राष्ट्रवाद की प्रखर प्रतिमूर्ति थे नरेन्द्र मोहन जी, समकालीन राजनेता भी मानते थे नेतृत्व क्षमता-संपादन और काव्य रचना का अनूठा संगम
दैनिक जागरण के पूर्व प्रधान संपादक नरेन्द्र मोहन जी की स्मृति में 10 अक्टूबर को 'नरेन्द्र मोहन स्मृति साहित्य सम्मान' दिया जाएगा। अमित शाह समारोह के मुख्य अतिथि होंगे। नरेन्द्र मोहन जी ने जागरण समूह के संपादक के रूप में पत्रकारिता में मानदंड स्थापित किए। आपातकाल में उन्होंने सेंसरशिप का विरोध किया। उनकी भारतीय संस्कृति में गहरी आस्था थी और उन्होंने कई पुस्तकें भी लिखीं। वे राज्यसभा के सदस्य भी रहे।

राष्ट्रवाद की प्रखर प्रतिमूर्ति थे नरेन्द्र मोहन जी। जागरण फोटो
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दैनिक जागरण के पूर्व प्रधान संपादक नरेन्द्र मोहन जी की स्मृति में 'नरेन्द्र मोहन स्मृति साहित्य सम्मान' 10 अक्टूबर को दिया जाएगा। इसके लिए नई दिल्ली स्थित होटल ली मेरिडियन के सोवरेन हॉल-1 में शुक्रवार शाम पांच बजे सम्मान समारोह का आयोजन किया गया है। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह इस समारोह के मुख्य अतिथि होंगे।
इस सम्मान के लिए प्रतिवर्ष हिंदी साहित्य की विभिन्न विधाओं में से मौलिक कृति को चुना जाएगा। इस वर्ष यह सम्मान 2024 में प्रकाशित पुस्तक के लिए प्रदान किया जाएगा।
37 वर्षों तक दैनिक जागरण के संपादक रहे नरेंद्र मोहन
दैनिक जागरण के पूर्व प्रधान संपादक नरेन्द्र मोहन जी ने 37 वर्षों तक जागरण समूह के संपादक और प्रधान संपादक के रूप में पत्रकारिता के उन मानदंडों की स्थापना की, जिन पर चलकर आज भी दैनिक जागरण नित नई सफलताएं अर्जित कर रहा है।
उन्होंने बड़ी संख्या में संपादकों-पत्रकारों को उनकी भूमिका के लिए तैयार किया। जब देश में आपातकाल लगा, तब एक संपादक के रूप में नरेन्द्र मोहन जी ने दैनिक जागरण के 27 जून 1975 के संपादकीय में नया लोकतंत्र? सेंसर लागू, शांत रहें! लिखकर कॉलम को खाली छोड़ दिया था। यह आपातकाल का प्रतिकार था। इसकी कीमत उनको चुकानी पड़ी थी। 28 जून, 1975 की रात उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था।
भारत और भारतीय संस्कृति में नरेन्द्र मोहन जी की गहरी आस्था थी, जो उनके लोकप्रिय स्तंभ विचार प्रवाह में परिलक्षित होती थी। संपादक होने के नाते राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक विषयों पर उनकी पैनी नजर रहती थी। वहीं, उनकी रचनात्मकता का एक और आयाम उनके गद्य और पद्य में भी देखा जा सकता था।
राज्यसभा सदस्य के तौर पर निभाई जिम्मेदारी
उन्होंने कई पुस्तकों की रचना की जिनमें भारतीय संस्कृति, हिंदुत्व, धर्म और सांप्रदायिकता, आज की राजनीति व भ्रष्टाचार प्रमुख हैं। वर्ष 1996 में वे भारतीय जनता पार्टी से राज्यसभा के सदस्य के तौर पर चुने गए और 2002 तक सांसद रहे।
पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह, चंद्रशेखर और अटल बिहारी वाजपेयी ने नरेन्द्र मोहन जी के बारे में कई स्मरण सुनाया करते थे। अटल बिहारी वाजपेयी ने नरेन्द्र मोहन जी को पत्रकार के साथ कवि भी मानते थे। वहीं, पूर्व पीएम चंद्रशेखर भी नरेन्द्र मोहन जी को एक ओजस्वी पत्रकार और उद्देश्यपरक लेखक बताते थे।
