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    Amazing! धरती से खरबों किमी की दूरी पर मौजूद एक्‍सपो प्‍लानेट पर जेम्‍स वेब टेलीस्‍कोप ने खोजा कुछ बेहद खास

    NASA के James Webb Telescope ने धरती से 700 प्रकाश वर्ष दूर मौजूद एक एक्‍सपो प्‍लानेट पर कार्बन डाई आक्‍साइड गैस होने का पता लगाया है। ये खोज अपने आप में बेहद खास है और वैज्ञानिकोंं के लिए बेहद उपयोगी है।

    By Kamal VermaEdited By: Updated: Sun, 28 Aug 2022 10:55 AM (IST)
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    धरती से खरबों किमी दूर एक्‍सपो प्‍लानेट पर मिली CO2 गैस

    नई दिल्ली (आनलाइन डेस्‍क)। नासा ने जब से जेम्‍स बेब टेलीस्‍कोप जब से अंतरिक्ष की गहराई में स्‍थापित किया गया है तभी से ये अंतरिक्ष के उन रहस्‍यों के बारे में वैज्ञानिकों को बता रहा जिनसे वे अब से पहले अंजान थे। हाल ही में नासा ने धरती से करीब 700 प्रकाश वर्ष दूर मौजूद एक ग्रह पर कार्बन डाई आक्‍साइड के होने का पता लगाया हे। इस ग्रह का नाम WASP-39b है। वैज्ञानिकों की कोशिश अब इस बात का पता लगाने की है कि आखिर इस ग्रह पर ये गैस कितनी मात्रा में मौजूद है।

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    एक्‍सपो प्‍लानेट की बड़ी जानकारी

    नासा ने इस एक्‍सपो प्‍लानेट को एक हाट गैस जेंट प्‍लानेट बताया है उसका घनत्‍व या मास जूपिटर ग्रह से करीब करीब एक चौथाई और परीधि करीब एक तिहाई अधिक है। इसके तापमान की बात करें तो इस पर ये करीब 900 डिग्री सेल्सियस या 1600 डिग्री फारेनहाइट है। इसका इसे जो करीब शनि ग्रह के ही बराबर है। इससे पहले हबल और स्पिटजर टेलीस्‍कोप ने काफी समय पहले इस पर पानी की हवा में मौजूदगी, सोडियम और पोटेशियम होने की जानकारी दी थी।

    क्‍या होते हैं एक्‍सपो प्‍लानेट

    इस ग्रह की खोज यूं तो फरवरी 2011 में ही हो गई थी, लेकिन उस वक्‍त वैज्ञानिक इस ग्रह के बारे में ज्‍यादा कुछ नहीं जानते थे। हबल टेलीस्‍कोप भी वैज्ञानिकों इस ग्रह के बारे में वो अनूठी जानकारी नहीं दे सका था जो अब जेम्‍स वेब टेलीस्‍कोप से हासिल हुई है। ये एक एक्‍सपोप्‍लानेट है। इसका अर्थ है कि ये हमारे सौरमंडल से बाहर मौजूद एक ग्रह है। एक्‍सपोप्‍लानेट हमारी धरती से दोगुना या उससे भी अधिक बड़े होते हैं।

    कार्बन डाई आक्‍साइड की मौजूदगी 

    जहां तक बात इस पर मौजूद गैस की है तो आपको बता दें कि धरती के वातावरण में कार्बन डाई आक्‍साइड गैस की मात्रा महज 0.03 फीसद ही है। वैज्ञानिक क्‍लाइमेट चेंज के लिए जिन चीजों पर नियंत्रण करने की बात कर रहे हैं उनमें एक सबसे अधिक यही गैस है। कार्बन डाई आक्‍साइड गैस हमारे वातावरण में अधिक होने पर शरीर में कई तरह की बीमारियां पैदा कर देती हैं। इससे सिर में भारीपन, चक्कर आना, अत्यधिक थकान और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएं होती हैं।

    CO2 को दूर करने वाले कुछ खास पेड़

    कार्बन डाई आक्‍साइड की धरती पर अधिकता और इसके खतरों को जानते हुए ही प्राचीन काल में कुछ खास पेड़ों को उगाने और उनका संरक्षण करने पर बल दिया था। धरती पर तरह-तरह के पेड़ मौजूद हैं। इनमें से कुछ ऐसे हैं जो अधिक कार्बन डाई आक्‍साइड छोड़ते हैं तो कुछ ऐसे भी हैं जो वातावरण से कार्बन डाई आक्‍साइड लेकर उसको आक्‍सीजन में बदल देते हैं। आपको यहां पर ये भी बता दें किवट वृक्ष, एरिका पाम, एलोविरा, तुलसी, वाइल्ड जरबेरा, स्नेक प्लांट, आरकिड, क्रिसमस ट्री, केक्टस, पीपल और नीम ऐसे पेड़ या पौधे हैं जो 24 घंटे आक्‍सीजन छोड़ते हैं। हिंदू मान्‍यताओं के मुताबिक तुलसी को घर में लगाना शुभ माना जाता है।

    जेम्‍स वेब टेलीस्‍कोप की खासियत

    नासा के जिस जेम्‍स वेब टेलीस्‍कोप ने इस एक्‍सपोप्‍लानेट पर कार्बन डाई आक्‍साइड गैस का पता लगाया है उसे दिसंबर 2021 में लान्‍च किया गया था। इस टेलीस्‍कोप को धरती से करीब 1400 किमी ऊपर स्‍थापित किया गया है। इस टेलीस्‍कोप को हजारों वैज्ञानिकों ने मिलकर बनाया है। इसमें लगा गोल्डन मिरर, जिसकी चौड़ाई करीब 21.32 फीट है, को बेरिलियम से बने 18 षटकोण टुकड़ों से जोड़कर तैयार किया गया है। इस मिरर की खासियत है कि इसके हर टुकड़े पर 48.2 ग्राम सोने की परत चढ़ी हुई है। इ टेलीस्‍कोप को बनाने में अरबों डालर का खर्च आया है। ये दुनिया का सबसे शक्तिशाली टेलीस्‍कोप है।