NATGRID: 'The Family Man' जैसी होंगी खुफिया एजेंसियां, हर हरकत पर होगी नजर
NATGRID की शुरूआत के बाद सुरक्षा एजेंसियां कई तरह की खुफिया और संदिग्ध गतिविधियों पर हर पल नजर रख सकेंगी। आतंकवाद से निपटने में ये बेहद कारगर साबित हो ...और पढ़ें

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने के बाद केंद्र सरकार की प्राथमिकता अब आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करने की है। आतंकवाद और नक्सलवाद जैसी समस्याओं का स्थाई समाधान तलाशने के लिए केंद्र सरकार अगले साल, 2020 से नेटग्रिड (NATGRID) व्यवस्था लागू करने जा रही है। इसके जरिए सुरक्षा एजेंसियां आपकी हर हरकत की लाइव ट्रैकिंग कर सकेंगी।
नेटग्रिड मतलब नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड (The National Intelligence Grid), देश की सभी सुरक्षा एजेंसियों को पल-पल का (रीयल टाइम) डाटा उपलब्ध कराएगा। इसकी शुरूआत के बाद सुरक्षा एजेंसियां कुछ उसी तरह से रीयल टाइम डाटा पर काम कर सकेंगी, जैसा कि अभिनेता मनोज बाजपेयी (Manoj Bajpai) अभिनीत, चर्चित वेब सीरिज (Web Seroes) 'द फैमिलि मैन' (The Family Man) में दिखाया गया है। इस वेब सीरिज में मनोज बाजपेयी खुफिया एजेंसी टास्क (TASK) के एजेंट का किरदार कर रहे हैं। वेब सीरिज में दिखाया गया है कि कस तरह से खुफिया एजेंसियां बड़े गोपनीय तरीके से रीयल टाइम डाटा का एनालिसिस करती हैं और फिर उसके आधार पर देश के अंदर और बाहर रची जा रही बड़ी-बड़ी साजिशों को नाकाम करते हैं।

जनवरी 2020 से शुरू होगा नेटग्रिड
'द फैमिली मैन' के अलावा भी खुफिया एजेंसियों और एजेंटों पर आधारित बहुत सी वेब सीरिज और फिल्मों में इस तरह के सिस्टम के बारे में दिखाया गया है। दुनिया के कई विकसित देशों में खुफिया एजेंसियां इस तरह के इंटिग्रेटेड सिस्टम की मदद से देश के अंदर होने वाली हर गतिविधियों पर नजर रखती हैं। भारत में भी सुरक्षा एजेंसियों के लिए इस तरह के सिस्टम की लंबे समय से जरूरत महसूस की जा रही थी, जो जनवरी 2020 तक पूरी हो जाएगी। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार नेटग्रिड भारत के भीतर आतंकियों की कमर तोड़ देगा। इसके बाद आतंकियों के लिए अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देना लगभग नामुमकिन हो जाएगा।
कैसे काम करेगा नेटग्रिड
खुफिया इनपुट का विश्लेषण करने के लिए नेटग्रिड के पास देश में आने वाले और यहां से दूसरे देश जाने वाले हर देशी-विदेशी व्यक्ति का पूरा डाटा उपलब्ध होगा। बैंकिंग व वित्तीय लेनदेन, इमिग्रेशन, कार्ड से खरीदारी, ऑनलाइन शॉपिंग, मोबाइल व फोन कॉल, सोशल मीडिया प्रोफाइल, इंटरनेट सर्च, व्यक्तिगत करदाता, हवाई यात्रियों और रेल यात्रियों का रीयल टाइम डाटा भी नेटग्रिड की पहुंच में होगा। इसकी मदद से सुरक्षा एजेंसियां हर संदिग्ध हरकत पर 24 घंटे नजर रख सकेंगी। नेटग्रिड सभी तरह के डाटा का एनालिसिस कर, उसे खुफिया एजेंसियों तक पहुंचाएगा। संदिग्ध गतिविध पर नेटग्रिड सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट करेगा।

