Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Women's Reservation Bill 2023: महिला आरक्षण के तत्काल कार्यान्वयन के लिए NFIW ने खटखटाया SC का दरवाजा

    By Agency Edited By: Sonu Gupta
    Updated: Thu, 25 Jan 2024 04:15 PM (IST)

    NFIW ने महिला आरक्षण अधिनियम के क्रियान्वयन के लिए निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के प्रावधान को चुनौती दी है। यह मामला न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था जिसमें शुक्रवार को इससे संबंधित एक अन्य याचिका के साथ टैग कर दिया गया। याचिकाकर्ता ने महिला आरक्षण अधिनियम 2023 के अनुच्छेद 334 ए को असंवैधानिक घोषित करने का निर्देश जारी करने का आग्रह किया है।

    Hero Image
    महिला आरक्षण के तत्काल कार्यान्वयन के लिए NFIW ने खटखटाया SC का दरवाजा। फाइल फोटो।

    एएनआई, नई दिल्ली। भारतीय राष्ट्रीय महिला फेडरेशन (NFIW) ने महिला आरक्षण अधिनियम के क्रियान्वयन के लिए निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के प्रावधान को चुनौती दी है। यह मामला न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था, जिसमें शुक्रवार को इससे संबंधित एक अन्य याचिका के साथ टैग कर दिया गया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    NFIW ने दी है चुनौती

    NFIW ने वकील प्रशांत भूषण और रिया यादव के माध्यम से दायर याचिका में महिला आरक्षण अधिनियम 2023 के अनुच्छेद 334ए (1) या खंड 5 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है। याचिका में कहा गया है कि उक्त खंड मनमाने, असमान और अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन करने वाला है। मालूम हो कि भारतीय महिला राष्ट्रीय महासंघ महिलाओं के अधिकारों को सुरक्षित करने के उद्देश्य से 1954 में स्थापित किया गया था। वर्तामान में सामाजिक कार्यकर्ता एनी राजा राष्ट्रीय महिला महासंघ के महासचिव हैं।

    यह भी पढ़ेंः Supreme Court: DHFL के वधावन बंधुओं को मिली जमानत रद, SC बोला- 'HC और निचली अदालत ने की गलती'

    याचिका में क्या कहा गया है?

    याचिका में कहा गया है कि लोकसभा या राज्य विधानसभाओं में परिसीमन का कार्य करना लोकसभा या राज्य विधानमंडलों में आरक्षण के कार्यान्वयन के लिए कभी भी आवश्यक नहीं रहा है। कुछ वर्गों के लिए आरक्षण जहां ऐसा कोई परिसीमन खंड पेश नहीं किया गया था और केवल महिलाओं के आरक्षण के लिए पूर्व शर्त के रूप में परिसीमन करना और लोकसभा और राज्य विधान सभा में एससी/एसटी/एंग्लो-इंडियन के लिए आरक्षण नहीं करना अनुच्छेद 14 और 15 और समानता संहिता और परिणामस्वरूप मूल संरचना सिद्धांत का उल्लंघन है।

    महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देता है अधिनियम

    याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत से महिला आरक्षण अधिनियम, 2023 के अनुच्छेद 334 ए (1) या खंड 5 को असंवैधानिक घोषित करने का निर्देश जारी करने का आग्रह किया। मालूम हो कि 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करता है।

    कोर्ट ने केंद्र से मांगा है जवाब

    मालूम हो कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से महिला आरक्षण मामले में कांग्रेस नेता जया ठाकुर की याचिका पर दो सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा। याचिका में नारी शक्ति वंदन अधिनियम-2023 को तत्काल लागू करने का अनुरोध किया गया है, ताकि इस साल होने वाले आम चुनाव से पहले लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में एक तिहाई सीट महिलाओं के लिए आरक्षित की जा सकें।

    यह भी पढ़ेंः Women Reservation: महिला आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब, दो सप्ताह का दिया समय