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10 किसान संगठन नए कानूनों के साथ, कृषि मंत्री को सौंपा समर्थन पत्र, कहा- पलट जाएंगे किसानों के भाग्य

तोमर ने कहा कि नए कानून किसानों की जिंदगी में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाले हैं। इन कानूनों के प्रति सरकार की नीति और मंशा बिल्कुल स्पष्ट और सही है। उन्होंने कहा हमने किसानों और किसान नेताओं को समझाने की कोशिश की।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Mon, 14 Dec 2020 08:46 PM (IST)Updated: Tue, 15 Dec 2020 07:25 AM (IST)
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की फाइल फोटो

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कृषि सुधार कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी की मांग को लेकर पंजाब और हरियाणा के कुछ किसान संगठनों के विरोध के बीच विभिन्न राज्यों के कुल 10 किसान संगठनों के नेताओं ने सोमवार को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात कर उन्हें इन कानूनों के समर्थन में पत्र सौंपा।

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हरियाणा के 40 विधायकों और सांसदों ने कहा- कृषि कानून वापस नहीं होने चाहिए

हरियाणा के 40 विधायकों और सांसदों ने भी तोमर से मिलकर राज्य के किसानों और जनता की ओर से समर्थन दिया। उन्होंने कानून के सकारात्मक प्रभावों पर चर्चा भी की। उन्होंने स्पष्ट कहा कि इन कानूनों को किसी भी हाल में वापस नहीं किया जाना चाहिए।

कृषि मंत्री ने कहा- सरकार के प्रस्तावों पर किसान यूनियनें अपनी राय दें तो निश्चित रूप से होगी वार्ता

कृषि मंत्री तोमर ने बताया कि आल इंडिया किसान कोआर्डिनेशन कमेटी से संबद्ध उत्तर प्रदेश, बिहार, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना और हरियाणा समेत कई और राज्यों के किसान संगठनों ने कृषि सुधार कानूनों पर विस्तार से अपनी बात रखी। तोमर ने कहा कि सरकार के प्रस्ताव पर किसान यूनियनें अपनी राय दें तब बैठक होगी।हरियाणा के सांसदों में केंद्रीय जल संसाधन राज्यमंत्री रतन लाल कटारिया, धर्मवीर, नायब सिंह व डीपी वत्स के साथ राज्य के भाजपा विधायकों ने कृषि भवन में कृषि मंत्री से मुलाकात की।

10 किसान संगठनों के नेताओं ने सरकार की पहल का समर्थन किया

दिल्ली बार्डर पर पिछले 19 दिनों से मोर्चा लगाए पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ किसान संगठनों के खिलाफ इन नेताओं ने सरकार की पहल का समर्थन किया है। जननायक जनता पार्टी (जजपा) नेता और हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने शनिवार को कृषि मंत्री तोमर, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और रक्षा मंत्री राजनाथ ¨सह से मुलाकात कर इस गतिरोध को समाप्त करने की दिशा में चर्चा की थी।

किसानों ने कहा- आजादी के बाद पहली बार किसानों के हित में उठाए गए ऐतिहासिक कदम 

कृषि मंत्री से मुलाकात में किसानों ने बताया कि आजादी के बाद पहली बार किसानों के हित में ऐतिहासिक कदम उठाए गए हैं। इससे किसानों के भाग्य पलट जाएंगे। इस मौके पर तोमर ने कहा, 'सरकार की नीति और नीयत दोनों में सिर्फ और सिर्फ किसानों का हित है।' उन्होंने इन किसान संगठनों का आभार जताते हुए कहा कि अगर किसान किसी मुद्दे पर भ्रम के शिकार हो गए हैं तो हमारा दायित्व उनकी शंका निवारण करने का है। लंबे समय से इस तरह के सुधारों की मांग हो रही थी, जिसे हमारी सरकार ने पूरा किया है। किसानों के लिए एक देश एक बाजार की परिकल्पना को जमीन पर उतारा है।

कृषि मंत्री ने कहा- सरकार हर समय किसानों से वार्ता करने को तैयार

एक सवाल के जवाब में तोमर ने कहा, 'आंदोलन कर रहे किसान संगठनों को सरकार ने जो प्रस्ताव दिए हैं, उस पर उनका मत प्राप्त होने के बाद अगली बैठक होगी। सरकार हर समय उनसे वार्ता करने को तैयार है। उन लोगों का कार्यक्रम चल रहा है। हम इंतजार कर रहे हैं। उनकी ओर से कुछ पहल होगी तो देखा जाएगा।' तोमर ने जोर देकर कहा कि किसानों की आमदनी बढ़ाने, बोआई से पहले उनकी उपज का लाभकारी मूल्य दिलाने की गारंटी, किसान जहां चाहे अपनी मर्जी से उपज को अपने निर्धारित मूल्यों पर बेच सके, उपज की ढुलाई का खर्च बच सके, इस तरह के किसान हित में प्रावधान किए गए हैं।

