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    नसीरुद्दीन शाह ने फिर खोला मोर्चा, कहा-देश में मजहब के नाम पर खड़ी की जा रही नफरत की दीवार

    By Arun Kumar SinghEdited By:
    Updated: Sat, 05 Jan 2019 07:04 AM (IST)

    नसीरुद्दीन शाह ने शुक्रवार को एमनेस्टी इंडिया के 2.13 मिनट के वीडियो संदेश में दावा किया कि जो लोग मानवाधिकारों की बात करते हैं उन्हें जेल में डाला जा ...और पढ़ें

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    नसीरुद्दीन शाह ने फिर खोला मोर्चा, कहा-देश में मजहब के नाम पर खड़ी की जा रही नफरत की दीवार

    नई दिल्ली, प्रेट्र। देश में गैर सरकारी संगठनों की दुकाने बंद करने से एमनेस्टी इंडिया के निशाने पर आई मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने के लिए अब यह मानवाधिकार संगठन और बॉलीवुड अभिनेता नसीरुद्दीन शाह एक साथ आ गए हैं। पद्मश्री और पद्म भूषण से सम्मानित शाह ने भारत सरकार के खिलाफ एक बार फिर आग उगलते हुए कहा कि देश में धर्म के नाम पर नफरत की दीवारें खड़ी की जा रही हैं। अन्याय के खिलाफ खड़े होने वालों को सजा दी जा रही है।

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    नसीरुद्दीन शाह ने शुक्रवार को एमनेस्टी इंडिया के 2.13 मिनट के वीडियो संदेश में दावा किया कि जो लोग मानवाधिकारों की बात करते हैं उन्हें जेल में डाला जा रहा है। कलाकारों, अभिनेताओं, विद्वानों, कवियों को दबाया जा रहा है। पत्रकारों को भी चुप कराया जा रहा है।

    एमनेस्टी इंडिया की ओर से जारी वीडियो में शाह कह रहे हैं, 'हमारे देश का संविधान हमें बोलने, सोचने, किसी भी धर्म को मानने और इबादत करने की आजादी देता है। लेकिन अब देश में मजहब के नाम पर नफरतों की दीवार खड़ी की जा रही है। जो लोग इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाते हैं, उन्हें इसकी सजा दी जाती है।'

    एमनेस्टी इंडिया के वीडियो में नसीरुद्दीन शाह ने दावा किया कि निर्दोषों की हत्या की जा रही है। देश भयानक नफरत और क्रूरता से भरा है। जो इस अन्याय के खिलाफ खड़ा होता है, उन्हें चुप कराने के लिए उनके कार्यालयों में छापे मारे जाते हैं, लाइसेंस रद किए जाते हैं और बैंक खाते फ्रीज किए जाते हैं ताकि वे सच ना बोलें।

    उन्होंने कहा, 'हमारा देश कहां जा रहा है? क्या हमने ऐसे देश का सपना देखा था जहां असंतोष की कोई जगह नहीं है, जहां केवल अमीर और शक्तिशाली लोगों को सुना जाता है और जहां गरीबों तथा सबसे कमजोर लोगों को दबाया जाता है? जहां कभी कानून था लेकिन अब बस अंधकार है।' एमनेस्टी ने 'अबकी बार मानवाधिकार' हैशटैग के तहत दावा किया कि भारत में अभिव्यक्ति की आजादी और मानवाधिकारों की पैरवी करने वालों पर बड़ी कार्रवाई की गई।'