3400 करोड़ का है प्रोजेक्ट
केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने रविवार को न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया है कि 3400 करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट का काम लगभग पूरा कर लिया गया है। इसके दो सेंटर होंगे। पहला बैंगलुरू में इसका डाटा रिकवरी सेंटर होगा और दूसरा दिल्ली में मुख्यालय होगा। दोनो सेंटर का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है। जनवरी 2020 से ये काम करना शुरू कर देगा। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हाल में इस प्रोजेक्ट की प्रगति की समीक्षा की है, इसके बाद से इसके काम में और तेजी आ गई है।
1000 संगठनों का होगा डाटा
न्यूज एजेंसी संग हुई वार्ता में अधिकारी ने बताया है कि नेटग्रिड के डाटा का काम भी तेजी से पूरा किया जा रहा है। आयकर विभाग के लगभग आठ करोड़ करदाताओं का डाटा नेटग्रिड प्रबंधन को प्राप्त हो चुका है। इसके अलावा नागरिक उड्डयन मंत्रालय और सभी एयरलाइंस कंपनियों से भी डाटा उलब्ध कराने के लिए वार्ता जारी है। पहले चरण में नेटग्रिड से 10 एजेंसियों और 21 सेवा प्रदाताओं का डाटा जोड़ा जाएगा। आने वाले वर्षों में करीब 1000 अन्य संगठनों का गोपनीय डाटा नेटग्रिड से जोड़ने की योजना है। फिलहाल, बैंकिंग लेनदेन और इमिग्रेशन का डाटा नेटग्रिड पर रियल टाइम मैकेनिज्म के तहत सुरक्षा एजेंसियों को उपलब्ध कराया जाएगा।

10 सुरक्षा एजेंसियों को मिलेगा ये डाटा
नेटग्रिड का डाटा देश की 10 सुरक्षा एजेंसियों को रियल टाइम मिलेगा। इसमें इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB), रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW), सीबीआई (CBI), प्रवर्तन निदेशालय (ED), डीआइआइ (DII), फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट (FIU), सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टेक्सेशन (CBDT), सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेस एंड कस्टम्स (CBIC), डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सेंट्रल एक्साइस इंटेलिजेंस (DGCEI) और नारकोटिक्स कंट्रल ब्यूरो (NCB) शामिल हैं।
राज्य को नहीं मिलेगा डाटा
नेटग्रिड के पास देश के आम और खास हर वर्ग के नागरिक का डाटा मौजूद रहेगा। ऐसे में इसकी सुरक्षा सुनिश्चित करना भी बेहद महत्वपूर्ण है। लिहाजा राज्यों की सुरक्षा इकाईयों को सीधे डाटा उपलब्ध नहीं कराया जाएगा। राज्य की जांच व सुरक्षा एजेंसियों को उन 10 केंद्रीय एजेंसियों की मदद से डाटा प्राप्त करना होग, जिन्हें नेटग्रिड में एक्सेस दिया गया है।
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कांग्रेस सरकार ने बनाई थी योजना
नेटग्रिड की योजना 2008 के मुंबई आतंकी हमले के बाद बनी थी। इस हमले में 166 लोगों को जान गंवानी पड़ी थी। लश्कर-ए-तैयबा ने ये आतंकी हमला पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी आतंकी डेविड हेडली के फोटो-वीडियो इनपुट के आधार पर अंजाम दिया था। डेविड हेडली ने इस आतंकी हमले को अंजाम देने के लिए वर्ष 2006 से 2008 के बीच कई बार भारत की यात्रा की और इस दौरान आतंकियों के घुसपैठ और हमले के संभावित ठिकानों की रेकी कर उनकी फोटो व वीडियो बनाई थी।
पीएम मोदी ने दोबारा शुरू कराया काम
उस वक्त खुफिया एजेंसियों के पास नेटग्रिड जैसी कोई व्यवस्था नहीं थी, जिस वजह से हेडली की संदिग्ध गतिविधियों के बारे में खुफिया एजेंसियों को कोई जानकारी नहीं मिल सकी थी। मुंबई हमले के बाद यूपीए सरकार ने 8 अप्रैल 2010 को नेटग्रिड योजना को मंजूरी प्रदान की थी। हालांकि, 2012 तक इसके गठन का काम केवल फाइलों में चलता रहा। 2014 में केंद्र में सरकार बनाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 जून 2016 को एक बैठक कर इस योजना पर दोबारा काम शुरू करने का निर्देश दिया था।

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