) के अंर्तगत काम कर रहे राष्ट्रीय कार्यबल ने इस आशय का निर्णय लिया है।

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    WUE की एकसमान पर‍िभाषा तय करना सबसे बड़ी चुनौती

    बता दें क‍ि यह कार्यबल पानी के इस्तेमाल की मौजूदा क्षमता में 20 प्रतिशत सुधार के मुख्य उद्देश्य के साथ काम कर रहा है। उपसमूहों के सामने सबसे बड़ी चुनौती जल उपयोग दक्षता (डब्लूयूई) की एकसमान परिभाषा तय करना है। अपने देश में पानी का सबसे अधिक इस्तेमाल स‍िंचाई में होता है, लेकिन यहां पानी के प्रयोग की दक्षता नापने के अलग-अलग पैमाने हैं, जैसे फसल में उपयोग किए जाने वाले पानी से लेकर प्रति इकाई जीडीपी में योगदान तक। इसी तरह घरेलू और उद्योगों में पानी के उपयोग की दक्षता तय करने का कोई एक पैमाना नहीं है।

    पानी के इस्तेमाल को लेकर अभी तक कोई कुशल तरीका नहीं बन पाया

    विशेषज्ञों का भी कहना है कि पानी के इस्तेमाल को लेकर अभी तक कोई कुशल तरीका नहीं बन पाया है। इससे एक तो उपलब्ध जल का समुचित इस्तेमाल नहीं हो पाता और दूसरे, एक बहुमूल्य संसाधन की बर्बादी का सिलसिला भी कायम है। स‍िंचाई में लगभग अस्सी प्रतिशत जल का प्रयोग होता है, लेकिन इससे संबंधित परियोजनाओं में पानी के उचित-अनुचित इस्तेमाल को मापने का कोई प्रभावी तंत्र नहीं है। उपसमूहों के सामने उस पैमाने को तय करने की भी चुनौती है, जिसके जरिये जल उपयोग दक्षता का आकलन किया जाएगा। उपसमूह जल उपयोग के बुनियादी परिदृश्‍य को तय करेंगे, मसलन इसके निर्धारण की तकनीक, तरीका, निगरानी के संकेतक और अल्पावधि और दीर्घकालिक उपाय।

    सूत्रों के अनुसार, उपसमूहों को यह जिम्मेदारी भी दी गई है कि वे जनजागरुकता और लोगों तक पहुंचने के कार्यक्रम को और प्रभावी बनाने के उपाय बताएं। इसी तरह एक अन्य चुनौती लीकेज और पानी के नुकसान को रोकने की भी है, जो हर दिन गांवों और शहरों, सभी जगह दिखाई देता है। स‍िंचाई के लिए बने उपसमूह की अध्यक्षता गोदावरी रिवर मैनेजमेंट बोर्ड (जीआरएमबी) के एमके सिन्हा करेंगे, जबकि उद्योगों के लिए गठित उपसमूह की अध्यक्षता इस्पात मंत्रालय के संयुक्त सचिव संजय राय करेंगे। शहरी और ग्रामीण इलाकों में घरेलू इस्तेमाल के लिए पानी के बारे में रिपोर्ट सीआईआई के कार्यकारी निदेशक कपिल कुमार नरूला प्रस्तुत करेंगे।