नरेन्द्र मोहन जी के समकालीन देश की जानी-मानी राजनीतिक हस्तियां उनके बारे में क्या राय रखती थीं, आइए इस पर एक नजर डालते हैं:
नरेन्द्र मोहन जी दैनिक जागरण को हिंदी पत्रकारिता की जिस ऊंचाई पर ले गए, वह उनके कुशल संपादकीय नेतृत्व, सामाजिक, राजनीतिक घटनाओं के प्रति उनकी पैनी दृष्टि और दूरदर्शिता का जीता जागता प्रमाण है। वे केवल पत्रकार ही नहीं, कवि भी थे। उनकी कविताएं जीवन मूल्यों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और सहृदयता को दर्शाती है।
- अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व प्रधानमंत्री
मैं नरेन्द्र मोहन जी को एक ओजस्वी पत्रकार और उद्देश्यपरक लेखक मानता हूं। उन्होंने जो भी कविताएं और रचनाएं लिखीं, उनका एक उद्देश्य था। बिना मकसद के उन्होंने कोई लेखन नहीं किया।
- वी पी सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री
दैनिक जागरण में नरेन्द्र मोहन जी द्वारा लिखे जानेवाले 'विचार-प्रवाह' तथा उनकी कविताओं को पढ़कर कोई भी समझ सकता था कि उनकी संवेदना उच्च-स्तर की थी। अपने विचारों के प्रति उनका आग्रह तो था पर वो दुराग्रही नहीं थे।
- चंद्रशेखर, पूर्व प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोहन जी के बारे में बात करूं और खेलों के प्रति उनकी रुचि का जिक्र न करूं तो यह उनके व्यक्तित्व के आकलन के प्रति नाइंसाफी होगी। क्रिकेट के प्रति उनका प्रेम दीवानगी की हद तक था।
- अरुण जेटली, पूर्व वित्त मंत्री
राज्यसभा में भले ही कोई भी विषय हो नरेन्द्र मोहन जी बोलने के लिए न केवल हमेशा तैयार रहते थे, बल्कि विषय की पूरी जानकारी और तथ्यों का पुलिंदा उनके ब्रीफकेस में हमेशा मौजूद रहता था।
- एम वेंकैया नायडू , पूर्व उपराष्ट्रपति
मैं नरेन्द्र मोहन के लेख पढ़ता था। उनकी पुस्तकों और ग्रंथों को देखा है, वह जो लिखते थे, वह अध्ययन करके लिखते थे। जब किसी कार्य को पूरा करना होता था तो वो उसके पीछे कृत संकल्प होकर लग जाते थे।
- लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व उप प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोहन जी के व्यक्तित्व में विलक्षण प्रतिभा, नेतृत्व क्षमता, साहित्य ज्ञान, संपादन, काव्य का अनूठा संगम था। मैंने उनकी पुस्तक हिंदुत्व देखी और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का अध्ययन किया। इनको देखकर लगा कि किस प्रकार से उनकी साहित्य यात्रा और विचारों का विकास हुआ।
- डॉ. मुरली मनोहर जोशी, पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री
पत्रकारिता के क्षेत्र में नरेन्द्र मोहन जी के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। वे स्वयं एक पत्रकार के सभी गुणों से परिपूर्ण व्यक्ति थे। यही नहीं, एक लेखक और संवेदनशील कवि के रूप में भी एक अलग पहचान उन्होंने बनाई थी।
- सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष, कांग्रेस
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