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राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा की फिर होगी शुरुआत, शिक्षा मंत्रालय ने इसे नए स्वरूप में लॉन्च करने का किया ऐलान

इस परीक्षा में सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के छात्र हिस्सा लेते थे। मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक नए प्रस्ताव में एनटीएसई के दायरे को बढ़ाया भी सकता है। अभी इसके तहत हर साल सिर्फ दो हजार छात्रों का ही चयन किया जाता है।

By Jagran NewsEdited By: Piyush KumarPublished: Tue, 28 Mar 2023 08:14 PM (IST)Updated: Tue, 28 Mar 2023 08:14 PM (IST)
राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा की फिर होगी शुरुआत, शिक्षा मंत्रालय ने इसे नए स्वरूप में लॉन्च करने का किया ऐलान
राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा (NTSE) अब जल्द ही फिर से शुरू होगी।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। स्कूली छात्रों के बीच लोकप्रिय राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा (NTSE) अब जल्द ही फिर से शुरू होगी। छात्रों की ओर से लगातार उठ रही मांगों को देखते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने फिर से इसे शुरू करने का ऐलान किया है। साथ ही बताया है कि इसे लेकर नई गाइडलाइन तैयार करने का काम किया जा रहा है। इस परीक्षा को पिछले साल ही मंत्रालय ने एक निर्धारित अवधि के पूरी होने के बाद बंद कर दी थी।

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नए प्रस्ताव में एनटीएसई के दायरे को बढ़ाया भी सकता है

इस परीक्षा में सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के छात्र हिस्सा लेते थे। जिसका एक कोटा भी तय था। मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक नए प्रस्ताव में एनटीएसई के दायरे को बढ़ाया भी सकता है। अभी इसके तहत हर साल सिर्फ दो हजार छात्रों का ही चयन किया जाता है। इसके अलावा इस परीक्षा में शामिल होने के लिए राज्यों के कोटे में भी वृद्धि की जा सकती है।

हर साल इस परीक्षा का होता है आयोजन

अब तक इस परीक्षा में सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के करीब आठ हजार छात्र ही शामिल हो सकते थे, लेकिन अब 15 हजार तक किया जा सकता है। आर्थिक रूप से कमजोर प्रतिभाशाली छात्रों की मदद के लिए शुरू गई इस परीक्षा का आयोजन हर साल होता था। जिसमें दसवीं की पढ़ाई करने वाले छात्र ही हिस्सा ले सकते थे।

छात्रों को मिलती है वित्तीय मदद

इसके तहत हर साल देश भर से दो हजार बच्चों का यह चयन किया था। इसके चलते उन्हें ग्यारहवीं से पूरी उच्च शिक्षा तक के दौरान छात्रवृत्ति प्रदान की जाती थी। इस दौरान इन्हें ग्यारहवीं और बारहवीं के स्तर पर हर महीने अब तक 1250 रुपए दिए जाते थे, जबकि ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन के स्तर पर हर महीने दो हजार रुपए और पीएचडी या शोध कार्यों के दौरान यूजीसी की ओर से तय मानकों के तहत उन्हें छात्रवृत्ति दी जाती थी। इसके अतिरिक्त इन्हें उच्च शिक्षण संस्थानों में दाखिले में भी विशेष वरीयता दी जाती थी।


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