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    अंतरिक्ष में भारत रचेगा इतिहास... NASA-ISRO का निसार मिशन आज होगा लॉन्च, पृथ्वी की करेगा निगरानी

    By Agency Edited By: Jeet Kumar
    Updated: Wed, 30 Jul 2025 07:14 AM (IST)

    भारत अंतरिक्ष में एक नया इतिहास रचने जा रहा है। नासा और इसरो की साझेदारी से बना पहला सैटेलाइट निसार आज अंतरिक्ष में अपने सफर की शुरुआत करेगा। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर पर लॉन्च का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। इसके साथ ही निसार यानी नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार को नासा और इसरो ने मिलकर तैयार किया है

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    नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (निसार) बुधवार को लॉन्च किया जाएगा (फाइल फोटो)

     पीटीआई, श्रीहरिकोटा। पृथ्वी पर नजर रखने वाला सेटेलाइट नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (निसार) बुधवार को लॉन्च किया जाएगा। इसरो का जीएसएलवी-एफ16 रॉकेट बुधवार शाम 5.40 बजे निसार के साथ श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरेगा और सेटेलाइट को सूर्य-समकालिक ध्रुवीय कक्षा में स्थापित करेगा।

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    लॉन्चिंग की उल्टी गिनती शुरू

    इस महत्वाकांक्षी मिशन के लिए 27.30 घंटे की उल्टी गिनती मंगलवार मंगलवार दोपहर 2.10 बजे शुरू हुई। इंटरनेट मीडिया पर जारी अपडेट में इसरो ने कहा, जीएसएलवी-एफ16, निसार को कक्षा में ले जाने के लिए तैयार है। अंतिम तैयारियां चल रही हैं। लॉन्चिंग की उल्टी गिनती शुरू हो गई है।

    यह मिशन सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 102वां प्रक्षेपण होगा

    जीएसएलवी-एफ16 भारत के भू-समकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान की 18वीं उड़ान है। यह मिशन सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 102वां प्रक्षेपण होगा। यह सूर्य-समकालिक ध्रुवीय कक्षा में जाने वाला जीएसएलवी राकेट का पहला मिशन भी है।

    हालांकि इसरो ने अतीत में रिसोर्ससेट और रीसेट सहित पृथ्वी पर नजर रखने वाले उपग्रहों को प्रक्षेपित किया है, लेकिन इन उपग्रहों से एकत्रित डाटा भारतीय क्षेत्र तक ही सीमित था। 2,392 किलोग्राम वजन वाला निसार धरती की निगरानी करने वाला सेटेलाइट है।

    पूरी धरती पर नजर रखेगा निसार

    इसरो और नासा मिलकर पहली बार ऐसा सेटेलाइट लॉन्च कर रहे हैं जो पूरी धरती पर नजर रखेगा। निसार प्रत्येक 12 दिनों पर समूची पृथ्वी की भूमि व बर्फीली सतहों को स्कैन करेगा। यह एक सेंटीमीटर स्तर तक की सटीक फोटो खींचने व प्रसारित करने में सक्षम है।

     इसरो द्वारा विकसित एस-बैंड रडार लगाया गया

    इसमें नासा की तरफ से तैयार एल-बैंड और इसरो द्वारा विकसित एस-बैंड रडार लगाया गया है जिन्हें विश्व में सबसे उन्नत माना जा रहा है। यह तकनीक प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी विस्फोट, भूस्खलन व बाढ़ की रीयल-टाइम निगरानी में मदद करेगा।

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