महाराष्ट्र-तमिलनाडु के किसान नेताओं ने कहा- किसानों को खुले बाजार में उपज बेचने की मिली आजादी

अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति देश के अलग-अलग राज्यों के किसान संगठनों का प्रतिनिधि मंच हैं। शरद जोशी ने इसकी स्थापना की थी जो कृषि क्षेत्र में सुधार के प्रबल समर्थक नेता रहे हैं। महाराष्ट्र के किसान नेता गुणवंत पाटिल व तमिलनाडु के मणिकंदम ने संयुक्त रूप से कहा कि आजादी के बाद किसानों का शोषण होता रहा है। किसानों को खुले बाजार में अपनी उपज बेचने की आजादी नहीं होने से अब तक वे अपनी उपज के मनमाफिक व लाभकारी दाम नहीं ले पाते थे। सरकार के इन सुधारों से किसानों को अब जाकर स्वतंत्रता मिली है।

गृह मंत्री अमित शाह से उनके आवास पर तोमर ने की मंत्रणा

तोमर ने सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से उनके आवास पर मुलाकात की और लगातार दूसरे दिन किसानों की मांगों व उससे जुड़े मसलों पर विचार-विमर्श किया। दोनों मंत्रियों ने देशभर के ऐसे किसानों और उनके नेताओं से संपर्क कर गतिरोध समाप्त करने की विस्तृत योजना पर चर्चा की जिनकी दिलचस्पी जमीनी स्तर पर किसानों के फायदे के मकसद से मुद्दों को सकारात्मक तरीके से सुलझाने में हो।

जावडेकर ने की केजरीवाल की आलोचना

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने सोमवार को किसान आंदोलन के समर्थन में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की भूख हड़ताल की आलोचना की। जावडेकर ने ट्वीट कर कहा, 'अरविंद केजरीवाल जी यह आपका ढोंग है। पंजाब विधानसभा चुनाव में आपने एपीएमसी एक्ट में संशोधन का वादा किया था। नवंबर, 2020 में आपने एक कृषि कानून को अधिसूचित किया और आज आप भूख हड़ताल पर हैं।'

किसानों ने रखा उपवास

कृषि सुधार कानूनों को रद करने की मांग पर अड़े किसानों ने सोमवार को उपवास रखा। इनके समर्थन में आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भी उपवास रखा। सिंघु बॉर्डर पर स्थिति थोड़ी अलग रही। यहां नेताओं ने तो उपवास रखा, लेकिन किसानों ने लंगर छका। टीकरी बॉर्डर पर नेताओं के संबोधन के लिए बड़ा मंच बनाया गया था, जिस पर बैठे किसान नेताओं ने दिनभर उपवास रखा। ढांसा बॉर्डर पर बिना मंच के ही सरकार के खिलाफ नारेबाजी होती रही।

किसान आंदोलन से ट्रेनों का परिचालन प्रभावित

किसान आंदोलन के चलते ट्रेनों का परिचालन प्रभावित होने लगा है। कुछ ट्रेनों को आंशिक रूप से रद किया गया है तो कई ट्रेनों को अंबाला छावनी रेलवे स्टेशन तक ही चलाया जाएगा।सोमवार को अंबाला डिवीजन ने ट्रेनों के शेड्यूल में बदलाव की सूची जारी की है। डिब्रूगढ़-अमृतसर आने-जाने वाली ट्रेन का संचालन 15 और 17 दिसंबर के लिए निरस्त किया गया है।

ये ट्रेनें प्रभावित

05211 डिब्रूगढ़-अमृतसर एक्सप्रेस को 15 दिसंबर, 05212 अमृतसर-डिब्रूगढ़ स्पेशल ट्रेन को 17 दिसंबर के लिए रद किया गया है। 02715 नांदेड़-अमृतसर, 08237 कोरबा अमृतसर स्पेशल, 02357 कोलकाता-अमृतसर स्पेशल ट्रेन को आंशिक रूप से निरस्त किया गया। 05933 डिब्रूगढ़-अमृतसर स्पेशन ट्रेन का परिचालन अंबाला छावनी रेलवे स्टेशन तक ही होगा। 04651 जयनगर-अमृतसर स्पेशल ट्रेन भी अंबाला तक ही चलेगी।


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